किसी भी वेबसाइट की आमदनी का मूल स्रोत विज्ञापन है। पता चला है कि गलत सूचनाएं फैलाने वाली वेबसाइट्स करोड़ों डॉलर की कमाई कर रही हैं। हैरत की बात है कि विज्ञापन देने वाली कंपनियों को पता ही नहीं होता कि जिन वेबसाइटों पर उनका विज्ञापन चल रहा है, वे गलत सूचनाएं फैला रही हैं।
लंदन स्थित ग्लोबल डिसइनफॉर्मेशन इंडेक्स (जीडीआई) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार गलत सूचनाएं फैलाने वाली करीब 20 हजार वेबसाइट सालाना 23.5 करोड़ डॉलर की कमाई कर रही हैं। विज्ञापन से होने वाली कमाई की वजह से ही विवादास्पद वेबसाइट्स लंबे समय से सक्रिय हैं। अमेरिकाी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व सहयोगी और धुर दक्षिणपंथी विचारक स्टीव बैनन ने इस साल के शुरुआत में जारी एक वीडियो में कहा था कि दक्षिणपंथी मीडिया के लिए आय का मुख्य स्रोत विज्ञापन है।
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डिजिटल विज्ञापन के लिए इंटरनेट के विज्ञापन स्थान को खरीदने और बेचने का काम सॉफ्टवेयर के माध्यम से होता है। इस तकनीक को प्रोग्रामेटिक एडवरटाइजिंग कहते हैं। निवेश एजेंसी जेनिथ के अनुसार 2019 में इसके तहत इंटरनेट के दो तिहाई विज्ञापन दिए गए। इन दो तिहाई विज्ञापन का मूल्य 84 अरब डॉलर था। 2020 में विज्ञापन की रकम ज्यादा होने की संभावना है।
ऑनलाइन विज्ञापन देने के लिए कंपनियां अक्सर गूगल, ऐप नेक्सस या अमेजन जैसे विज्ञापन एक्सचेंजों का सहारा लेती हैं। विज्ञापन एक्सचेंज कंपनियों और अपने साइट पर विज्ञापन लगाने वाले के बीच बिचौलिए का काम करती है। बिचौलिए ये विज्ञापन प्रोग्रामेटिक एडवरटाइजिंग के आंकड़ों के अनुसार देते हैं। जून महीने में ब्रिटेन के डाटा संरक्षण नियामक ने इंडस्ट्री के साथ प्रमुख चिंताओं को साझा किया था। नियामक ने कहा था कि नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए बदलाव जरूरी है। इसमें ईयू का सामान्य डाटा संरक्षण विनियमन (जीडीपीआर) भी शामिल है। ब्रिटेन के सूचना आयुक्त एलिजाबेथ डेनहम ने कहा है कि कई लोगों ने यह सोचने की जहमत नहीं उठाई होगी कि वे जिन ऐप्स या वेबसाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन पर विज्ञापन कैसे आता है। यह एक जटिल प्रक्रिया है और एक बड़ी कार्यप्रणाली है।