Lipulekh Pass Dispute: लिपुलेख सड़क पर फिर नेपाल की नाराजगी, निर्माण बंद करने की मांग

Lipulekh Pass Dispute: लिपुलेख क्षेत्र में एक सड़क को लेकर नेपाल (Nepal) ने भारत पर उंगली उठाई है। नेपाल ने भारत से अपने ईस्ट काली नदी क्षेत्र में सड़कों के "एकतरफा निर्माण और विस्तार" को रोकने के लिए कहा है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update: 2022-01-17 07:55 GMT

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Lipulekh Pass Dispute: लिपुलेख क्षेत्र में एक सड़क को लेकर नेपाल (Nepal) ने भारत पर उंगली उठाई है। नेपाल ने भारत से अपने ईस्ट काली नदी क्षेत्र में सड़कों के "एकतरफा निर्माण और विस्तार" को रोकने के लिए कहा है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 30 दिसम्बर को हल्द्वानी में आयोजित चुनावी रैली (PM Modi Haldwani Rally) में अपने भाषण के दौरान लिपुलेख क्षेत्र में सड़क का विस्तार करने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार उत्तराखंड के लिपुलेख में बनी सड़क को और चौड़ा कर रही है।

अब नेपाल के सूचना और प्रसारण मंत्री और कैबिनेट के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की (Gyanendra Bahadur Karki) ने कहा है कि काली नदी के पूर्व में लिम्पियाधुरा (Limpiyadhura), लिपुलेख (Lipulekh) और कालापानी क्षेत्र (Kalapani) नेपाल का अभिन्न अंग हैं और भारत को सड़कों के किसी भी निर्माण या विस्तार को रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत के बीच किसी भी सीमा विवाद (India-Nepal Border Dispute) को ऐतिहासिक दस्तावेजों, नक्शों और दस्तावेजों के आधार पर राजनयिक चैनलों के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए। ऐसा काम होना चाहिए जो दोनों देशों के बीच मौजूद द्विपक्षीय संबंधों की भावना के अनुरूप हों।

काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास (Indian Embassy) ने 15 जनवरी को कहा था कि नेपाल के साथ अपनी सीमा पर भारत की स्थिति सर्वविदित, सुसंगत और स्पष्ट है। भारत-नेपाल सीमा के सवाल पर नेपाल में हाल की रिपोर्टों और बयानों पर मीडिया के सवालों के जवाब में भारतीय दूतावास के प्रवक्ता ने कहा था कि भारत-नेपाल सीमा पर भारत सरकार की स्थिति सर्वविदित, सुसंगत और स्पष्ट है। इसकी सूचना नेपाल सरकार (Nepal Government) को दे दी गई है। इस बयान के अगले दिन ही नेपाल के मंत्री का बयान आया है। 

लिपुलेख सड़क निर्माण (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

क्या है लिपुलेख मामला

उत्तराखंड में धारचूला से आगे 17.60 फुट की ऊंचाई पर हिमालय पर्वत श्रंखला में लिपुलेख दर्रा (Lipulekh Pass) है। ये दर्रा भारत, नेपाल और चीन के त्रिमुहाने पर स्थित है। लिपुलेख दर्रे के आगे तिब्बत में तकलकोट या पुरंग नामक ट्रेडिंग पॉइंट (Purang Trading Point) है, जहां से प्राचीन काल से व्यापार होता आया है। पुरंग से होकर ही कैलाश मानसरोवर (Kailash Mansarovar) के लिए तीर्थयात्री जाते हैं।

चीन की परेशानी

भारत ने धारचूला से लिपुलेख तक की 80 किलोमीटर की बढ़िया सड़क बना दी है। इस सड़क के बनने से चीन बौखलाया हुआ है और उसने नेपाल को भी भारत के खिलाफ भड़काया है। चीन का मानना है कि भारत – नेपाल – चीन के त्रिमुहाने पर भारत की निर्माण गतिविधियां चीन के लिए खतरनाक हैं। 80 किलोमीटर की सड़क बन जाने से भारत की सीधी पहुंच तिब्बत में पुरंग से हो कर गुजरने वाली कंक्रीट की हाईवे तक हो जाएगी। चीन ने पुरंग में सीमा सुरक्षा के लिहाज से सड़क बना रखी है। चीन को लगता है कि भारत इस क्षेत्र में नेपाल की भौगोलिक स्थिति का फायदा उठा कर चीन को चुनौती दे सकता है। इसके चलते ऐसा माना जाता है कि चीन ने नेपाल को लिपुलेख या कालापानी को अपना क्षेत्र बताने के लिए उकसाया है।

भारत और नेपाल के बीच 1950 में एक मैत्री संधि हुई थी जिसके बाद से दोनों देश दोस्ताना रिश्ते निभाते आए हैं। 1962 में चीन से युद्ध के कारण भारत ने लीपुलेख दर्रे को बंद कर दिया था और नेपाल को मजबूरन टिंकर दरी से होकर व्यापार करना पड़ा था। उसके बाद 1997 में जब भारत और चीन ने लिपुलेख दर्रे को दोबारा खोल दिया तब नेपाल ने इसका काफी विरोध किया था। अब लिपुलेख तक सड़क बन जाने से भी नेपाल नाराज है जबकि भारत ने साफ कर दिया है ये सड़क कहीं भी नेपाल के क्षेत्र से हो कर नहीं गुजरती है। 

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