Medical Students: यूक्रेन से लौटे मेडिकल स्टूडेंट्स को मिलेगी स्क्रीनिंग टेस्ट में बैठने की इजाजत
Medical students: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले दो साल की इंटर्नशिप पूरी करनी होगी।
Medical Students: चीन और यूक्रेन के अंतिम वर्ष के मेडिकल छात्र जो महामारी या युद्ध के कारण अपना व्यावहारिक प्रशिक्षण पूरा करने में सक्षम नहीं थे, उन्हें विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा यानी स्क्रीनिंग टेस्ट में बैठने की अनुमति दी जाएगी।विदेशी मेडिकल छात्रों को देश में प्रैक्टिस करने के लिए ये टेस्ट क्लियर करना होता है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने प्रस्ताव दिया है कि विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को देश में प्रैक्टिस करने के लिए दो साल की इंटर्नशिप पूरी करनी होगी। प्रस्ताव के अनुसार अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण दी गई ये सिर्फ एकमुश्त छूट होगी। वर्तमान में, विदेशी मेडिकल स्नातकों को भारत में एफएमजीई परीक्षा में बैठने के लिए अपना प्रशिक्षण और विश्वविद्यालय में एक साल की इंटर्नशिप पूरी करनी होती है। फिर उन्हें स्थायी पंजीकरण प्राप्त करने के लिए भारत में भी एक साल की इंटर्नशिप करनी होगी।
16.5 फीसदी छात्रों ने पास किया
अपरिहार्य परिस्थितियों में चीन और यूक्रेन से आये छात्रों को छूट केवल एक साल के लिए लागू होगी।।छूट से कई छात्रों को मदद मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि एफएमजीई कम पास प्रतिशत के लिए जाना जाता है। स्क्रीनिंग टेस्ट आयोजित करने वाले नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2020 में परीक्षा देने वाले केवल 16.5 फीसदी छात्रों ने इसे पास किया।
ये प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के स्नातक मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत किये गए हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि पहले और दूसरे वर्ष के मेडिकल छात्र, जो नवंबर 2021 के बाद अपने कॉलेज में शामिल हुए, भारतीय कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए फिर से नीट में सकते हैं। ये छात्र, तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों के विपरीत, अन्य यूरोपीय देशों के विश्वविद्यालयों में ट्रांसफर नहीं ले सकते हैं।
विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स के लिए नवंबर 2021 में लागू हुए। नए दिशा - निर्देश में कहा गया है कि छात्रों को अपनी पूरी ट्रेनिंग और इंटर्नशिप एक ही यूनिवर्सिटी से पूरी करनी होगी।महामारी के कारण नीट 2021 की काउंसलिंग में देरी होने के कारण, पहले वर्ष के कुछ छात्रों ने उसी वर्ष नीट के लिए उपस्थित होने का विकल्प चुना था।
हालांकि प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख नहीं है कि तीसरे और चौथे वर्ष के मेडिकल छात्रों को भारतीय मानदंडों का पालन करने वाले पाठ्यक्रम चलाने वाले रूस, कजाकिस्तान या किर्गिस्तान जैसे अन्य यूरोपीय देशों के कॉलेजों में प्रवेश लेने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। फरवरी में युद्ध शुरू होने के बाद करीब 18,000 मेडिकल छात्र यूक्रेन से लौटे थे।
फिलीपींस के लिए कोई राहत नहीं
हालांकि चीन और यूक्रेन के अंतिम वर्ष के मेडिकल छात्रों के लिए छूट दी गई है, लगभग 10,000 छात्र जो फिलीपींस में पढ़ रहे थे, वे अब भी अधर में हैं। नवंबर 2021 में नए विदेशी मेडिकल स्नातक दिशानिर्देश लागू होने के बाद देश में पाठ्यक्रमों में शामिल होने वाले छात्रों के दो बैच एफएमजीई स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए पात्र नहीं होंगे।
ऐसा इसलिए है क्योंकि नए दिशानिर्देशों की शर्तों में से एक यह था कि पाठ्यक्रम भारत में 5.5 साल या 54 महीनों में पढ़ाए जाने वाले चिकित्सा पाठ्यक्रमों के बराबर होना चाहिए। फिलीपींस में मेडिकल कोर्स चार साल में पढ़ाया जाता है और इससे पहले बेसिक बायोलॉजी में दो साल का बीएस कोर्स किया जाता है। एनएमसी ने कहा है कि बीएस बायोलॉजी कोर्स की अवधि को मेडिकल ट्रेनिंग का हिस्सा नहीं माना जा सकता।