Japan Moon Landing: जापान ने चांद को किया फतह, अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग

Japan Moon Landing: लैंडिंग के साथ, अमेरिका, रूस, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा पर यान उतारने वाला पांचवां देश बन गया।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-01-20 11:09 IST

Japan Moon sniper   (photo: social  media )

Japan Moon Landing: जापान ने चन्द्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान "मून स्नाइपर" सफलतापूर्वक लैंड कराके इतिहास रच दिया है। लैंडिंग के साथ, अमेरिका, रूस, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा पर यान उतारने वाला पांचवां देश बन गया।

स्मार्ट लैंडर की टारगेट लैंडिंग

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जक्शा) के अधिकारियों ने कहा कि उनके "स्मार्ट लैंडर" ने चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की और उच्च-सटीक लैंडिंग के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया। हालांकि यह पुष्टि अभी नहीं हुई है कि लैंडर ने अपने लक्ष्य स्थल के 100 मीटर के भीतर उतरने का लक्ष्य हासिल किया कि नहीं। अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष हिरोशी यामानाका ने एजेंसी के सगामिहारा परिसर में सुबह तड़के आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा - "हमें लगता है कि हम सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहे हैं। लैंडिंग के बाद अब डेटा लगातार पृथ्वी पर भेजा जाता है, जो इस बात का सबूत है कि सॉफ्ट लैंडिंग का हमारा लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।"

सोलर पैनल अभी बन्द

एजेंसी ने बताया कि लैंडर पर लगे सौर पैनल बिजली पैदा नहीं कर रहे थे और लैंडर को उसकी ऑनबोर्ड बैटरी से ऊर्जा मिल रही थी, जो केवल कुछ ही घंटों तक चलेगी। उन्होंने कहा कि सौर पैनलों से बिजली की कमी लैंडर की गतिविधियों की अवधि को सीमित कर सकती है, लेकिन उन्होंने कहा कि वे अपनी शक्ति के साथ जितना संभव हो उतना पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे। अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि बैटरी पावर खत्म होने का मतलब मिशन का अंत नहीं है। लैंडिंग के दौरान सौर पैनल क्षतिग्रस्त होने की भी आशंका नहीं है क्योंकि अंतरिक्ष यान का बाकी हिस्सा बरकरार है। माना जा रहा है कि जैसे ही आने वाले हफ्तों में सूर्य का कोण बदल जाएगा, पैनल बिजली पैदा करना शुरू कर सकते हैं। अगर सोलर पैनल ठीक से काम करेंगे तो लैंडर कई दिनों तक काम करेगा। बता दें कि चंद्रमा के दिन का तापमान लगभग 100 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है जिसमें पैनल नष्ट हो सकते हैं।

अंतरिक्ष प्रोग्राम का बढ़ावा

चंद्रमा पर टचडाउन से जापान के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बहुत बढ़ावा मिलेगा। इसके पहले जापान ने मार्च 2023 में अपने एच 3 फ्लैगशिप रॉकेट की लॉन्च विफलता सहित कई असफलताओं का अनुभव किया है।

अंतरिक्ष एजेंसी के इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एंड एस्ट्रोनॉटिकल साइंस के उप महानिदेशक मासाकी फुजीमोटो ने कहा - चंद्रमा पर उतरना एक बेहद कठिन चुनौती है। मैं चाहता हूं कि बच्चे इस तरह की चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं से निपटें और अपने हितों को आगे बढ़ाएं।

Tags:    

Similar News