डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन का पलड़ा भारी, लेकिन चल सकता है 'ट्रंप कार्ड'

Update:2016-11-04 17:13 IST

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव आखिरी चरण में है। कभी लगता था कि डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन का पलड़ा भारी है लेकिन अब रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप बराबर खड़े दिख रहे हैं। राष्ट्रपति चुनावों में बीते तीन दशक से सटीक भविष्यवाणी करने वाले एक प्रोफसर ने दावा किया है कि डोनाल्ड ट्रंप जीत रहे हैं। इस भविष्यवाणी के पीछे एक तर्कसंगत प्रणाली है। एक नए सर्वे के अनुसार भी हिलेरी की लोकप्रियता में 12 अंकों की कमी आई है। ट्रंप उनसे आगे निकल गए हैं।

करोड़ों डॉलर कमाने में पहुंचाई मदद

ट्रंप को समर्थन देने वालों में निर्दलीय आगे आ गए हैं, जबकि श्वेत महिलाओं का बहुसंख्य वर्ग भी उनके पक्ष में खड़ा है। हिलेरी के ई-मेल मामले में उनके खिलाफ एफबीआई की जांच शुरू हो गई है। जिन ई-मेल का खुलासा हुआ है उनसे पता चला है कि किस प्रकार बिल क्लिंटन के सहयोगियों ने उन्हें करोड़ों डॉलर कमाने में मदद पहुंचाई। यह रकम उन्होंने हिलरी के विदेश मंत्री रहते हुए कमाई थी।

प्रोफेसर की भविष्यवाणी

महिलाएं डोनाल्ड ट्रंप पर बिना सहमति छूने, नोचने-खसोटने का भले ही आरोप लगा लें या हिलेरी क्लिंटन के बारे में ट्रंप की बदजुबानी के बाद ट्रंप के खिलाफ इमोशनल भड़ास की भरमार हो जाए, जीत ट्रंप ही रहे हैं। यह कहना है अमेरिकन यूनीवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर एलन जे. लिचमैन का।

32 साल से कर रहे सटीक भविष्यवाणी

प्रोफेसर एलन 'प्रिडिक्टिंग दि नेक्स्ट प्रेसीडेंट : दि कीज़ टू दि व्हाइट हाउस' पुस्तक के लेखक भी हैं। एलन का विख्यात भविष्यवाणी सिस्टम 13 सही-गलत महत्वपूर्ण संकेतकों पर आधारित है। वो 1984 के बाद से सभी आठ राष्ट्रपति चुनावों में सटीक साबित हुआ है।

13 संकेतों में छुपा है जीत का राज

प्रो. एलन ने सितंबर में ही कह दिया था कि उनके इन 13 सूत्रों के अनुसार ट्रंप जीत रहे हैं। यह भविष्यवाणी सितंबर की थी, जिसके बाद ट्रंप की लोकप्रियता नीचे जाने की कई घटनाएं हुईं। लेकिन अब 28 अक्टूबर को प्रो. एलन ने फिर दोहराया कि वह अपनी पुरानी भविष्यवाणी पर कायम हैं। उनका कहना है कि जितना कम अंतर संभव हो सकता है उतने से ही ट्रंप की जीत की ओर यह 13 संकेतक इशारा कर रहे हैं।

...तो ऐसे बना 'सिस्टम'

प्रोफेसर लिचमैन का सिस्टम उनके द्वारा 1860 से 1980 तक के राष्ट्रपति चुनावों के पैटर्न के अध्ययन पर आधारित है। वह मतदान के आंकड़ों, क्षेत्रीय जनसंख्या के आंकड़ों वगैरह पर भरोसा नहीं करते हैं। जब उनके छह या ज्यादा संकेतक पर सही होने का जवाब मिलता है तो सत्तारूढ़ दल के जीतने के संकेत मिलते हैं। छह से ज्यादा संकेतक जब 'गलत' की ओर संकेत करते हैं तो इसके मायने होते हैं कि सत्तारूढ़ दल हारने जा रहा है।

क्या हैं 13 संकेतक?

