इमरान को झटका: अपना ही देश हुआ खिलाफ, गिलगित-बाल्टिस्तान चुनाव पर बवाल
इमरान सरकार की ओर से गिलगित-बालटिस्तान को प्रांत का दर्जा देकर वहां पर चुनाव कराने की घोषणा की गई है। इस सिलसिले में नेशनल असेंबली के स्पीकर अहमद कैसर की ओर से सोमवार को बुलाई गई बैठक में विपक्षी दलों ने शामिल न होने का एलान किया है।
इस्लामाबाद। कश्मीर के मुद्दे पर पूरी दुनिया में मुंह की खाने के बाद अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान गिलगित-बालटिस्तान में चुनाव कराने के मुद्दे पर घर में ही घिर गए हैं। इमरान सरकार की ओर से गिलगित-बालटिस्तान को प्रांत का दर्जा देकर वहां पर चुनाव कराने की घोषणा की गई है। इस सिलसिले में नेशनल असेंबली के स्पीकर अहमद कैसर की ओर से सोमवार को बुलाई गई बैठक में विपक्षी दलों ने शामिल न होने का एलान किया है।
इमरान सरकार को बड़ा झटका
अवैध रूप से कब्जा किए गए इस इलाके में चुनाव के लिए होने वाली बैठक के बहिष्कार के इस एलान को इमरान सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि विपक्षी दल इस मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। इस मुद्दे पर जमायत उलेमा-ए-इस्लाम चीफ मौलाना फजलुर रहमान ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से चर्चा की थी और इस चर्चा के बाद में विपक्षी गठबंधन ने बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया।
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सरकार का दखल बर्दाश्त नहीं
बिलावल भुट्टो ने अपने ट्वीट में चुनाव में इमरान सरकार के दखल की निंदा की। उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली के स्पीकर और केंद्रीय मंत्रियों का गिलगित-बालटिस्तान में चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनाव के मुद्दे पर केवल चुनाव आयोग से बात की जा सकती है। इस मुद्दे पर सरकार को कोई दखल नहीं देना चाहिए।
15 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पिछले सप्ताह गिलगित-बाल्टिस्तान में 15 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा की थी। भारत की ओर से भी इस घोषणा पर आपत्ति जताई गई थी। भारत गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे को अवैध बताते हुए इलाके में चुनाव कराने पर आपत्ति जताई थी।
भारत को पाक का फैसला मंजूर नहीं
भारत का कहना है कि गिलगित-बालटिस्तान पर सेना के जरिए कब्जा किया गया है और उसके दर्जे में बदलाव को लेकर पाकिस्तान सरकार की ओर से उठाए जाने वाले किसी भी कदम का कोई कानूनी अाधार नहीं है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि भारत ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर हमेशा अपना रुख साफ किया है।
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उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संपूर्ण हिस्सा भारत का अभिन्न भाग है और हमेशा रहेगा। पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए उसे गिलगित-बालटिस्तान के दर्जे में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं करना चाहिए।
इमरान ने इसलिए चली चुनाव की चाल
यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के मुताबिक पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से बौखलाया हुआ है। इस मुद्दे पर उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी नहीं हासिल हो पा रहा है। इस कारण पाकिस्तान सरकार ने गिलगित -बाल्टिस्तान को प्रांत का दर्जा देने के साथी ही यहां चुनाव कराने का फैसला किया है।
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इमरान की चाल समझ गया है विपक्ष
दरअसल पाकिस्तान के विपक्षी दल इमरान खान की चाल से सतर्क हो गए हैं। विपक्षी दलों को यह आभास हो गया है कि इमरान सरकार गिलगित-बालटिस्तान में रहने वाले लोगों की सहानुभूति जीतकर अपनी पार्टी की सरकार बनाना चाहती है।
इसी कारण विपक्षी दलों की ओर से सरकार का दखल खत्म करने की मांग की गई है। विपक्षी दलों ने तर्क दिया है कि इस मामले में कोई भी फैसला चुनाव आयोग की ओर से किया जाना चाहिए, न कि सरकार की ओर से।