कोरोना: 40 साल पीछे चलें जाएंगे दुनिया के ये 8 देश, जानिए भारत में कैसे होंगे हालात

विश्व बैंक ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी के कारण भारत समेत साउथ एशिया के देशों में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक ग्रोथ सबसे खराब रहेगी और यह पिछले 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ेगी।

Update:2020-04-12 13:01 IST

नई दिल्ली: विश्व बैंक ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी के कारण भारत समेत साउथ एशिया के देशों में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक ग्रोथ सबसे खराब रहेगी और यह पिछले 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ेगी।

विश्व बैंक की ओर से रविवार को साउथ एशिया की अर्थव्यवस्था पर आधारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साउथ एशिया के आठ देशों में 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष में आर्थिक ग्रोथ 1.8 फीसदी से लेकर 2.8 फीसदी तक रहेगी। यह 6 महीने पहले जताए गए 6.3 फीसदी की ग्रोथ के अनुमान से काफी कम है।

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भारत की आर्थिक ग्रोथ 1.5% से 2.8% के मध्य रहने का अनुमान

विश्व बैंक ने कहा है कि इस क्षेत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी है और चालू वित्त वर्ष में इसमें 1.5 फीसदी से लेकर 2.8 फीसदी तक की ग्रोथ रहने का अनुमान है। हालांकि बैंक ने 31 मार्च 2020 को खत्म हुए वित्त वर्ष 2019-2020 में 4.8 से 5 फीसदी की आर्थिक ग्रोथ रहने का अनुमान जताया है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2019 के अंत में दिखाई दे रहे रिकवरी के संकेत इस वैश्विक संकट के कारण समाप्त हो गए हैं।

पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मालदीव में आएगी मंदी

विश्व बैंक की रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि कोरोना संकट के कारण श्रीलंका, नेपाल भूटान और बांग्लादेश की आर्थिक ग्रोथ में तेज गिरावट होगी। वहीं पाकिस्तान, अफगानिस्ता और मालदीव में मंदी आने का संकट बना हुआ है।

विश्व बैंक ने यह रिपोर्ट सभी देशों के 7 अप्रैल तक के डाटा के आधार पर बनाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए उपायों से पूरे साउथ एशिया में सप्लाई चेन प्रभावित हो गई है। सात अप्रैल तक इन देशों में कोरोना संक्रमण के करीब 13 हजार मामले थे, जो विश्व के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी कम हैं।

लॉकडाउन के कारण घरों पर रहने को मजबूर भारत के 130 करोड़ लोग

रिपोर्ट में कहा गया है भारत में चल रहे लॉकडाउन के कारण करीब 130 करोड़ लोग घरों में रहने के लिए मजबूर हैं और करोड़ों लोगों का कामधंधा छूट गया है। लॉकडाउन के कारण छोटे और बड़े सभी प्रकार के कारोबार प्रभावित हुए हैं और प्रवासी कामगार शहरों को छोड़कर अपने गांवों को चले गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि यह लॉकडाउन और आगे बढ़ाया जाता है तो इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को काफी बड़ा झटका लगेगा।

 

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बैंक और सरकारों ने किए हैं कई उपाय

विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए बैंकों और सरकारों ने कई कदम उठाए हैं। सरकारों ने जहां बेरोजगार प्रवासी मजदूरों के लिए कई घोषणाएं की हैं, वहीं बैंकों ने कारोबारी और व्यक्तिगत कर्ज को लेकर कई प्रकार की राहत दी हैं।

भारत सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद के लिए 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है। वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए 45 हजार करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया है।

रिपोर्ट में विश्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी हर्त्विज शेफर ने कहा है कि साउथ एशिया के देशों की सरकारों को इस वायरस के संक्रमण को रोकने और अपने लोगों को बचाने पर फोकस करना चाहिए। खासतौर पर ऐसे गरीब लोगों पर ध्यान देना चाहिए जिनके स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर इस महामारी का असर पड़ा है।

साउथ एशिया में शामिल देश

भारत

श्रीलंका

बांग्लादेश

भूटान

नेपाल

पाकिस्तान

मालदीव

अफगानिस्तान

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