जमीन का बदलता उपयोग ग्लोबल वार्मिंग का कारण
जलवायु बेबसाइट एल डोराडो के मुताबिक मध्य भारत के कुछ शहरों को दुनिया के 15 सबसे गर्म शहरों में शामिल किया जा सकता है। इन्हें अर्बन हीट आइलैंड या ही आइलैंड कहा जाने लगा है। अगर हवा की गति कम है तो शहरों को अर्बन हीट आइलैंड बनते आसानी से देखा जा सकता है।
लखनऊ: लगातार बढ़ रही गर्मी हम सबके लिए चिंता का विषय है। हर आदमी यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उफ पहले तो इतनी गर्मी नहीं थी। भारतीय मौसम विभाग की मानें तो 1901 के बाद 2018 सबसे गर्म साल रहा। अनुमान के मुताबिक इस साल औसत तापमान में आधा दर्जन डिग्रीसेल्सियस की बढ़ोतरी होगी।
भारत 15 शहर दुनिया के सबसे गर्म शहरों में
जलवायु बेबसाइट एल डोराडो के मुताबिक मध्य भारत के कुछ शहरों को दुनिया के 15 सबसे गर्म शहरों में शामिल किया जा सकता है। इन्हें अर्बन हीट आइलैंड या ही आइलैंड कहा जाने लगा है। अगर हवा की गति कम है तो शहरों को अर्बन हीट आइलैंड बनते आसानी से देखा जा सकता है।
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पिछले काफी समय से शहरों का स्वरूप बदला है। पेड़ काटे जा रहे हैं। इमारतों की संख्या बढ़ रही हैं। पक्की सड़कों का विस्तार हो रहा है। एसी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि शहरों में बढ़ते निमार्ण कार्य और उसके बदलते स्वरूप के चलते हवा की गति कम हुई है। शहरों का न्यून्तम तापमान बढ़ रहा है। अधिकतम तापमान में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
तामपान अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
इसकी वजह केवल ग्लोबलवार्मिंग नहीं है। बल्कि जमीन का बदलता उपयोग भी एक बड़ा कारण है। तारकोल की सड़क और कंकरीट की इमारत गर्मी अपने अंदर सोखती है और बाद में उसे दोपहर और रात में छोड़ती है। 1893 में भी तामपान अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। सौ साल का रिकॉर्ड उसने तोड़ा था। 2018 में भी ऐसा हुआ।
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जाहिर है कि सिर्फ ग्लोबलवार्मिंग कारण होता तो 1893 में तापमान अपने रिकॉर्ड स्तर पर नहीं पहुंचता। मूलतः इसकी वजह हवा के रुख में देखना चाहिए। आज मुंबई और पुणे के बीच कई शहर हैं, कभी समुद्री हवाएं बिना रोक-टोक के मुंबई से पुणे पहुंच जाती थीं।