भयानक चीनी कब्रिस्तान: दुनियाभर के लोग आ रहे यहां, आखिर क्या है इसका रहस्य
चीन की विशाल दीवार के बारे में कौन नहीं जानता होगा। पूरी दुनिया से लोग इस विशाल दीवार का दीदार करने के लिए आते हैं। पुरानी कहावतों में तो ये भी कहा जाता है कि ये दीवार अंतरिक्ष से दिखाई देती है। 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' के नाम से मशहूर ये दीवार दुनिया के सात अजूबों में शुमार है।
नई दिल्ली: चीन की विशाल दीवार के बारे में कौन नहीं जानता होगा। पूरी दुनिया से लोग इस विशाल दीवार का दीदार करने के लिए आते हैं। पुरानी कहावतों में तो ये भी कहा जाता है कि ये दीवार अंतरिक्ष से दिखाई देती है। 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' के नाम से मशहूर ये दीवार दुनिया के सात अजूबों में शुमार है। इसकी एकमात्र यही वजह है कि ये दुनिया की भी सबसे लंबी दीवार है। लेकिन आपको बेहद हैरानी होगी कि इस दीवार को 'दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान' भी कहा जाता है, पर आखिर क्यों? चलिए बताते हैं, इसके पीछे की रहस्यमयी कहानी को।
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कई राजाओं ने निर्माण करवाया
चीन की इस दीवार की लंबाई कितनी है, इसको लेकर थोड़ा विवाद है। असल में साल 2009 में किए गए एक सर्वेक्षण में दीवार की लंबाई 8,850 किलोमीटर बताई गई थी, लेकिन साल 2012 में चीन में ही किए गए एक राजकीय सर्वेक्षण में ये बात गलत साबित हो गई। क्योंकि इस सर्वेक्षण में बताया गया कि चीन की दीवार की कुल लंबाई 21,196 किलोमीटर है
जीं हां तो शुरू करते हैं चीन की इस दीवार के बनने की कहानी आज से करीब दो चार सौ साल नहीं बल्कि हजारों साल पुरानी है। वैसे तो ऐसी दीवार बनाने की कल्पना चीन के पहले सम्राट किन शी हुआंग ने की थी, लेकिन चीनी सम्राट ऐसा कर नहीं पाए थे। उनके मरने के सैकड़ों साल बाद दीवार का निर्माण कार्य आरंभ किया गया।
ऐसा माना जाता है कि इसे बनाने की शुरुआत ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में हुई थी, जो 16वीं शताब्दी तक चली। इसका निर्माण एक नहीं बल्कि चीन के कई राजाओं ने अलग-अलग समय में करवाया था।
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'वान ली चैंग चेंग' के नाम से
साथ ही ये भी कहा जाता है कि इस दीवार का निर्माण दुश्मनों से चीन की रक्षा करने के लिए किया गया था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका था। 1211 ईस्वी में मंगोल शासक चंगेज खान ने एक जगह से दीवार को तोड़ दिया था और उसे पार कर चीन पर हमला कर दिया था।
10 लाख मौतें
बता दें, चीन में इस दीवार को 'वान ली चैंग चेंग' के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहते हैं कि इस दीवार की चौड़ाई इतनी है कि इसपर एक साथ पांच घोड़े या 10 पैदल सैनिक चल सकते हैं। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
वहीं कई विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि इस विशाल दीवार के निर्माण कार्य में करीब 20 लाख मजदूर लगे थे, जिसमें से करीब 10 लाख लोगों ने इसे बनाने में ही अपनी जान गंवा दी थी। कहते हैं कि उन लोगों को फिर दीवार के नीचे ही दफना दिया गया था।
और यही कारण है कि चीन की इस महान और विशाल दीवार को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है, इसका तो कोई पुख्ता सबूत नहीं है, इसलिये ये रहस्य ही बनकर रह गया।
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