Lunar Eclipse 2021: आज साक्षी बनिए दो खगोलीय घटनाओं के-पूर्ण चंद्र ग्रहण और सुपरमून

अलग-अलग सम्यताओं में भिन्न-भिन्न मान्यताएं और धारणाएं हैं, लेकिन ये सि़द्ध हो चुका है कि ये मात्र एक खगोलीय घटना है

Written By :  Pallavi Srivastava
Update:2021-05-26 13:32 IST

Chandra Grahan 2021 : आज 26 मई वर्ष 2021 को साल का पहला चंद्रग्रहण है। जो दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर और शाम 07 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा। किसी भी ग्रहण को धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। 26 मई यानी आज वैशाख मास की पूर्णिमा है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी हमलोग जानते हैं। ये चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा। खगोल वैज्ञानिकों और ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक ये एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो दुनिया के कई देशों में दिखाई देगा। कई सम्यताओं की अलग-अलग मान्यताएं और धारणाएं भी अलग अलग हैं लेकिन अब ये सि़द्ध हो चुका है कि ये मात्र एक खगोलिय घटना है जिसे पूर्ण उत्साह के साथ देखना चाहिए। और ब्राहमाण्ड में हो रही इस विचित्र घटना को अपने जीवन में एक चमकते मोती की तरह पिरो लेना चाहिए।



आज दो खगोलीय घटनाएं घटेंगी

26 मई को एक साथ दो खगोलीय घटनाएँ घटेंगी। एक सुपरमून है और दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण है, जो तब होता है जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के विपरीत दिशा में होते हैं। पूर्ण चंद्रग्रहण के कारण चंद्रमा भी लाल दिखाई देगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि पृथ्वी सूर्य से कुछ प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकेगी और जैसे ही पृथ्वी का वातावरण प्रकाश को फिल्टर करता है, यह हमारे ग्रह की छाया के किनारे को नरम कर देगा चंद्रमा को एक गहरी, गुलाबी चमक देगा।



भारत में नहीं दिखेगा चंद्र ग्रहण

ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है और इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसके बावजूद इस चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्व है। उपच्छाया ग्रहण को ज्योतिष ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखता और इसके प्रभाव व सूतक काल पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। पूर्ण ग्रहण के समय भारत के अधिकांश हिस्सों में चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के अधिकतर लोग पूर्ण चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे।



इन देशों में दिखाई देगा चंद्र ग्रहण

26 मई को चंद्र ग्रहण पूर्वी एशिया, उत्तरी व दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों सहित और ऑस्ट्रेलिया से यह पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा। यह चंद्र ग्रहण जापान, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, बर्मा, सिंगापुर, फिलीपींस, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका में भी पूर्ण व स्पष्ट दिखाई देगा।



चंद्र ग्रहण या  ब्लड मून को लेकर विदेशों में अलग अलग मान्यताएं

26 मई को होने वाली दो खगोलीय घटनाए पूर्ण चंद्र ग्रहण और सुपरमून दोनों है। ब्लड मून (पूर्ण चंद्र ग्रहण) शब्द को 2013 में ईसाई मंत्री जॉन हेगी द्वारा पुस्तक फोर ब्लड मून्स के विमोचन के बाद लोकप्रिय किया गया था। वह एक सर्वनाशकारी विश्वास को बढ़ावा देता है जिसे ब्लड मून भविष्यवाणी के रूप में जाना जाता है। भविष्यवाणी को 2014 में माइक मूर (इजरायल के ईसाई गवाह के महासचिव) द्वारा खारिज कर दिया गया था, लेकिन यह शब्द अभी भी नियमित रूप से मीडिया द्वारा उपयोग किया जाता है और चंद्र ग्रहण के लिए एक चिंताजनक पर्याय बन गया है।



मेसोपोटामिया सभ्यता में चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यताएं

दुनिया भर की संस्कृतियों ने चंद्र ग्रहण को बदलते भाग्य या दुर्भाग्य का संकेत माना है। प्राचीन मेसोपोटामिया के लोगों ने सोचा कि चंद्र ग्रहण राजा पर हमला था और चंद्र ग्रहण के दौरान छद्म राजाओं को स्थापित किया ताकि उनके शासकों को कोई नुकसान न पहुंचे।



हूपा और लुइसेनो जनजातियों में चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यताएं

कैलिफोर्निया की हूपा और लुइसेनो जनजातियों ने सोचा कि चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा घायल या बीमार है। इसलिए लुइसेनो लोग अंधेरे चंद्रमा की ओर उपचार गीत गाते थे और पारंपरिक नृत्य करते थे ।


इंका सभ्यता में चंद्रमा को लेकर मान्यता

प्राचीन इंका सभ्यता के लोगों ने गहरे लाल रंग की व्याख्या जगुआर के हमला करने और चंद्रमा को खाने के रूप में की थी। उनका मानना ​​​​था कि जगुआर अपना ध्यान पृथ्वी की ओर भी मोड़ सकता है, इसलिए लोग चिल्लाते थे, अपने भाले हिलाते थे और अपने कुत्तों से शोर करवाते थे, इस उम्मीद में कि ये जगुआर को भगाने के लिए पर्याप्त शोर होगा।


अफ्रीकी देशों में चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यता

अफ्रीका में टोगो और बेनिन में बाटमालीबा लोग परंपरागत रूप से चंद्र ग्रहण को सूर्य और चंद्रमा के बीच संघर्ष के रूप में देखते हैं। एक ऐसा संघर्ष जिसे लोगों को हल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसलिए यह पुराने झगड़ों को खत्म करने का समय है, एक प्रथा जो आज तक बनी हुई है।


इस्लामी संस्कृति में चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यता

इस्लामी संस्कृतियों में, ग्रहणों की व्याख्या अंधविश्वास के बिना की जाती है। इस्लाम में, सूर्य और चंद्रमा अल्लाह के लिए सम्मान का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान विशेष प्रार्थनाओं की जाती हैं।, जिसमें सलात-अल-खुसुफ प्रार्थना शामिल है। यह दोनों अल्लाह से क्षमा मांगते हैं, और अल्लाह की महानता की पुष्टि करते हैं।


ईसाई धर्म में चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यता

ईसाई धर्म ने चंद्र ग्रहणों को ईश्वर के क्रोध के साथ जोड़ दिया है, और अक्सर उन्हें यीशु के सूली पर चढ़ाने के साथ देखते हैं। 

अमेरिका में चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यता

अमेरिका में लोग मानते हैं कि ग्रहण एक सर्वनाश के आने का संकेत है। विद्वानों को इसका स्रोत बाइबल से मिलता है। मान्यता है कि प्रभु के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले सूर्य अंधियारा और चन्द्रमा लहू हो जाएगा।

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