US हमले के बाद ये खतरनाक कदम उठाने जा रहा ईरान! दुनिया में मचा हाहाकार

अमेरिका और ईरान में तनाव चरम पर है। अमेरिका ने बगदाद हवाई अड्डे पर मिसाइल से हमला किया है जिसमें इलाइट कुड्स फोर्स के हेड ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी, इराकी मिलिशिया कमांडर अबू महदी अल-मुहांडिस समेत 7 लोग मारे गए हैं।

Update:2020-01-03 15:11 IST

नई दिल्ली: अमेरिका और ईरान में तनाव चरम पर है। अमेरिका ने बगदाद हवाई अड्डे पर मिसाइल से हमला किया है जिसमें इलाइट कुड्स फोर्स के हेड ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी, इराकी मिलिशिया कमांडर अबू महदी अल-मुहांडिस समेत 7 लोग मारे गए हैं। अमेरिकी स्ट्राइक के बाद इराकी मिलिशिया ने इनके मारे जाने की पुष्टि की है। इसके बाद अमेरिका और ईरान में तनाव बहुत अधिक बढ़ गया है।

अमेरिका और ईरान के बीच जब भी तनाव बढ़ा है तब-तब फारस की खाड़ी में गंभीर परिणाम हुए हैं जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। ईरान दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण तेल धमनी हॉर्मूज जलडमरूमध्य को बंद करने की तैयारी में है। वह कभी भी ऐलान कर सकता है कि अमेरिका से सैन्य तनाव बढ़ने की वह हॉर्मूज जलडमरूमध्य को बंद कर दिया है।

हॉर्मूज जलडमरूमध्य ऐसी जगह है जो पूरी दुनिया के तेल व्यापार पर असर डालती है। अगर ईरान हॉर्मूज जलडमरूमध्य बंद करता है तो तेल के लिए दुनिया भर में हाहाकार मच जाएगा। ईरान इसलिए इसे लेकर दुनिया में ताकत दिखता है।

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सऊदी अरब, इराक, यूएई, कुवैत, कतर और ईरान का ज्यादातर तेल का निर्यात हॉर्मूज जलडमरूमध्य के माध्यम से होता है। अगर ईरान यह खतरनाक कदम उठाता है, तो दुनिया में हाहाकार मचना तय है।

इस रास्ते से प्रत्येक दिन करीब 15 मिलियन बैरल्स प्रतिदिन तेल की सप्लाई होती है। अगर यह बंद होता है तो अमेरिका, यूके समेत कई देशों में तेल की किल्लत हो जाएगी। तेल के दाम में आग लग जाएगी। इसके साथ ही खाड़ी देशों में हालात बिगड़ेंगे और युद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी।

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अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ा तनाव एक और खाड़ी युद्ध की ओर इशारा कर रहा है। अगर ऐसा होता तो भारत और चीन के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। क्योंकि चीन और भारत दोनों के सामने ऊर्जा सुरक्षा को लेकर एक और चुनौती पैदा हो गई है।

1980-1988 में ईरान-इराक युद्ध के वक्त दोनों देशों ने एक दूसरे के तेल एक्सपोर्ट पर हमला किया था जिसे टैंकर वॉर नाम दिया गया था। उस समय भी हॉर्मूज जलडमरूमध्य से तेल व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ा था।

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उस समय अमेरिका ने बहरीन में यूएस फिफ्थ फ्लीट (युद्धपोतों के बेड़े) को व्यापारी जहाजों की सुरक्षा के लिए फारस की खाड़ी में उतारा था। यूएस फिफ्थ फ्लीट की यह जिम्मेदारी थी कि हॉर्मूज जलडमरूमध्य में तेल के व्यापार को सुचारू रूप से चलाए।

अमेरिका की दखल अंदाजी के बाद ईरान के परमाणु योजना को शुरू करने की कोशिश की थी, हालांकि अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण अमेरिका ने इस पर लगाम कस दी। फिर 2015 में अमेरिका ने ईरान के साथ किए गए परमाणु करार से खुद को अलग कर लिया था।

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यह परमाणु करार साल 2015 में ईरान और 6 वैश्विक शक्तियों के बीच हुआ था। इन शक्तियों में अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और ईरान शामिल थे। इस परमाणु समझौते के तहत ईरान पर परमाणु कार्यक्रम बंद करने पर प्रतिबंध हटाने की बात कही गई थी।

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