Coronation of Kings: ब्रिटेन की तरह इन देशों में भी होता है शासकों की ताजपोशी, अजीबोगरीब परंपराओं का होता है पालन

Lucknow: 21वीं सदी में यूं तो दुनिया के अधिकांश देशों में लोकतंत्र की बयार बह रही है लेकिन अभी भी कुछ देश ऐसे हैं जहां प्राचीन काल की तरह राजाओं और महाराजाओं की गद्दी पर ताजपोशी होती है।

Update:2023-05-08 21:10 IST
ब्रिटेन के नए राजा किंग चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी: Photo- Newstrack

Lucknow: 21वीं सदी में यूं तो दुनिया के अधिकांश देशों में लोकतंत्र की बयार बह रही है लेकिन अभी भी कुछ देश ऐसे हैं जहां प्राचीन काल की तरह राजाओं और महाराजाओं की गद्दी पर ताजपोशी होती है। इनमें कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां की सत्ता वहां की लोकतांत्रिक सरकारों के हाथ में है, लेकिन फिर भी वहां की राजशाही जिंदा है। पूरी रीति-रिवाजों के साथ उन देशों में नए सम्राटों की ताजपोशी होती है। ब्रिटेन और जापान जैसे देश इसके उदाहरण हैं।

दुनिया के बड़े हिस्से पर लंबे समय तक राज करने वाला ब्रिटिश राजपरिवार भी दुनिया के उन बचे-खुचे राजपरिवारों में शुमार है, जहां ऐतिहासिक परंपराओं के साथ नए सम्राट की ताजपोशी होती है। किंग चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी रानी कैमिला ने पिछले हफ्ते शनिवार को इस भव्य परंपरा का निर्वहन किया। 74 वर्षीय किंग चार्ल्स ने अपनी मां क्वीन एलिजाबेथ के निधन के बाद सम्राट की गद्दी संभाली है। तो आइए एक नजर उन देशों पर डालते हैं, जहां पुराने रीति-रिवाजों को ध्यान में रखते हुए नए सम्राट की ताजपोशी होती है।

जापान

जापानी का शाही राजवंश भी दुनिया के प्राचीन राजवंशों में शुमार है। लोकतंत्र होने के बावजूद ब्रिटेन की तरह यहां के समाज में भी राजपरिवार का उच्च स्थान है। नए सम्राट के ताजपोशी के पवेलियन पर लगे बैंगनी रंग के पर्दे उठाए जाते हैं, जिससे सिंहासन के सामने खड़े सम्राट को लोग देख सकें। इस दौरान सम्राट के बगल में एक प्राचीन तलवार और रत्न रखे होते हैं। इस मौके पर जापानी सम्राट पीले और नारंगी रंग के एक खास शाही लबादे में होते हैं। मुंह दिखाई के बाद लोग बनजाई का शोर मचाते हैं, जिसका मतलब होता है सम्राट जुग-जुग जिएं।

थाईलैंड

थाईलैंड में नए राजा के राज्याभिषेक कार्यक्रम में भी कई रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। नए शाही शासक को शुद्ध करने और अभिषेक के लिए उनके ऊपर पवित्र जल उड़ेला जाता है। महाराजा के अभिषेक के लिए ये जल पूरे थाईलैंड के 100 से अधिक जलस्त्रोतों से जमा किए जाते हैं। इनके जमा करने का भी एक निश्चित समय तय होता है। लोकल टाइम के अनुसार, सुबह 11.52 से लेकर दोपहर 12.38 के बीच। इस जल को बौद्ध परंपराओं के मुताबिक अभिमंत्रित किया जाता है और फिर राजा इससे स्नान करते हैं।

लेसोथो

अफ्रीकी महाद्वीप में एक देश है लेसोथो, जहां के राजा राज्याभिषेक के दौरान जानवरों के पारंपरिक चमड़े को ओढ़े रहते हैं और वो एक नीले रंग का कुर्ता भी पहनते हैं। जिस पर एक मगरमच्छ की सुनहरी कढ़ाई की गई होती है। इस दौरान स्थानीय प्रजा नाचती – गाती रहती है। ताजपोशी के समय राजा के सिर पर बछड़े के चमड़े से बनी पट्टी और एक पंख लगाया जाता है। इस काम को कबीले के दो पारंपरिक प्रमुख द्वारा किया जाता है।

साउथ अफ्रीका

दक्षिण अफ्रीका के आठ कबायली रियासतों में भी शाही शासकों का राजतिलक होता है। इन 8 रियासतों में जुलू के राजा सबसे बलशाली और प्रभावशाली होते हैं। इनके ताजपोशी के वक्त भी पुरानी परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। राज्याभिषेक कार्यक्रम के दौरान महाराजा जानवरों के एक पवित्र बाड़े में प्रवेश करते हैं ताकि वो अपने पुरखों के समर्थन की गुहार लगा सकें। महाराजा उस दौरान उसे शेर की खाल से बने कपड़े को पहनते हैं, जिसका शिकार उनके पुरखों ने किया होता है। जुलू मान्यताओं के मुताबिक, इसका मकसद स्वर्ग में रह रहे पुरखों की नजर में ये साबित करना होता है कि वो ही असली महाराजा हैं।

असांते रियासत

वेस्ट अफ्रीका में एक छोटी सी रियासत है, जिसका नाम है असांते। इस रियासत के प्रमुख कबीले के धार्मिक मुखिया होते हैं। असांते रियासत की स्थापना 17वीं सदी के आखिरी में हुई थी। इस रियासत में भी राजतिलक की परंपरा अनोखी है। इस कबीले के लोग एक चौकी जिसे सिका ड्वा कोफी कहा जाता है, उसे काफी पवित्र मानते हैं। इस पर किसी को भी बैठने का अधिकार नहीं है, यहां तक कि शासक को भी नहीं। उनकी मान्यता है कि इस चौकी में असांते कबीले के लोगों की आत्मा बसती है। इसलिए राजा के राज्याभिषेक के दौरान उन्हें इस पवित्र चौकी पर बिठाने की बजाय उठाकर इसके ऊपर झुकाया जाता है।

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