इंडोनेशिया में क्यों लग गए लाशों के ढेर, वजह जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे
Indonesia Coronavirus : कोरोना संक्रमण के मामलों में इंडोनेशिया एशिया का टाॅप देश बन गया है। इंडोनेशिया में एक बड़ी आबादी ने तमाम भ्रांतियों के चलते वैक्सीन से दूरी बना ली है।
Indonesia Coronavirus: इंडोनेशिया में आज कोरोना विस्फोट हो चुका है। विश्व की चौथी सबसे अधिक आबादी वाला देश इंडोनेशिया इस समय एशिया में टॉप पर पहुंच (Asia Top Covid-19 Cases Country) कर कोरोना महामारी से सर्वाधिक पीड़ित दिखाई दे रहा है। हालांकि ब्राजील (Brazil) के बाद दूसरे नंबर पर आ चुके इंडोनेशिया की इस भयानक हालत के लिए कौन जिम्मेदार है, यह सबसे बड़ा सवाल है। आंकड़े बताते हैं कि रविवार को इंडोनेशिया में 1093 लोगों की मौत हुई और 44621 कोरोनावायरस के नये मामले आए जबकि शनिवार को इंडोनेशिया (Indonesia Corona Deaths) में 1092 लोगों की डेथ हुई। हालांकि ब्राजील में 868 लोगों की मौत हुई थी।
इस संबंध में सबसे अहम बात यह सामने आई है कि मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश इंडोनेशिया में एक बड़ी आबादी ने तमाम भ्रांतियों के चलते वैक्सीन से दूरी बना ली जिसका नतीजा आज देश को भुगतना पड़ रहा है।
इंडोनेशिया में कोरोना केस बढ़ने की वजह
वैक्सीन हलाल है या हराम इस पर कुछ देशों में बहस की शुरुआत दिसंबर 2020 में ही हो गई थी। विवाद की शुरुआत तब हुई इंडोनेशिया के मुस्लिम मौलवियों की एक शीर्ष संस्था इंडोनेशियन उलेमा काउंसिल ने इस वैक्सीन के लिए हलाल सर्टिफ़िकेट जारी करने के लिए कहा।
इस्लाम में उन उत्पादों को 'हलाल' कहा जाता है जिनमें 'हराम' चीज़ों का इस्तेमाल नहीं होता है। उदाहरण के लिए शराब या सूअर का मांस। हाल के सालों में हलाल ब्यूटी प्रॉडक्ट्स का फैशन मुस्लिम और ग़ैर-मुस्लिम देशों में काफ़ी बढ़ा है। कहा जाता है कि किसी वैक्सीन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए सूअर की हड्डी, चर्बी या चमड़ी से बनी जेलेटिन का इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि कुछ कंपनियों ने कई सालों तक काम करके इसके बिना वैक्सीन बनाने में सफलता पाई है।
वैक्सीन पर अफवाहें
कोरोना वैक्सीन के हलाल या हराम होने पर बहस यहीं ख़त्म नहीं हुई कहा गया कि पोर्क की जेलेटिन के इस्तेमाल से इतर कोरोना वैक्सीन को बनाने के लिए सूअर के डीएनए का इस्तेमाल किया गया है। जबकि फ़ाइज़र, मोडेर्ना और एस्ट्राज़ेनेका कंपनियों ने बयान जारी कर कहा कि उनकी वैक्सीन में पोर्क के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
बावजूद इसके जनता कठमुल्लाओं की बातों में आ गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इंडोनेशिया कोरोना महामारी का नया केंद्र बन गया है पिछले 7 दिनों के आंकडों के मुताबिक इंडोनेशिया में 28 लाख नए मामले आए हैं और 73,582 लोगों की मौत हुई है, जबकि अमेरिका में 34 लाख मामले अब तक आए हैं और 6,09,000 लोगों की मौत हुई। उधर ब्राजील में 540000 लोगों की मौत हुई है। इंडोनेशिया सरकार ने कोरोना विस्फोट के खतरे को भांपते हुए इसकी रफ्तार को रोकने के लिए तीन जुलाई से कड़े प्रतिबंध लगाने शुरू किए, ऐसा समझा जा रहा है इंडोनेशिया में मंगलवार से और कड़े प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे।
अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी
कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए वहां के अस्पतालों में ऑक्सीजन का संकट हो गया है मरीजों को अस्पतालों में बैड नहीं मिल रहे हैं। सरकार अस्पतालों में बेड के संकट और ऑक्सीजन टैंक को आयात करने की कोशिश कर रही है। वहां पर करीब 650 लोगों की होम आइसोलेशन के दौरान मौत हो गई है जबकि उन्हें अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिले।
यानी हालात भारत में कोरोना की दूसरी लहर की तरह के हैं। जिन का सामना भारत अप्रैल मई में कर चुका है। सबसे बड़ा सवाल यह है इंडोनेशिया में यह हालात क्यों बने और क्या वजह थी कि कोरोनावायरस के डेल्टा वैरीएंट ने वहां तबाही मचा दी, लाशों का ढेर लगा दिया। आज हालात ये हैं कि इंडोनेशिया में सोशल मीडिया मरे हुए लोगों की तस्वीरों से पटा हुआ है। अस्पतालों में बिस्तर नहीं है। कब्रिस्तानों में शव दफनाने के लिए जगह की कमी पड़ गई है।
टीकाकरण की धीमी रफ्तार
इंडोनेशिया में इसकी सबसे बड़ी वजह है देश में टीकाकरण धीमी रफ्तार। अब तक वहां सिर्फ 11 फीसदी आबादी का ही टीकाकरण हुआ है। इसकी वजह यह है कि इस देश में अफवाहों का बाजार गर्म रहा। लोग वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाते रहे। जिसके चलते लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई और इसकी कीमत आज इंडोनेशिया को चुकानी पड़ रही है। वहां पर 28 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 70 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
इंडोनेशिया का यह हाल तब है जबकि वहां की सरकार ने फरवरी में ही वैक्सीन नहीं लगवाने वालों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए उन लोगों को सजा देने की तैयारी की थी जो टीका लगवाने से मना करें। नियम के अनुसार सामाजिक सहायता समूह और प्रशासनिक सेवाओं को रोकने या देरी करते हुए टीका लगाने से इनकार करने वालों को सरकार दंडित कर सकती है। उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
कोरोना संकट से जुझ रहा इंडोनेशिया
अगर अगर भारत अमेरिका समेत तमाम देशों को देखें तो इन देशों में कोरोना वैक्सीन की प्रक्रिया को अनिवार्य नहीं बनाया कि जिस मन होगा वह वैक्सीन लगवा लें लेकिन इंडोनेशिया में वैक्सीन लगाने के प्रति लोगों की हिचकिचाहट को देखते हुए यह असामान्य कदम उठाना पड़ा वहां पर मूल चिंता यह है कि वैक्सीन का क्या असर होगा। स्वास्थ्य पर स्थायी दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा। इस सबसे बढ़कर वहां कि आबादी इस बात को लेकर परेशान है कि वैक्सीन हलाल है या नहीं जबकि वहां के राष्ट्रपति खुद वैक्सन लगवा चुके हैं। और यही वजह है कि सरकार की सख्ती के बावजूद वहां पर लोग वैक्सीन लगवाने के लिए आगे नहीं आए और आज यह देश एक बड़े संकट की चपेट में आ गया।