सरबजीत सिंह हत्या मामले में DSP के खिलाफ वारंट जारी, जांच की धीमी रफ्तार से पाक कोर्ट खफा

Update: 2017-02-15 07:50 GMT

लाहौर: पाकिस्तान जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हत्या मामले की जांच में सुस्ती को लेकर वहां की एक सेशन कोर्ट ने पुलिस की जमकर खिंचाई की है। जज ने पुलिस को कोर्ट की मदद नहीं करने पर आगाह किया। साथ ही लखपत जेल (इसी जेल में सरबजीत सिंह कैद थे) के डीएसपी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है।

लाहौर के एडिशनल डिस्ट्रिक और सेशन जज ने बुधवार (15 फरवरी) को लाहौर पुलिस चीफ को आदेश दिया कि वे 17 फरवरी को कोट लखपत जेल के डीएसपी को पेश करें। साथ ही जज ने कहा, इस केस में नाममात्र की प्रगति है।

डीएसपी को वारंट जारी

कोर्ट ने कहा, बार-बार समन जारी करने के बाद भी जेल डीएसपी हाजिर नहीं हुए। ऐसे में कोर्ट ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। जांच रिपोर्ट का अब तक खुलासा नहीं हुआ

क्या है मामला?

गौरतलब है कि मई 2013 में सरबजीत सिंह पर कोट लखपत जेल में रॉड, ईंट और ब्लेड से हमला किया गया था। उस समय बताया गया था कि आमिर तांबा और मुदस्सर नाम के दो कैदियों ने उन पर हमला किया था। सरबजीत की हत्या की शुरुआती जांच के लिए लाहौर हाईकोर्ट के जस्टिस मजहर अली अकबर नकवी की अगुवाई में न्यायिक कमीशन बनाया गया था। बाद में इस मामले को ट्रायल कोर्ट से सेशन कोर्ट भेज दिया गया था। बता दें कि सरबजीत को 1990 में पाकिस्तान में बम ब्लास्ट करने के आरोप में जेल भेज गया था। इस मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।

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दर्ज हुए थे 40 गवाहों के बयान

हाईकोर्ट के जज नकवी ने इस मामले में 40 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। वह रिपोर्ट आज तक उजागर नहीं की गई है।

सरबजीत के परिवार ने नहीं दर्ज कराए सबूत

जांच कमीशन ने विदेश मंत्रालय के जरिए सरबजीत के रिश्तेदारों को भी नोटिस भेजा था। इसमें कहा गया था कि वे अपने बयान दर्ज कराएं और अगर सरबजीत की मौत से जुड़े उनके पास कोई सबूत हों तो पेश करें। हालांकि, बताया जा रहा है कि अफसरों के मुताबिक सरबजीत के परिवार वालों की ओर से कोई बयान दर्ज नहीं कराया गया था।

बदला लेना चाहता था

सरबजीत की हत्या के आरोपी आमिर तांबा और मुदस्सर ने कमीशन के सामने अपना जुर्म कबूल किया था। दोनों का कहना था कि सरबजीत पर लाहौर और फैसलाबाद में बम ब्लास्ट करके लोगों की जान लेने का आरोप था। वे इसका बदला लेना चाहते थे।

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