बंदी बने राष्ट्रपति: आज की सबसे बड़ी खबर, इस अफ्रीकी देश में हुआ सैन्य तख्तापलट, अमेरिका ने दी चेतावनी

Military Coup: कुछ हथियार बंद सैनिक राष्ट्रपति भवन में घुसे और उन्होंने उस पर कब्जा कर लिया। नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को बंदी बना लिया गया है।

Update:2023-07-27 08:30 IST
Niger President Mohamed Bazoum (photo: social media )

Military Coup: गरीबी के लिए कुख्यात अफ्रीकी महाद्वीप के देशों में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। खासकर पश्चिमी और मध्य अफ्रीकी देशों के हालात ज्यादा खराब हैं। आज यानी गुरूवार सुबह को पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजर में सेना ने तख्तापलट कर देश की सत्ता अपने हाथों में ले ली। कुछ हथियार बंद सैनिक राष्ट्रपति भवन में घुसे और उन्होंने उस पर कब्जा कर लिया। नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को बंदी बना लिया गया है।

सेना ने देश में तख्तापलट की जानकारी नेशनल टेलीविजन पर आकर दी। कर्नल अमादौ अब्द्रमाने कुछ अन्य सैन्य अफसरों के साथ टीवी पर आए और राष्ट्रपति बजौम की सत्ता को उखाड़ फेंकने का दावा किया। साथ ही ये भी ऐलान किया कि देश के सभी संस्थानों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। नाइजर में घटे इस घटनाक्रम को लेकर अन्य अफ्रीकी देशों में भी हड़कंप मच गया है।

सेना ने पूरे देश में लगाया कर्फ्यू

सेना ने देश की कमान संभालते ही लोकतांत्रिक अधिकारों को रौंदना शुरू कर दिया है। देश के सभी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को कब्जे में ले लिया गया है। सभी सरकारी दफ्तरों में कामकाज को रोक दिया गया है। राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम के समर्थक सड़कों पर न उतरें इसलिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। सेना के जवान सख्ती से गश्त कर रहे हैं। देश की सीमाओं को भी सील कर दिया गया है। सेना ने कहा कि राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम के खराब शासन के कारण उन्हें सत्ता अपने हाथों में लेनी पड़ी है।

अमेरिका और यूएन की सख्त प्रतिक्रिया

गुरूवार सुबह-सुबह हुए इस घटना ने दुनिया को चौंका दिया है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम के समर्थन में आगे आए हैं। यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति बजौम से बात की है और उन्हें संयुक्त राष्ट्र की ओर से पूरी मदद की पेशकश की है।

वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि हम नाइजर के राष्ट्रपति को हरसंभव मदद देने को तैयार हैं। उन्होंने साफ कहा कि नाइजर को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता लोकतांत्रिक शासन पर ही निर्भर करेगी।

अमेरिका और यूएन के कड़े तेवर पर नाइजर आर्मी ने पलटवार किया गया है। सेना ने किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को लेकर चेतावनी दी है और कहा कि अगर कोई इसकी हिमाकत करता है तो अंजाम भूगतने के लिए तैयार रहें। जानकारों की मानें तो अगर राष्ट्रपति के समर्थक सड़कों पर उतरते हैं तो खून-खराबा होगा और यह देश गृह युद्ध की आग में जल उठेगा।

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