बड़ा खतरा: लीक हुआ 26 करोड़ Facebook यूजर्स का डेटा, फौरन उठा लें ये कदम
फेसबुक यूजर्स के डेटा लीक का एक और मामला सामने आया है। अब 26.7 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स की पर्सनल इंफॉर्मेशन डॉर्क वेब पर एक असुरक्षित डेटाबेस में उजागर हुई हैं।
लखनऊ: फेसबुक यूजर्स के डेटा लीक का एक और मामला सामने आया है। अब 26.7 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स की पर्सनल इंफॉर्मेशन डॉर्क वेब पर एक असुरक्षित डेटाबेस में उजागर हुई हैं।
साइबर सिक्यॉरिटी फर्म Comparitech और रिसर्चर बॉब डियाचेंको के मुताबिक 267,140,436 फेसबुक यूजर्स की आईडी, फोन नंबर और पूरे नाम एक डेटाबेस में पाए गए हैं। रिपोर्ट में चेताया गया है कि डेटाबेस में जिन लोगों का नाम है, उनको स्पैम मेसेज या फिशिंग स्कीम्स से टारगेट किया जा सकता है।
यूजर्स की प्राइवेसी को बड़ा खतरा
अगर फेसबुक की ये दलील सही है तो भी इस डेटा लीक से एक आम यूजर की प्राइवेसी पर बड़ा खतरा आ सकता है। इस डेटाबेस का पता करने वाले रिसर्चर Bob Diachenko ने कहा है कि ये डेटाबेस के बारे में उस सर्विस प्रोवाइडर को रिपोर्ट किया था जो इस सर्वर की आईपी अड्रेस मैनेज करती है। लेकिन डेटाबेस दो हफ्ते पहले पब्लिक हुआ था।
रिसर्चर का कहना है कि फेसबुक का यूजर डेटा हैकर फोरम में एक जगह पर डाउनलोड लिंक के साथ अपलोड किया गया है। इन फेसबुक डेटा का गलत इस्तेमाल किया गया है या नहीं ये फिलहाल साफ नहीं है।
आम तौर पर इस तरह के डेटा लीक के बाद हैकर्स डार्क वेब से डेटा कलेक्ट करते हैं। इसके बाद यूजर के अकाउंट में ऐक्सेस करके उनको हानी पहुंचाया जा सकता है।
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कोई भी देख सकता था फेसबुक यूजर्स की इंफॉर्मेशन
इस बीच, फेसबुक ने कहा है कि वह उस रिपोर्ट की पड़ताल कर रहा है, जिसमें कहा गया है कि 26.7 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स के नाम, फोन नंबर और आईडी को ऑनलाइन उजागर किया गया। हालांकि, अब डेटाबेस तक एक्सेस को हटा दिया गया है।
फेसबुक यूजर्स के रिकॉर्ड दो हफ्तों तक उपलब्ध थे और इस इंफॉर्मेशन तक पहुंच बनाने के लिए कोई पासवर्ड भी जरूरी नहीं था। इससे पहले, सितंबर में 40 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स के फोन नंबर्स उजागर हुए थे।
मामले की पड़ताल कर रहा है फेसबुक
फेसबुक प्रवक्ता ने कहा है, 'हम इस मामले की पड़ताल कर रहे हैं, लेकिन हमारा मानना है कि हो सकता है इस इंफॉर्मेशन को हमारी तरफ से किए गए बदलावों के पहले ही हासिल कर लिया गया हो।' डियाचेंको ने दिसंबर में इस डेटाबेस का पता लगाया था और तुरंत ही इसकी रिपोर्ट IP एड्रेस मैनेज करने वाले इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को दी, क्योंकि उन्हें शक हुआ है कि इस डेटाबेस का नाता किसी क्रिमिनल ऑर्गेनाइजेशन से हो सकता है।
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