अब संकोच नहीं, करेंगे खुलकर बात- World Menstrual Hygiene Day 2019
सिक धर्म, पीरियड्स... लड़कियों में प्रत्येक माह होने वाली सामान्य शारीरिक प्रक्रिया उतनी ही कुदरती है, जितनी की प्रकृति में हवा का चलना। भारत की करीब 35 करोड़ 50 लाख महिलाएं मेन्स्ट्रुएट करती हैं।
नई दिल्ली: विश्वभर में 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इसे बनाने का मुख्य कारण है महिलाओं को पीरियड्स के समय स्वस्छता के लिए जागरुक करना।
मासिक धर्म, पीरियड्स... लड़कियों में प्रत्येक माह होने वाली सामान्य शारीरिक प्रक्रिया उतनी ही कुदरती है, जितनी की प्रकृति में हवा का चलना।
भारत की करीब 35 करोड़ 50 लाख महिलाएं मेन्स्ट्रुएट करती हैं। बावजूद इसके सेक्स की ही तरह मेन्स्ट्रुएशन भी एक ऐसा टॉपिक है। जिसे आज भी टैबू समझा जाता है और यही कारण हैं कि अभी भी कई महिलाएं अनेकों परेशानियों का सामना और बीमारियों को झेलती हैं, जिनके परिणाम बहुत ही घातक होती हैं।
इसकी शुरुआत साल 2014 को हुई है। इसके साथ ही पीरियड्स 28 दिनों के अंदर आता है। इसलिए ये 28 मई को मनाई जाती है। इसे मनाने के लिए 28 तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि आमतौर पर महिलाओं के मासिक धर्म 28 दिनों के भीतर आते हैं। इसकी शुरुआत जर्मनी के वॉश यूनाइटेड नाम के एनजीओ ने 2014 में की थी।
पीरियड्स ऐसे दिन होते है, जब एक लड़की शारीरिक के साथ-साथ मानसिक समस्या से भी गुजरती हैं। ऐसे में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। जिससे कि किसी प्रकार का इंफेक्शन और इनफर्टिलिटी से संबंधी कोई समस्या न हो।
पीरियड्स के दौरान स्वच्छता हैं अहम मुद्दा
पीरिड्स के दौरान हर 5 घंटे के अंदर अपना पैड बदलना चाहिए। वहीं जो लड़कियां टैम्पॉन का यूज करती हैं उन्हें हर 2 घंटे में इसे बदल लेना चाहिए।
लगातार समय-समय पर अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई करती रहें। जिससे कि पीरियड्स से आने वाली गंध से छुटकारा मिले।
पीरिड्स के समय शरीर में बहुत अधिक दर्द होता है। इसलिए इस समय पर गर्म पानी से नहाएं। इससे आपके शरीर को लाभ मिलेगा।
इन दिनों अपने बिस्तर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही समय-समय पर बेडशीट बदलते रहें। जिससे की इंफेक्शन से बच सकें।
वहीं समय-समय पर अपनी अंडरवियर भी चेंज करते रहें।
मेंस्ट्यूरल हेल्थ के लिए कुछ योगासनों द्वारा मिलती है काफी मदद
बालासन
बालासन में हम एक शिशु की तरह वज्र आसन लेकर हाथों और शरीर को आगे की ओर झुकाते है। यह आसन कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और कब्ज़ को भी दूर करता है। मन को शांत करने वाला ये आसन तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
• दंडासन
दंडासन, योग मुद्रा का एक सरल आसन है। इसे अंग्रेजी में स्टाफ पोज़ के नाम से भी जाना जाता हैं। दंडासन एक ऐसा अभ्यास हैं जो आपके शरीर को उन्नत आसन करने के लिए तैयार करता हैं। यह आपके शरीर को पूरी तरह से संरेखित करने के लिए आपकी क्षमता को भी बढ़ाता है।
• पश्चिमोत्तनासन
इस आसन को पीठ के बल किया जाता है। इससे पीठ में खिंचाव होता है, इसीलिए इसे पश्चिमोत्तनासन कहते हैं। इस आसन से शरीर की सभी मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है। जिससे उदर, छाती और मेरुदंड की कसरत होती है। अल्सर की शिकायत होने पर न करें यह आसन। इसे हमेशा खाली पेट ही करनी चाहिए। अगर आपके आंत में सूजन हो तो इसका अभ्यास बिल्कुल न करें। कमर में तकलीफ हो तो इस योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
साफ-सफाई का रखें ध्यान जरा-सी लापरवाही बन सकती हैं जानलेवा बीमारी
डर्मेटैटिस (dermatitis)
मेन्स्ट्रुएशन के दौरान अगर हाइजीन का ध्यान न रखा जाए तो स्किन इरिटेशन हो सकता है जिससे dermatitis हो सकता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें स्किन में सूजन आ जाती है, स्किन लाल हो जाती है और कई बार फोड़े और फुंसियां भी हो जाती हैं।
वजाइना को नुकसान
हानिकारक बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने लग जाए तो इससे भी जेनिटल ट्रैक्ट के हिस्से में इंफेक्शन का खतरा रहता है और इससे भी वजाइना को नुकसान हो सकता है।
सर्वाइकल कैंसर का खतरा
यूटीआई और रिप्रॉडक्टिव ट्रैक्ट इंफेक्शन की वजह से सर्वाइकल कैंसर का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। यह यूट्रस के मुंह पर होने वाले सर्विक्स का कैंसर होता है जो एचपीवी वायरस की वजह से होता है।
बांझपन का खतरा
मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान सफाई न बरतने की वजह से महिलाओं में बांझपन का भी खतरा रहता है।