-पार्टी को जनादेश : मध्यावधि चुनाव के बाद यदि सत्तारूढ़ दल के पास पिछले मध्यावधि चुनावों की अपेक्षा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में ज्यादा सीटें हैं

-प्रतिस्पर्धा : सत्तारूढ़ दल के मनोनयन में कोई गंभीर प्रतिस्पर्धा ना हो।

-इनकंबैंसी : सत्तारूढ़ दल का प्रत्याशी वर्तमान राष्ट्रपति है।

-थर्ड पार्टी : किसी तीसरे दल या निर्दलीयों का कोई बड़ा अभियान नहीं है।

-अल्पकालिक अर्थव्यवस्था : चुनाव अभियान के दौरान अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर नहीं है।

-दीर्घ कालीन अर्थव्यवस्था : वर्तमान कार्यकाल में वास्तविक प्रति व्यक्ति आर्थिक वृद्धि पिछले दो कार्यकाल के दौरान की औसत वृद्धि के बराबर या अधिक है।

नीति में बदलाव : सत्तारूढ़ प्रशासन ने राष्ट्रीय नीति में बड़े बदलाव किए गए हैं।

-सामाजिक उथलपुथल : कार्यकाल के दौरान लगातार सामाजिक उथलपुथल का माहौल नहीं रहा है।

-स्कैंडल : सत्तारूढ़ प्रशासन पर किसी बड़े स्कैंडल का दाग नहीं लगा है।

-विदेश या सैन्य विफलता : सत्तारूढ़ प्रशासन को विदेश या सैन्य मामलों में कोई बड़ी विफलता नहीं मिली है।

-विदेश या सैन्य सफलता : सत्तारूढ़ प्रशासन को विदेश या सैन्य मामलों में कोई बड़ी सफलता मिली है।

-सत्तारूढ़ दल का चमत्कारिक प्रभाव : सत्तारूढ़ पार्टी का प्रत्याशी राष्ट्रीय हीरो या चमत्कारिक प्रभाव वाला है।

-प्रतिद्वंद्वी का प्रभाव : प्रतिद्वंद्वी पार्टी प्रत्याशी राष्ट्रीय हीरो यह चमत्कारिक प्रभाव वाला नहीं है।

लेकिन ट्रंप का कोई भरोसा नहीं

प्रोफेसर एलन का कहना है कि उनके छह संकेतक डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए बुरी खबर बता रहे हैं। यह मुख्यत: तीसरे संकेतक - थर्ड पार्टी - के विषय में है। लिबरटेरियन प्रत्याशी गैरी जॉन्सन को ५ फीसदी या ज्यादा वोट मिलते दिख रहे हैं। यह व्हाइट हाउस में जमे राजनीतिक दल के प्रति असंतोष का बड़ा संकेत है। इसके अलावा ट्रंप के खिलाफ महिलाओं के आरोपों की बौछार से किसी संकेतक में कोई बदलाव नहीं आया है।

लेकिन अब भी कुछ ऐसा हो सकता है जो डेमोक्रेट्स के पक्ष में पांसा पलट दे। उदाहरण के तौर पर गैरी जॉन्सन के पक्ष में वोट 5 फीसदी से नीचे जा सकते हैं। या फिर ट्रंप के अपारंपरिक कारनामे भविष्यवाणी के पूरे सिस्टम को ही पलट दें। यथास्थिति के खिलाफ चलने वाले ट्रंप कब क्या कर देंगे कोई नहीं जानता।

