Corona in North Korea: नमक के गरारे और अदरक की चाय के भरोसे नार्थ कोरिया में लड़ी जा रही कोरोना से जंग

Corona in North Korea: नॉर्थ कोरिया में कोरोना से निपटने के लिए लोगों को नमक के पानी से गरारे करने, या लोनिसेरा जैपोनिका चाय या विलो लीफ टी दिन में तीन बार पीने की सलाह दी जा रही है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2022-05-17 23:07 IST

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Corona in North Korea: कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रकोप में बुरी तरह फंसे नार्थ कोरिया (North Korea) के पास महामारी से लड़ने के लिए न तो वैक्सीन हैं और न दवाएं, सो इस खतरनाक वायरस से जंग एंटीबायोटिक और देसी इलाज के सहारे लड़ी जा रही है। दुनिया में नार्थ कोरिया और इरिट्रिया, सिर्फ दो देश ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक टीकाकरण अभियान शुरू नहीं किया है।

कोरोना जनित बीमारी और इसके लक्षणों का इलाज करने के लिए, नार्थ कोरिया के सरकार नियंत्रित मीडिया ने रोगियों को दर्द निवारक और बुखार कम करने वाली दवाओं जैसे कि इबुप्रोफेन और एमोक्सिसिलिन और अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया है। ये दवाएं वायरस से नहीं लड़ती हैं लेकिन कभी-कभी बैक्टीरियल संक्रमण के लिए प्रेस्क्राइब की जाती हैं।

इस तरह कराया जा रहा उपचार

मीडिया में प्रचार किया जा रहा है कि वैक्सीनें "कोई रामबाण नहीं" है। लोगों को नमक के पानी से गरारे करने, या लोनिसेरा जैपोनिका (हनीसकल) चाय या विलो लीफ टी दिन में तीन बार पीने की सलाह दी जा रही है। सरकारी टीवी पर एक महिला को ये कहते हुए दिखाया गया कि - "पारंपरिक उपचार सबसे अच्छे हैं! मेरे पति और बच्चे हर सुबह और रात में नमकीन पानी से गरारे करते हैं।" प्योंगयांग निवासी एक बुजुर्ग ने कहा कि उसे अदरक की चाय और उसके कमरे को हवादार करने से काफी मदद मिली है। उसने एक टेलीविज़न साक्षात्कार में कहा - "मैं पहले कोरोना से डरी हुई थी, लेकिन डॉक्टरों की सलाह का पालन करने और उचित उपचार प्राप्त करने के बाद, मैंने पाया कि यह कोई बड़ी बात नहीं है।"

अधिकारियों का कहना है कि मौतों का एक बड़ा हिस्सा "ज्ञान और समझ की कमी के कारण ड्रग्स लेने में लापरवाही" और इसके इलाज के लिए सही तरीके नहीं अपनाने के कारण हुआ है। 

WHO ने भेजी स्वास्थ्य किट

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नार्थ कोरिया को कुछ स्वास्थ्य किट और अन्य आपूर्ति भेज दी है, लेकिन यह नहीं बताया है कि उनमें कौन सी दवाएं हैं। प्योंगयांग के अनुरोध पर पड़ोसी चीन और दक्षिण कोरिया ने सहायता भेजने की पेशकश की है।

नार्थ कोरिया के पास वैज्ञानिक रूप से अप्रमाणित उपचार विकसित करने का एक लंबा इतिहास है, जिसमें पृथ्वी के खास तत्वों में उगाए गए जिनसेंग से बना एक इंजेक्शन भी शामिल है, जिसके बारे में दावा किया गया है कि इससे एड्स से लेकर नपुंसकता तक सब कुछ ठीक हो सकता है। नार्थ कोरिया की अन्य पारंपरिक दवाओं में अनेक प्रकार की जड़ें शामिल हैं। इनको आधुनिक दवाओं की कमी को पूरा करने के लिए या "उत्तर कोरिया में निर्मित" निर्यात प्रोडक्ट के रूप में विकसित किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशिक्षित डॉक्टरों की एक बड़ी संख्या और स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए संसाधन जुटाने का अनुभव होने के बावजूद, उत्तर कोरिया की चिकित्सा प्रणाली बहुत पिछड़ी हुई है।

नार्थ कोरिया में कई सुविधाओं की कमी

मार्च में जारी एक रिपोर्ट में, एक स्वतंत्र संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार अन्वेषक ने कहा था कि नार्थ कोरिया बुनियादी ढांचे, चिकित्सा कर्मियों, उपकरणों और दवाओं में कम निवेश, अनियमित बिजली आपूर्ति और अपर्याप्त पानी और स्वच्छता सुविधाओं की कमी से ग्रस्त है।

2003 में उत्तर कोरिया से दक्षिण कोरिया जाने वाले 40 वर्षीय किम माययोंग-ही ने कहा है कि इस तरह की कमियों ने कई उत्तर कोरियाई लोगों को घरेलू उपचार पर भरोसा करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि वहां अस्पताल में कोई दवा नहीं होती है। बिजली भी नहीं होती इसलिए चिकित्सा उपकरणों का उपयोग नहीं किया जा सकता है। किम ने बताया कि जब उसे तीव्र हेपेटाइटिस का प्रकोप हुआ तो उसे मिनारी (पानी में उगने वाली बेल) लेने के लिए कहा गया था। एक बार किसी अन्य अज्ञात बीमारी से पीड़ित होने पर उन्हें केंचुए खाने के लिए कहा गया।

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