सबसे ठंडा स्कूल: फिर भी ऐसे पढ़ते हैं बच्चे, यहां आपकी रूह भी कांप जायेगी
हाड़ कंपा देने वाली इस ठंड छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई करने पहुंचते हैं। यह भी बता दें कि ये स्कूल 11 साल या उससे कम उम्र के छात्रों के लिए तभी बंद होता है जब तापमान -52 डिग्री या उससे कम चला जाता है।
नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसी जगह भी है जहां -50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में स्कूल के बच्चे पढ़ाई करते हैं? जी हां साइबेरिया एक ऐसी जगह है जो दुनिया की सबसे ठंडी जगह में से एक है और इसी क्षेत्र में दुनिया का सबसे ठंडा स्कूल है। यहां का तापमान अक्सर -50 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है। हाड़ कंपा देने वाली इस ठंड छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई करने पहुंचते हैं। यह भी बता दें कि ये स्कूल 11 साल या उससे कम उम्र के छात्रों के लिए तभी बंद होता है जब तापमान -52 डिग्री या उससे कम चला जाता है।
यहां भी कोरोना वायरस का खतरा बना हुआ है
बता दें कि यह स्कूल साइबेरिया के ओएमयाकोन नाम के शहर में स्थित है और यहां पोस्ट ऑफिस और बैंक जैसी कुछ बहुत बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं। इस बेहद दुर्गम और चुनौतीपूर्ण जगह पर भी कोरोना वायरस का खतरा बना हुआ है और स्कूल में आने वाले बच्चों के साथ ही पेरेंट्स और स्टाफ को भी स्कूल में घुसने से पहले तापमान चेक कराना होता है।
फोटोग्राफर सेम्योन ने बताया सुबह 9 बजे का तापमान -51 डिग्री सेल्सियस था
ओएमयाकोन नाम के शहर में इस स्कूल को साल 1932 में स्टालिन के राज में बनवाया गया था। इस स्कूल में खारा तुमूल और बेरेग युर्डे गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं। यहां के लोकल फोटोग्राफर सेम्योन ने साइबेरियन टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि मैं 8 दिसंबर को करीब सुबह 9 बजे शूट कर रहा था और यहां का तापमान उस समय माइनस 51 डिग्री सेल्सियस था।
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अत्यधिक ठंड के चलते फ्रॉस्टबाइटिंग की समस्या होती है
फोटोग्राफर सेम्योन ने आगे बताया कि मुझे लगातार अपने ग्लव्ज पहनने थे हालांकि वे ज्यादा कंफर्टेबल नहीं थे लेकिन अगर मैं उन्हें नहीं पहनता तो मेरी उंगलियां पूरी तरह से जम जाती और मुझे फ्रॉस्टबाइटिंग की समस्या हो सकती है जो अत्यधिक ठंड के चलते उंगलियों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां के बच्चे कितनी चुनौतियों का सामना करते हुए स्कूल जाते हैं। वे कभी-कभी अपने पेरेंट्स के साथ होते हैं तो कभी-कभी वे अपने डॉग्स के साथ भी होते हैं।
-50 डिग्री में हाइपोथर्मिया होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है
गौरतलब है कि -50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर हाइपोथर्मिया होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। हाइपोथर्मिया एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें शरीर का तापमान बहुत तेजी से गिरने लगता है जिससे हाई ब्लडप्रेशर, दिल की धड़कन का तेज होना, घबराहट होना और कुछ केसों में मौत भी हो सकती है।
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ठंडी हवा फेफड़ों में भर जाने का खतरा
इस तापमान पर डॉक्टर्स लंबी-लंबी गहरी सांसे लेने के लिए भी मना करते हैं क्योंकि इस तापमान पर सिर्फ सांस लेना भी तकलीफदेह हो सकता है और बेहद ठंडी हवा फेफड़ों में भर जाने का खतरा भी होता है जो सेहत के लिए काफी खतरनाक हो सकता है। इस क्षेत्र में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बल्कि सामान्य जनजीवन भी काफी चुनौतीपूर्ण है।
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