वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमेशा फेक न्यूज के बारे में शिकायत करते हैं लेकिन हैरत की बात है कि वो खुद भी फेक न्यूज फैलाते हैं। ट्रंप ट्विटर का बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। 2018 में उन्होंने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते समय गूगल उनके स्टेट ऑफ द यूनियन के भाषणों को अपने होमपेज पर दिखाता था लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद गूगल ने ऐसा करना बंद कर दिया है। तहकीकात में ट्रंप का यह दावा गलत निकला। जर्मनी की एक कंपनी 'यूनीसेप्टर' ने इसका विश्लेषण किया कि ट्रंप का गूगल वाला ट्वीट कैसे दुनिया भर में फैला। कंपनी के शोध प्रमुख वोल्फ डीटर रूल कहते हैं कि ट्रंप ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें अपने झूठों के पकड़े जाने की चिंता नहीं है। रूल के अनुसार, उनका असली लक्ष्य अपने समर्थकों तक बात पहुंचाना है जो उन पर भरोसा करते हैं। ट्रंप अपने समर्थकों की तादाद को और बढ़ाना चाहते हैं, जो उनसे किसी बात पर थोड़ा भी सहमत है उन्हें वे अपने समर्थकों में शामिल करना चाहते हैं। वे मीडिया के समांतर एक और मीडिया माध्यम खड़ा कर रहे हैं।
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ट्रंप के समर्थकों को देखकर पता चलता है कि उनके समर्थकों या उनकी बातों को सुनने वालों की बहुत बड़ी तादाद है। गूगल पर आरोप लगाने वाला उनका वीडियो करीब 47 लाख बार देखा गया। इसे 40 हजार से ज्यादा रिट्वीट और 1 लाख 8 हजार से ज्यादा लाइक्स मिले। दरअसल फेक न्यूज तेजी से फैलती है और इसे ट्रंप के समर्थकों द्वारा तेजी से फैलाया जाता है। ऐसी फेक न्यूज की सच्चाई बताने वाला पहला मीडिया रिएक्शन अकसर जल्दी आ जाता है लेकिन इस मामले में करीब डेढ़ घंटे बाद ऐसा हुआ। वेब साइट बजफीड के एक पत्रकार ने ट्वीट किया कि 2017 में ट्रंप ने कोई भी स्टेट ऑफ द यूनियन भाषण दिया ही नहीं था जैसा कि अकसर नए राष्ट्रपति देते हैं। उन्होंने पहला ऐसा भाषण 2018 में दिया था जिसका लिंक गूगल ने अपने होमपेज पर लगाया था लेकिन इस ट्वीट को ट्रंप के ट्वीट जैसा समर्थन नहीं मिला। इस ट्वीट को बस तीन हजार के आसपास रिट्वीट मिले, झूठे ट्वीट से 12 गुना कम। फेक न्यूज को फैलाने का काम अकसर मुख्यधारा की मीडिया भी करती है। ऐसा ही ट्रंप के ट्वीट के साथ हुआ। बहुत सी मीडिया कंपनियों ने इस मुद्दे को बिना सच्चाई जाने छापना शुरू कर दिया। पहले अमेरिका में और फिर पूरी दुनिया में इसे छापा गया। हाल ही में ट्रंप ने समुद्री तूफान के बारे में भी गलत जानकारी दी थी। हैरत की बात है कि समुद्री विज्ञान से संबंधित प्रतिष्ठिïत संस्थान ने ट्रंप की गलत जानकारी को सही ठहरा दिया।