शंघाई समिट में हिस्सा लेने के लिए मोदी किर्गिस्तान पहुंचे, पुतिन-जिनपिंग से करेंगे मुलाकात
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर और भारत-पाकिस्ताेन के रिश्तोंह में तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किर्गिस्तान में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं।
नई दिल्ली : अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर और भारत-पाकिस्ताेन के रिश्तोंह में तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किर्गिस्तान में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं।
पीएम मोदी ने बिश्केक की अपनी यात्रा में पाकिस्तान एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं किया। इस शिखर सम्मेीलन में पीएम मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के बीच आमना-सामना होगा लेकिन द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।
पीएम मोदी ने किर्गिस्तांन जाने के लिए पाकिस्तारन की बजाय ओमान के रास्ते को चुनकर शिखर सम्मेकलन से ठीक पहले पड़ोसी मुल्कग को सख्ता संदेश देने की कोशिश की है।
शंघाई सहयोग संगठन का 19वां शिखर सम्मेलन 13-14 जून को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी इस शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
एससीओ चीन के नेतृत्व वाला 8 सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा समूह है। इसके संस्थापक सदस्यों में चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान को साल 2017 में इस समूह में शामिल किया गया था।
सप्ताह एससीओ शिखर सम्मेलन पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम होगा जिसमें दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी शामिल होंगे। वह शिखर सम्मेलन के इतर शी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी बैठक में भाग लेंगे।
इस बीच चीन ने कहा है कि इस शिखर सम्मेठलन का मकसद किसी देश को निशाना बनाना नहीं है। एससीओ शिखर सम्मेलन में सुरक्षा और अर्थव्यवस्था से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी और साथ ही आतंकवाद के मुकाबले पर ध्यान केंद्रित होगा। उसने कहा कि एससीओ के दो प्रमुख मुद्दे सुरक्षा और विकास हैं।
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ट्रेड वॉर का असर, चीन को भारत की जरूरत
शिखर सम्मे लन के दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्र्पति शी चिनफिंग आपस में मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि दोनों नेता व्याकपार और निवेश के मुद्दे पर बात करेंगे और इसे बढ़ाने पर जोर देंगे।
चीन ने संकेत दिया है कि राष्ट्रापति शी अमेरिकी राष्ट्ररपति डॉनल्डप ट्रंप के व्याेपार संरक्षण और एकतरफा तरीके से टैरिफ को हथियार बनाने के खिलाफ एक संयुक्ति मोर्चा बनाने पर जोर दे सकते हैं।
बता दें कि चीन और अमेरिका के बीच पिछले साल से ट्रेड वॉर चल रहा है। अमेरिका ने चीनी टेलिकॉम कंपनी हुवेई के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिया है।
चीनी अधिकारियों को आशा है कि अमेरिका भारत को दिया गया जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (GSP) को खत्म करने जा रहा है, ऐसे में भारत ट्रंप के खिलाफ उसके मोर्चे में शामिल हो सकता है। पीएम मोदी रूसी राष्ट्रनपति पुतिन से भी मुलाकात करेंगे।
इस दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों के अलावा अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच रूस को डॉलर के भुगतान में आ रही बाधाओं पर चर्चा हो सकती है।
बता दें कि भारत ने रूस के साथ कई रक्षा सौदे किए हैं लेकिन उसके लिए धन के भुगतान में बाधा आ रही है। यही नहीं अमेरिका भारत को रूस के S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टकम की जगह पर अपने मिसाइल डिफेंस सिस्ट म खरीदने के लिए दबाव बना रहा है।
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पाकिस्ताेन को सख्त4 संदेश
भारत ने पीएम नरेंद्र मोदी के बिश्केक दौरे के लिए उनके विमान को पाकिस्तान के ऊपर से न उड़ाने का फैसला कर उसे सख्तम संदेश देने की कोशिश की है।
भारत ने ऐसा तब किया है जब पाकिस्ताीन ने कहा था कि पीएम मोदी के वीवीआईपी विमान के लिए अपने एयरस्पेस को विशेष रूप से खोलेगा।
पाक पीएम इमरान खान भी बिश्केक में एससीओ के सम्मेलन में भाग ले रहे हैं जिसके बाद से अटकलें थीं कि वह और मोदी सम्मेलन से इतर मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि भारत ने इसे खारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि दोनों नेताओं के बीच ऐसी कोई बैठक तय नहीं हुई है। भारत ने इमरान खान की चिट्ठी द्वारा की गई अपील को ठुकरा दिया था जिसमें उन्होंने बातचीत के जरिए मसले सुलझाने की बात कही थी।
भारत ने साफ शब्दों में फिर दोहराया है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती। बता दें कि पुलवामा हमले के बाद द्विपक्षीय संबंधों में तनाव व्याकप्ता है।
पाकिस्तान ने बालाकोट में आतंकी शिविरों पर भारतीय वायुसेना के हमले के बाद 26 फरवरी को अपने हवाई क्षेत्र को पूरी तरह बंद कर दिया था। हालांकि, दो हवाई क्षेत्र उसने बाद में खोल दिए थे और शेष 9 पर फैसला लिया जाना बाकी है।
भारत के समक्ष चुनौतियां
एससीओ शिखर सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब रूस और चीन के बीच नजदीकियां काफी बढ़ रही हैं जबकि भारत इन दोनों ही देशों के धुर विरोधी देश अमेरिका के साथ अपने रिश्तेय प्रगाढ़ कर रहा है। रूस ने भारत को एससीओ में इसलिए शामिल करने पर जोर दिया था ताकि
चीन को संतुलित किया जा सके लेकिन वर्ष 2014 के बाद से इस क्षेत्र में भूराजनीतिक समीकरण काफी बदल गए हैं। भारत मध्ये एशिया में चीन को संतुलित करने के लिए बड़ी भूमिका निभा सकता है जो अपनी 'बेल्टद ऐंड रोड योजना' के जरिए इस क्षेत्र में अरबों डॉलर निवेश कर रहा है।
रूसी समाचार पत्र कोम्मे रसंत के मुताबिक मध्यन एशिया के देश भी चाहते हैं कि भारत उनके क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाए। हालांकि भारत को इससे पहले अपनी स्थिति को और ज्यादा मजबूत करना होगा।
भारत का मध्यक एशिया और रूस के साथ व्याोपार बेहद कम है जबकि चीन के साथ इन देशों का अरबों डॉलर का व्या पार है। तेल और गैस से समृद्ध इन देशों के साथ व्याकपार में भारत को संपर्क की बड़ी समस्या से जूझना पड़ता है।
मध्य एशिया में दुनिया की 42 फीसदी आबादी निवास करती है और यह भारत के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है। भारत ने मध्यि एशिया और अफगानिस्ता न से जुड़ने के लिए ईरान के चाबहार बंदरगाह में काफी निवेश कर रखा है।
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