इमरान खान की मुसीबतें बढ़ीं, FATF ने दिया बड़ा झटका, कंगाल हो जाएगा पाकिस्तान
एफएटीएफ ने पाकिस्तान की इमरान सरकार पर आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। देश के विपक्षी दलों ने एक और उनके खिलाफ गठबंधन बना कर हमला बोल दिया है तो दूसरी ओर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने भी पाकिस्तान की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। एफएटीएफ की पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक में पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखे जाने पर मुहर लग गई है।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान की इमरान सरकार पर आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
तुर्की ने खुलकर की पाक की तरफदारी
एफएटीएफ की पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का खुलकर बचाव किया। तुर्की ने सदस्य देशों से अपील की कि हमें पाकिस्तान सरकार की ओर से किए गए अच्छे कामों को भी देखना चाहिए। तुर्की की दलील थी कि पाकिस्तान सरकार ने 27 में से 21 मानदंडों को पूरा किया है और बाकी छह मानदंडों को पूरा करने के लिए उसे थोड़ा और वक्त दिया जाना चाहिए।
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सदस्य देशों ने खारिज किया तुर्की का प्रस्ताव
तुर्की से पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की खुलकर तरफदारी करता रहा है। वैसे एफएटीएफ की बैठक में तुर्की की यह दलील बाकी देशों के गले नहीं उतरी और उन्होंने तुर्की के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एफएटीएफ की बैठक से पहले सऊदी अरब, मलेशिया और तुर्की सरकार से पाकिस्तान की मदद करने की अपील की थी।
बड़े देश पाक की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई पर नाखुशी जाहिर की है। दुनिया के इन ताकतवर देशों का कहना है कि आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में पाकिस्तान सरकार की प्रतिबद्धता से वे संतुष्ट नहीं है।
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एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान सरकार को आतंकवाद की फंडिंग पूरी तरह रोकने के लिए 27 सूत्रीय एजेंडा दिया गया था मगर पाकिस्तान सरकार की ओर से अभी तक सिर्फ 21 मानदंडों को ही पूरा किया गया है। ऐसे में सदस्य देशों में पाकिस्तान सरकार के रवैए पर निराशा जताई।
और कंगाल हो जाएगा पाकिस्तान
एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने के फैसले से पाकिस्तान की आर्थिक हालत और खराब होना तय माना जा रहा है। ग्रे लिस्ट में बने रहने के कारण अब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलने में भी दिक्कतें पैदा हो जाएंगी।
पाकिस्तान की हालत पहले से ही कंगाल चल रही है और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मदद के बिना उसकी आर्थिक स्थिति बिल्कुल ध्वस्त होने के कगार पर है। पाकिस्तान को दूसरे देशों से भी आर्थिक मदद पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। कोई भी बड़ा देश अब पाकिस्तान को आर्थिक मदद करके अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की बुराई नहीं मोल लेना चाहेगा।
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एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ दो साल पहले जून 2018 में कार्रवाई की गई थी। तब एफएटीएफ ने आतंकी गतिविधियों पर विराम न लगाने के कारण पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। उसके बाद अक्टूबर 2018 और पिछले साल फरवरी में हुए रिव्यू के दौरान भी पाकिस्तान को राहत नहीं मिल सकी थी। एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान की सरकार को जो हिदायत दी गई थी, उनकी अनदेखी करने के कारण पाकिस्तान एक बार फिर ग्रे लिस्ट से बाहर आने में नाकाम रहा है।
पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर
दरअसल पाकिस्तान ऐसा देश है जो आतंकवाद को लेकर हमेशा दोहरे मापदंड अपनाता रहा है। भारत हमेशा से पाकिस्तान की जमीन से आतंकी गतिविधियों के संचालन का आरोप लगाता रहा है। पाकिस्तान दिखावे के लिए आतंकी गतिविधियों पर विराम लगाने की बात करता है मगर अंदरूनी तौर पर अभी भी पाकिस्तान की सेना और आईएसआई की ओर से आतंकियों को पूरी मदद की जाती है।
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जम्मू कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की संलिप्तता की पुष्टि हो चुकी है। पाकिस्तान का चेहरा अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उजागर होता जा रहा है।
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