बौखलाए चीन की बड़ी धमकी: 1962 की दिलाई याद, बोला- इस बार होगा ज्यादा बुरा
लद्दाख में गलवान घाटी में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। सीमा पर जवानों की शहादत के बाद भारत ने अपना रुख और सख्त कर लिया है।
नई दिल्ली: लद्दाख में गलवान घाटी में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। सीमा पर जवानों की शहादत के बाद भारत ने अपना रुख और सख्त कर लिया है। चीन से जारी विवाद के बीच भारत की तरफ से एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) पर सख्ती बढ़ा दी गई है। जिसके बाद चीन ने अपना पुराना रुख अपनाया है यानी उसने भारत को गीदड़भभकी दी है।
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1962 की लड़ाई से भी बुरा होगा हाल
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने धमकी भरे लहजे में लिखा है कि भारत जानता है कि चीन के साथ युद्ध नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर युद्ध होता है तो इस बार उसका हाल 1962 की लड़ाई से भी बुरा हाल होगा। अखबार में चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा गया है कि अगर नए सिरे से फिर से युद्ध किया जाता है तो भारत, चीन के साथ 1962 के सीमा विवाद के बाद और ज्यादा अपमानित होगा।
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चीन के प्रति भारतीयों की शत्रुता में भारी इजाफा
ग्लोबल टाइम्स ने एक चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत में राष्ट्रवाद ऊंचाइयों पर पहुंच गया है और चीन के प्रति भारतीयों की शत्रुता में भारी इजाफा हुआ है। जबकि चीनी विश्लेषकों और भारत के अंदर भी कुछ लोगों ने चेतावनी स्वरूप कहा था कि भारत को अपने राष्ट्रवाद में थोड़ा नरमी लाना चाहिए। अगर भारत विरोधी भावना को नियंत्रित नहीं करता और इस बार युद्ध हुआ तो भारत को और अधिक अपमान का सामना करना होगा।
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पीएम मोदी तनाव कम करते हुए दिखाई दिए
रिपोर्ट में पीएम मोदी के उस बयान का हवाला भी दिया गया, जिसमें उन्होंने सेना को आवश्यक कार्रवाई करने और जरूरी एक्शन लेने की पूरी छूट दी है। हिंसक झड़प पर मोदी ने कहा कि ना कोई हमारी सीमा के अंदर घुसा है और ना ही हमारी कोई पोस्ट कब्जे में है। रिपोर्ट में कहा गया कि पीएम मोदी तनाव कम करते हुए भी दिखाई दिए।
राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने में लगे PM मोदी
चीनी अखबार ने सीधेतौर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने में लगे हैं। ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि मोदी राष्ट्रवादियों और कट्टरपंथियों से बातचीत करने में जुटे हुए हैं। और वो खुद चीन के साथ जंग नहीं चाहते हैं। इसलिए वो तनाव को कम करने में लगे हैं।
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चीन की शक्ति को नजरअंदाज कर रहें राष्ट्रवादी
अखबार ने रविवार को लिखा कि चीन सैन्य क्षमता में भारत से मजबूत होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय प्रभाव से भी आगे हैं। भारत के राष्ट्रवादियों की तरफ से भले ही चीन की शक्ति को नजरअंदाज किया जा रहा है, लेकिन भारत सरकार और सैन्य नेतृत्व को चीन की शक्ति का अनुमान है। इसलिए वह तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
आपको बता दें कि इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीनी सेना की तरफ 70 से अधिक जवान घायल हुए थे।
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