मलेरिया की दवा 'हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन' नहीं कर रही काम, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
गुरूवार शाम न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रूयू कुओमो ने कहा- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर बड़े पैमाने पर हुई स्टडी की प्राथमिक रिपोर्ट आ गई है। इसमें स्पष्ट है कि यह दवा कोरोना वायरस से पीड़ित गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर नहीं है।
नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी की कोई सटीक दवा अभी तक नहीं बन पाई है। डॉक्टर्स कोरोना संक्रमितों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन यानी मलेरिया की दवाई से ही इलाज कर रहे हैं। लेकिन पहली बार अब अमेरिका ने ऑफिशियलि तौर पर ये मान लिया गया है कि मलेरिया की दवाई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए काफी नहीं है। दवाई को लेकर ये बात गुरूवार को न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रूयू कुओमो ने कही।
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गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर नहीं
गुरूवार शाम न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रूयू कुओमो ने कहा- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर बड़े पैमाने पर हुई स्टडी की प्राथमिक रिपोर्ट आ गई है। इसमें स्पष्ट है कि यह दवा कोरोना वायरस से पीड़ित गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर नहीं है।
न्यूयॉर्क गवर्नर कुओमो ने बताया कि न्यूयॉर्क स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ ने 22 अस्पतालों में 600 कोरोना मरीजों पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के असर का अध्ययन किया गया है। लेकिन नतीजे बहुत आशाजनक नहीं निकले।
साथ ही यूनिवर्सिटी ऑफ अलबानी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन डेविड होल्टग्रेव ने बताया कि जिन मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दी गई, वो कोरोना के संक्रमण को बर्दाश्त नहीं पर पाए। ज्यादातर की मौत हो गई। यह कोरोना से ग्रसित गंभीर मरीजों के लिए नहीं है।
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एनआईएच की स्टडी में बताया
न्यूयॉर्क गवर्नर कुओमो के आधिकारिक बयान से पहले भी हाइ़ड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर एक स्टडी सामने आई थी जिसमें यह कहा गया था कि इसे लेने वाले कुल मरीजों में से 28 फीसदी की मौत हो रही है। यह स्टडी अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के रिसर्चरों ने की।
एनआईएच की स्टडी में बताया गया था कि जिन कोरोना मरीजों का इलाज सामान्य तरीकों से हो रहा है, उनके मरने की आशंका कम रहती है। जबकि, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा का उपयोग करने पर मरीजों की ज्यादा मौत हुई है।
वैसे इस स्टडी में साफ कहा गया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा से लगभग 28 फीसदी कोरोना मरीजों की मौत हो रही है। जबकि, सामान्य प्रक्रिया से इलाज करते हैं तो सिर्फ 11 प्रतिशत मरीज ही अपनी जान गंवा रहे हैं।
हालत बिगड़ने और मरने की आशंका ज्यादा
वहीं इस स्टडी से सामने आई रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा कोरोना मरीज को अकेले दी जाए या एजिथ्रोमाइसिन के साथ दी जाए। मरीज के ठीक होने के चांस कम रहते हैं। जबकि, उसकी हालत बिगड़ने और मरने की आशंका ज्यादा रहती है।
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इसके साथ ही एनआईएच और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के वैज्ञानिकों की टीम ने 368 कोरोना मरीजों के ट्रीटमेंट प्रक्रिया की जांच की। जिसमें से कई मरीज या तो मर चुके थे, या फिर ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिए गए थे।
आगे इस जांच में पता चला कि 97 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दी गई। वहीं 113 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन दी गई। इसके बाद 158 मरीजों का इलाज सामान्य तरीके से किया गया। उन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा नहीं दी गई।
हर तरह से दवा की परख
स्टडी में रिपोर्ट आई है कि जिन 97 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा दी गई थी, उसमें से 27.8% मरीजों की मौत हो गई।
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साथ ही जिन 113 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा के साथ एजिथ्रोमाइसिन की दवा दी गई थी, उनमें से 22.1% मरीजों की मौत हो गई।
वहीं उन 158 मरीजों को देखें तो जिन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा नहीं दी गई, उनमें सिर्फ 11.4% मरीज ही मारे गए।
ऐसे में इस स्टडी की रिपोर्ट से ये बात तो साफ होती दिखाई दे रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मलेरिया के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन उतनी कारगर और सटीक नहीं है।
कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते
मिली रिपोर्ट के मुताबिक, अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को दुनियाभर में कोरोना के इलाज के लिए अनुमति मिलती है तो उससे ये दवा बनाने वाली कंपनियों को बहुत फायदा होगा। ऐसी ही एक कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का शेयर है। इसके साथ ही उस कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते हैं।
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आगे वेबसाइट पर लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप का फ्रांस की दवा कंपनी सैनोफी को लेकर व्यक्तिगत फायदा है। कंपनी में ट्रंप का शेयर भी है। ये कंपनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को प्लाकेनिल ब्रांड के नाम से बाजार में बेचती है।
दुनियाभर में कोरोना से मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इस वायरस से अब तक एक लाख 70 हजार से ज्यादा जानें जा चुकी हैं और 24 लाख 80 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।
वहीं छह लाख 46 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका में मृतकों की संख्या 42 हजार को पार कर गई है और सात लाख 92 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।
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