Global Warming: एशिया कुछ ज्यादा ही तेजी से हो रहा गर्म, आपदाओं से अरबों का नुकसान

Global Warming: लंबे समय तक ला नीना के कारण वर्ष 2021 एशिया के लिए 2020 की तुलना में थोड़ा ठंडा था, लेकिन यह अभी भी रिकॉर्ड पर पांचवें और सातवें सबसे गर्म वर्ष के बीच था। हालांकि, चीन, हांगकांग और बहरीन में वर्ष 2021 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म था।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-11-14 16:49 IST

Representative Image (Source: Social Media)

Global Warming Effect: पूरी पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन बाकी क्षेत्रों की अपेक्षा एशियाई क्षेत्र कुछ ज्यादा ही तेजी से गर्म हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप बाढ़ और सूखे जैसी चरम मौसम की घटनाओं से 2021 में 35 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है। इसमें भारत में कम से कम 7.5 अरब डॉलर का नुकसान शामिल है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि 2021 में एशिया में औसत तापमान 1981-2010 की अवधि के औसत से लगभग 0.86 डिग्री सेल्सियस अधिक था। डब्ल्यूएमओ की स्टेट ऑफ क्लाइमेट इन एशिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में वैश्विक औसत तापमान 1981-2010 की अवधि की तुलना में केवल 0.42 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

लंबे समय तक ला नीना के कारण वर्ष 2021 एशिया के लिए 2020 की तुलना में थोड़ा ठंडा था, लेकिन यह अभी भी रिकॉर्ड पर पांचवें और सातवें सबसे गर्म वर्ष के बीच था। हालांकि, चीन, हांगकांग और बहरीन में वर्ष 2021 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म था।

2021 में एशिया में 100 से अधिक मौसम संबंधी आपदाएँ आईं, जिसके परिणामस्वरूप 4,000 से अधिक मौतें हुईं, और कम से कम 35.6 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान और मौतें हुईं, जबकि सूखे ने सबसे ज्यादा लोगों को प्रभावित किया। डब्लूएमओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि चरम मौसम की घटनाओं से आर्थिक नुकसान बढ़ रहा है। उदाहरण के लिए, 2021 में सूखे से नुकसान पिछले 20 वर्षों के औसत से कम से कम 63 प्रतिशत अधिक था। जबकि बाढ़ से नुकसान 23 प्रतिशत अधिक था।

2021 में बाढ़ से चीन में सबसे अधिक आर्थिक नुकसान हुआ (18.4 अरब डॉलर), इसके बाद भारत (3.2 अरब डॉलर) और थाईलैंड (0.6 अरब डॉलर) का स्थान रहा। तूफान या चक्रवात ने भी विशेष रूप से भारत (4.4 अरब डॉलर), चीन (3.0 अरब डॉलर) और जापान (2 अरब डॉलर) में महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान पहुंचाया। नतीजतन, देशों को लचीलापन और अनुकूलन प्रयासों में अधिक मात्रा में धन खर्च करने की आवश्यकता पड़ी है। एशिया में, चीन के लिए सबसे अधिक अनुकूलन लागत प्रति वर्ष 188.8 अरब डॉलर अनुमानित है, इसके बाद भारत 46.3 अरब डॉलर और जापान 26.3 अरब डॉलर है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में, नेपाल के लिए उच्चतम लागत जीडीपी का 1.9 प्रतिशत अनुमानित है, इसके बाद कंबोडिया में 1.8 प्रतिशत और भारत में 1.3 प्रतिशत है।

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