ताजा सर्वे ने ट्रंप को आगे किया

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के आखिरी चरण में डोनाल्ड ट्रंप ने हिलेरी क्लिंटन पर बढ़त बना ली है। एक ताजा सर्वे के मुताबिक ट्रंप एक फीसदी मत से आगे चल रहे हैं। वाशिंगटन पोस्ट और एबीसी न्यूज के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक एफबीआई द्वारा हिलेरी के ईमेल की फिर से जांच शुरू किए जाने का मतदाताओं पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसका असर सर्वे में दिखाई पडऩे लगा है। शनिवार और रविवार को कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक अब 46 फीसदी लोग ट्रंप को व्हाइट हाउस में देखना चाहते हैं जबकि हिलेरी के पक्ष में 45 फीसदी लोग ही हैं।

डेमोक्रेट दिखे रक्षात्मक मुद्रा में

ट्रंप समर्थक पूरे उत्साह के साथ अपने नेता के साथ खड़े हैं। 53 फीसदी ट्रंप समर्थकों का मानना है कि जीत उनकी ही होगी। दूसरी ओर चुनाव नजदीक आने के साथ ही हिलेरी समर्थकों का हौसला टूटता दिख रहा है। हिलेरी समर्थकों का मानना है कि डेमोक्रेट नेताओं ने ट्रंप के आक्रामक अभियान का मजबूती से मुकाबला नहीं किया। ट्रंप ने जब भी हिलेरी पर हमला बोला तो पार्टी के नेता रक्षात्मक मुद्रा में नजर आए।

हिलेरी विश्वास पैदा करने में जुटीं

वैसे हिलेरी अपने समर्थकों में विश्वास पैदा करने के लिए कहा है कि एफबीआई जांच से कुछ होने वाला नहीं है। इससे पहले हिलेरी को आठ अंक की बढ़त मिली हुई थी। हालिया चुनावी सर्वे के मुताबिक अब ट्रंप ने आठ फीसदी मतदाताओं में सेंध लगा दी है। ट्रंप ने हिलेरी पर बढ़त मिलने के बाद खुशी जताई और ईमेल मामले को लेकर हिलेरी पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया कि हिलेरी राष्ट्रपति बनने लायक नहीं हैं। वैसे बीबीसी ने अपने सर्वे में हिलेरी को ही आगे बताया है।

बीबीसी ने हिलेरी को बताया मजबूत

बीबीसी के मुताबिक हिलेरी को 49 फीसदी व ट्रंप को 46 फीसदी समर्थन मिलता दिख रहा है। सभी बड़े चुनावी सर्वे पर नजर रखने वाले रियल क्लियर पॉलिटिक्स के मुताबिक औसत चुनावी सर्वे में ट्रंप हिलेरी से 2.2 फीसदी अंक से पीछे चल रहे हैं। इसलिए अभी भी अगले अमेरिकी राष्ट्रपति को लेकर अनिश्चितता कायम है।

दिल खोलकर खर्च कर रहे दोनों

चुनाव नजदीक आने के साथ ही ट्रंप व हिलेरी दिल खोलकर पैसा खर्च कर रहे हैं। ट्रंप ने पिछले महीने अगस्त की तुलना में दूनी राशि खर्च की। एक मोटे अनुमान के मुताबिक उन्होंने करीब 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए। उनकी विरोधी हिलेरी क्लिंटन ने उनसे भी ज्यादा 83 मिलियन अमेरिकी डॉलर अपने अभियान पर खर्च किए।

व्हाइट हाउस तक पहुंचने के लिए दोनों अलग-अलग तरीकों से पैसा खर्च कर रहे हैं। ट्रंप विज्ञापन पर ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं। चुनाव जीतने के लिए दोनों ने अच्छी-खासी फौज जुटा रखी है। क्लिंटन जहां 800 लोगों को भुगतान कर रही हैं वहीं ट्रंप भी 350 कर्मचारियों और सलाहकारों पर पैसा खर्च कर रहे हैं। चुनाव अभियान पर अभी तक कम खर्च की बात करने वाले ट्रंप अभी तक टीवी विज्ञापनों को खारिज करते रहे हैं। लेकिन सितंबर में उन्होंने 23 मिलियन डॉलर खर्च किए। केलयाने कानवे कंपनी की सेवा लेने का असर ट्रंप के चुनावी अभियान पर दिखने लगा है और वे दिल खोलकर पैसा खर्च कर रहे हैं। वैसे, 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में 6.6 बिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान है। यह रकम पिछले चुनाव की तुलना में 300 बिलियन डॉलर ज्यादा है।

