Pakistan: पाकिस्तान में अब कट्टरपंथी तालिबान समर्थक फज़लुर रहमान मैदान में उतरे
Pakistan: पाकिस्तान की सियासी नौटंकी की हद तो यह है कि एक तरफ जमीयत उलेमा – ए इस्लाम का धरना शुरू भी हो चुका है लेकिन शाहबाज़ शरीफ सरकार यह कह रही है कि जमीयत उलेमा – ए इस्लाम को धरने की इजाजत नहीं दी गयी है।
Pakistan: इमरान खान के खिलाफ अपनी पैंतरेबाज़ी जारी रखते हुए सत्तासीन पीडीएम गठबंधन के कट्टरपंथी हिस्सेदार जमीयत उलेमा – ए इस्लाम ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ ताल ठोंक दी है। चूँकि सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान को बहुत बड़ी राहत दे दी थी सो जमीयत उलेमा – ए इस्लाम ने इस्लामाबाद में सुप्रीम कोर्ट के बाहर आज से बेमियादी धरना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान की सियासी नौटंकी की हद तो यह है कि एक तरफ जमीयत उलेमा – ए इस्लाम का धरना शुरू भी हो चुका है लेकिन शाहबाज़ शरीफ सरकार यह कह रही है कि जमीयत उलेमा – ए इस्लाम को धरने की इजाजत नहीं दी गयी है। बता दें कि जमीयत के नेता मौलाना फ़ज़ल-उर-रहमान हैं जो एक कट्टरपंथी और तालिबान समर्थक हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि एक तरफ सुरक्षा एजेंसियों द्वारा समर्थित पीडीएम "गुंडे" सर्वोच्च न्यायालय को "हथियाने" और संविधान को पलटने की कोशिश कर रहे हैं जबकि दूसरी ओर सरकार कम से कम 7,000 गिरफ्तार किए गए पीटीआई कार्यकर्ताओं पर शिकंजा कस रही है और दर्जनों निहत्थे प्रदर्शनकारियों को मार डाला गया है। पीटीआई के अध्यक्ष ने कहा कि यह सब देश में "सबसे बड़ी और एकमात्र संघीय पार्टी" पर प्रतिबंध लगाने की योजना का हिस्सा है। उन्होंने सभी नागरिकों से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार रहने का आग्रह किया, यह हवाला देते हुए कि संविधान और सर्वोच्च न्यायालय के नष्ट हो जाने के बाद यह पाकिस्तान के सपने का अंत होगा।
चिंताजनक हालात
इस बीच पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने कहा है कि देश की संघीय सरकार "असहाय" दिख रही है। उन्होंने संकेत दिया कि शीर्ष अदालत मामले में हस्तक्षेप कर सकती है। चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी उस वकत की जब अदालत पंजाब में 14 मई को चुनाव कराने के आदेशों की समीक्षा की मांग वाली पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान पीटीआई के वकील बैरिस्टर अली जफर ने कहा कि ‘संविधान की हत्या कर दी गई है तथा देश की 10 करोड़ की आबादी का एक धड़ा प्रतिनिधित्व से वंचित हो गया है।
चीफ जस्टिस बांदियाल ने टिप्पणी की कि यह देश में चुनाव कराने का समय है। उन्होंने अदालत के बाहर के माहौल का जिक्र करते हुए कहा, जिस तरह से राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल किया जा रहा है वह चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संस्थानों और संपत्तियों को जलाया जा रहा था। बाहर देखो, प्रतिष्ठानों को आग लगा दी जा रही है, संघीय सरकार इस संबंध में "असहाय" लग रही थी। बांदियाल ने देखा कि कठिनाइयों के मामले में प्रतिक्रिया के बजाय धैर्य की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि फिलहाल स्थिति बेहद तनावपूर्ण है, उन्होंने कहा कि उन्होंने गोलियों से घायल हुए लोगों की तस्वीरें देखी हैं।
कौन है फ़ज़ल-उर-रहमान
मौलाना फ़ज़ल-उर-रहमान ११ दलों वाले पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) का अध्यक्ष भी है। पीडीएम राजनीतिक दलों का वह गठबंधन जिसने 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को बाहर कर दिया था। फ़ज़ल-उर-रहमान 1988 और 2018 के बीच नेशनल असेंबली के सदस्य थे, और 2004 से 2007 तक विपक्ष के नेता। वह अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के समर्थक हैं और उन्होंने इसकी अंतरराष्ट्रीय मान्यता की मांग की है। वैसे, उन्होंने धार्मिक चरमपंथियों और कट्टरपंथियों से संबंध के बिना खुद को उदारवादी के रूप में फिर से ब्रांड करने का प्रयास किया है। अतीत में वह पाकिस्तान में शरीयत लागू करने की मांग कर चुका है। वह महमूद हसन देवबंदी का अनुयायी है। 2004 से 2007 तक ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में सत्ता में रहने के दौरान, उसकी पार्टी ने ‘हस्बा विधेयक’ पारित किया, जिसे बाद में अवैध और असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। इस विधेयक के माध्यम से उसका मानना था कि वह अपने पिता मुफ्ती महमूद के नक्शेकदम पर चलेगा जिन्होंने ‘निजाम-ए-मुस्तफा’ को लागू करने की कोशिश की थी।