आएंगे भयानक भूकंप: देखें कैसे भारत की टेक्टॉनिक प्लेट सरक रही, कांप जाएंगे आप

New Tectonic Plate Map: भारतीय प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट की तरफ खिसक रही है। भू वैज्ञानिकों ने इस बारे में नहीं बताया है, कि इससे क्या असर होगा?

Written By :  aman
Update:2022-06-09 19:39 IST

प्रतीकात्मक चित्र 

New Maps Of Global Geological Provinces: धरती के वैश्विक भूवैज्ञानिक प्रांतों (Global Geological Provinces) अर्थात जमीनी इलाकों और टेक्टोनिक प्लेटों का नया नक्शा बनाया गया है। इसी के चलते धरती की ऊपरी परत में बदलावों का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। माना जा रहा है कि यह नया नक्शा उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन करते हैं।

यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड (University of Adelaide, Australia) में डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेज के लेक्चरर डॉ. डेरिक हैस्ट रॉक और उनके साथियों ने की है।

नया नक्शा और नई तस्वीर बनाते हैं 

अपने इस अध्ययन में डॉ. डेरिक ने बताया, कि 'हमने प्लेटों की बाउंड्री जोन तथा पुराने महाद्वीपीय क्रस्ट के ढांचे के निर्माण की तुलना की। उन्होंने बारीकी से इसका अध्ययन किया। स्टडी में पता चला कि ये महाद्वीप जिगसॉ की तरह जुड़े हुए हैं। ये हर बार एक पहेली की तरह जुड़ते और टूटते रहते हैं। ये एक नई तस्वीर और नया नक्शा बना देते हैं।' 

भारत यूरोप की तरफ खिसक रहा 

डॉ. डेरिक आगे कहते हैं, 'यह हमारे अध्ययन में इस बात में मदद करेगी, कि कैसे हम हर टुकड़े को जोड़कर पुरानी की तुलना में नई तस्वीर बना सकें। इस नक्शे में दो नई बातें भी सामने आई हैं। पहली ये कि इंडियन प्लेट और ऑस्ट्रेलियन प्लेट के बीच माइक्रोप्लेट (Microplate) को नक्शे में शामिल किया गया है। दूसरा, ये कि भारत यूरोप की तरफ खिसक रहा है। 

बन रहे तीन मॉडल 

डॉ. डेरिक ने ये भी बताया कि, टेक्टोनिक प्लेट्स की बाउंड्री जोन धरती के क्रस्ट का 16 प्रतिशत हिस्सा कवर करती है। जबकि, महाद्वीप का 27 फीसद हिस्सा हमने नई स्टडी से तीन नए जियोलॉजिकल मॉडल्स बनाए हैं। पहला प्लेट मॉडल , दूसरा प्रोविंस मॉडल और तीसरा ओरोगेनी मॉडल है। ओरोगेनी मॉडल का अर्थ होता है पहाड़ों के बनने की प्रक्रिया। 

धरती पर कुल 26 ओरोगेनीस  

जानकारी के लिए बता दें कि, इस धरती पर 26 ओरोगेनीस हैं। कहने का मतलब है कि, ये क्रस्ट के मूवमेंट या प्लेटों के टकराने से बनी हैं। पहाड़ों की ये सभी 26 ओरोगेनीस धरती के वर्तमान आर्किटेक्चर से मिलती है। इनमें से कई प्लेटें सुपरकॉन्टिनेंट निर्माण में मदद करती आई हैं। इस बारे में डॉ. डेरिक ने कहा, कि 'उनका काम टेक्टोनिक प्लेट्स के निर्माण का अध्ययन करना है। साथ ही, उनके अपडेटेड बाउंड्री को समझना है। जिससे भूकंप और ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का आकलन किया जा सके।' 

2003 से अपडेट नहीं हुआ था 

डेरिक बताते हैं कि, अभी जो टेक्टोनिक प्लेट का नक्शा था वह टोपोग्राफिक मॉडल्स और वैश्विक भूकंपीय गतिविधियों पर आधारित था। उसे वर्ष 2003 से अपडेट नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, हमारे नए नक्शे में कई माइक्रोप्लेट्स भी शामिल हैं। जैसे- तस्मानिया के दक्षिण में स्थित मैक्वायर माइक्रोप्लेट और कैप्रिकॉर्न माइक्रोप्लेट। ये भारत और ऑस्ट्रेलियन प्लेट को अलग करती है।

भारत से जुड़ा क्या? 

बता दें कि, सबसे बड़ा बदलाव मध्य एशिया में आया है। नए मॉडल से पता चलता है कि भारत के उत्तर में एक डिफॉर्मेशन जोन दिखाई दे रहा है। क्योंकि, भारतीय प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट की तरफ खिसक रही है। हालांकि, भू वैज्ञानिकों ने इस बारे में नहीं बताया है, कि इससे क्या असर होगा? भारत की भौगोलिक और भूगर्भीय स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ेगा। मगर, यह तय है कि भविष्य में भारत पर इसका सकारात्मक असर तो नहीं ही होगा। 

यह 20 लाख सालों की कहानी बताता है

यह अध्ययन हाल ही में अर्थ-साइंस रिव्यू जर्नल में प्रकाशित हुई है। डॉ. डेरिक ने कहा, कि हमारा नक्शा पिछले 20 लाख सालों में धरती पर आए 90 प्रतिशत भूकंपों तथा 80 फीसद ज्वालामुखी विस्फोटों की पूरी कहानी बताता है।

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