महिलाओं पर घिरे ट्रंप

महिलाओं के बारे में बयान और कुछ महिलाओं के ट्रंप पर दुराचार संबंधी आरोपों के बाद ट्रंप विरोधियों के निशाने पर हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इससे अमेरिकी चुनावों पर भी असर पडऩे से इनकार नहीं किया जा सकता। हाल ही में सामने आए साल 2005 के एक वीडियो में ट्रंप कह रहे हैं कि अगर आप एक स्टार हैं तो आप औरतों के साथ कुछ भी कर सकते हैं। इस वीडियो ने ट्रंप के लिए नई मुश्किल खड़ी कर दी है। वीडियो में ट्रंप टीवी होस्ट बिली बुश से कहते सुनाई दे रहे हैं कि वे किस तरह एक शादीशुदा महिला का पीछा कर रहे थे। ट्रंप शादीशुदा महिला के साथ सेक्स की इच्छा और किस करने जैसी बात करते सुने जा सकते हैं।

ट्रंप ने मांगी माफी

वीडियो के लीक होने के बाद ट्रंप ने कहा कि यह बातचीत लॉकर रूम में की गई मजाकिया बातचीत है और वे इसे खारिज करते हैं। उन्होंने अपने बचाव में कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने तो उनसे इससे भी अधिक बुरी बातें कहीं थीं। इस वीडियो के सामने आने के बाद हिलेरी ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर लिखा है कि हम इस आदमी को राष्ट्रपति बनने की इजाजत नहीं दे सकते हैं। वैसे ट्रंप ने महिलाओं के बारे में अपनी अश्लील टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है।

भारतीयों को जीतने की कोशिश

ट्रंप ने अमेरिका में रह रहे भारतीयों का समर्थन हासिल करने की जीतोड़ कोशिश की है। ट्रंप ने मोदी को महान बताने के साथ ही यहां तक कह डाला कि वे हिन्दुओं के बहुत बड़े फैन हैं। उड़ी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि अगर वे राष्ट्रपति बने तो सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ कड़ाई के साथ पेश आएंगे।

ट्रंप कड़े नियम के पक्ष में

वैसे ट्रंप ने पहले ऐलान किया था कि चुनाव जीतने पर वे अमेरिका आने वाले बाहरी लोगों के वालों के लिए नीतियों को कड़ा करेंगे और एच वन वीजा वालों के न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी करेंगे। इससे अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के लिए नौकरी के मौके घट सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 में अमेरिका के शैक्षिक संस्थानों में 103000 भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया। यह संख्या चीन के बाद सबसे ज्यादा है।

मुस्लिमों पर दिया था विवादास्पद बयान

वैसे ट्रंप का एक और ऐलान चिंता का विषय बना हुआ है। ट्रंप ने कहा है कि वे मुस्लिमों को अमेरिका में नहीं घुसने देंगे। भारत दुनिया में मुस्लिमों की जनसंख्या का दूसरा सबसे बड़ा देश है। दूसरी ओर हिलेरी क्लिंटन को भी भारतीयों का समर्थन हासिल है। ऐसा माना जाता है कि अपने पति क्लिंटन के कार्यकाल के दौरान भारत से संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही थी। विदेश मंत्री के रूप में अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने दोनों देशों के संबंधों को और मजबूती प्रदान की थी। आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ उनके कड़े रुख ने भी भारतीयों के दिलो-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ी थी। हिलेरी के अभियान प्रमुख जॉन पाडेस्टा ने कहा कि वे दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएंगी। उनके नेतृत्व में आर्थिक क्षेत्र में भी दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे।

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