Pegasus Spyware: सरकारी जासूसी पर पूरी दुनिया में बवाल, खुलासे के बाद कंपनी सख्त, कहा- जांच करेंगे
Pegasus Spyware: जासूसी साॅफ्टवेयर पर बवाल बढ़ने के बाद इसे बनाने वाली इजराइली कंपनी NSO Group ने कहा कि वह सिर्फ सरकारों से डील करता है। बताया जाता है कि इस कंपनी के करीब 60 ग्राहक हैं।
Pegasus Spyware: इजरायल (Israel Company) की एनएसओ कम्पनी (NSO Group) के जासूसी सॉफ्टवेयर (Jasoosi Software) पर पूरी दुनिया में राजनीतिक बवाल मच गया है। सरकारों और उनके प्रतिद्वंदियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है तो वहीं एनएसओ के संस्थापक और सीईओ शालेव हुलियो (NSO CEO Shalev Hulio) ने पूरे जासूसी प्रकरण से पल्ला झाड़ लिए है लेकिन ये भी स्वीकार किया है कि उने ग्राहक पिगेसस सिस्टम का दुरुपयोग कर सकते हैं और इसीलिए उन सभी मामलों की जांच कराई जायेगी जिनके बारे में मीडिया में खुलासा किया गया है।
एनएसओ ग्रुप का कहना है कि वह सिर्फ सरकारों से डील करता है। बताया जाता है कि इस कंपनी के करीब 60 ग्राहक हैं। कंपनी का कहना है कि पिगेसस सॉफ्टवेयर (Pegasus Software) इस्तेमाल करने वालों में 51 फीसदी इंटेलिजेंस एजेंसियां, 38 फीसदी कानून व्यवस्था से जुड़ी एजेंसियां और 11 फीसदी मिलिट्री एजेंसियां हैं।
अमेज़न ने उठाया कदम (Amazon Action On Pegasus)
फ़ोन हैकिंग के लिए पिगेसस सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए अमेज़न ने एक बड़ा कदम उठाया है और एनएसओ कंपनी के साथ अपने संबंधों में कटौती कर दी है। अमेज़न ने एक बयान जारी करके कहा है कि एनएसओ की टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग की जानकारी मिलने के बाद उसने एनएसओ को नेटवर्क सेवाएँ प्रदान करना बंद कर दिया है। अमेज़न ने कहा है कि उसने तत्काल कदम उठाते हुए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर और एकाउंट्स को बंद कर दिया है।
एप्पल के शेयर गिरे (Apple Share Price Drop)
पिगेसस काण्ड में खुलासा हुआ है कि एप्पल के फोन में खूब सेंध लगाई गयी है। इससे एप्पल के सिक्यूरिटी और प्राइवेसी के दावों की हवा निकल गयी है और उसके शेयर 2.4 फीसदी गिर गए हैं। हालांकि एप्पल ने अब भी कहा है कि उसे आईफ़ोन सबसे सुरक्षित मोबाइल फोन हैं।
इस बीच व्हाट्सअप के प्रमुख विल काथार्ट ने कहा है कि कंपनियों और सरकारों द्वारा एनएसओ ग्रुप को जवाबदेह थाराए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के खिलाफ कदम उठाये जाने की जरूरत है।
राजनीतिक उथलपुथल
पिगेसस काण्ड से मेक्सिको, हंगरी, और यूरोपियन यूनियन के देशों में राजनीतिक उथल पुथल मच गयी है। मेक्सिको के पूर्व प्रेसिडेंट फेलिपे काल्देरों ने कहा है उनके अधिकारों का हनन किया गया है। हंगरी के विपक्षी सांसदों ने कहा है कि वे जासूसी के आरोपों पर चर्चा करने के लिए संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाएँगे। विपक्षी संसद पीटर उंगर ने कहा है कि जासूसी को लेकर जो खुलासा किया गया है उसका अगर तनिक भी अंश सच है तब भी ये देश का सबसे बड़ा सुरक्षा स्कैंडल है। विपक्ष के आरोपों पर हंगरी के उप प्रधानमंत्री कतालिन नोवाक ने कहा है कि वे मीडिया की अफवाहों पर टिप्पणी नहीं करेंगे जबकि देश के विदेश मंत्री पीटर सिजार्तो ने कहा है कि विदेशी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पिगेसस का इस्तेमाल नहीं किया है और अगर देश की किसी आन्तरिक एजेंसी ने ऐसा किया है तो इसकी उनको जानकारी नहीं है।
यूरोपियन कमीशन की प्रमुख उर्सला वोन डेर ने कहा है कि प्रेस की आज़ादी यूरोपियन यूनियन की एक कोर वैल्यू है और अगर मीडिया द्वारा लगाये गए आरोप सही हैं तो ये (जासूसी) पूरी तरह अस्वीकार्य है।
इस बीच विकिलीक्स के संस्थापक एडवर्ड स्नोडेन ने कहा है कि पिगेसस इतना शक्तिशाली है कि उसे और उसके जैसे अन्य जासूसी सॉफ्टवेयर की अंतर्राष्ट्रीय बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई आईफोन हैक करने का रास्ता ढूंढ लेता है तो इसका मतलब ये है कि कोई भी फोन हैक किया जा सकता है। स्नोडेन ने कहा कि जासूसी के सॉफ्टवेयर को नाभिकीय हथियारों की तरह देखा जाना चाहिए और उनपर वैसे ही प्रतिबन्ध लगाये जाने चाहिए।
एनएसओ ने सफ़ाई दी
जासूसी के आरोपों के बीच इजरायली एनएसओ ग्रुप ने अपने वकील के माध्यम से बयान जारी किया है जिसमें बताया गया है कि एनएसओ के पास ऐसा डेटा नहीं है कि उसके ग्राहकों ने किनको टारगेट किया है। एनएसओ ने कहा है कि जासूसी के बारे में मीडिया ने गलत निष्कर्ष निकाले हैं और जो डेटा लीक हुआ है उसमें सरकार द्वारा टारगेट किये गए लोगों के नंबरों की लिस्ट हो ही नहीं सकती है।
क्या है कीमत (Pegasus Software Ki Kimat)
पिगेसस सॉफ्टवेयर एक लाइसेंस के स्वरूप में बेचा जाता है और वास्तविक दाम अनुबंध के अनुसार तय होते हैं। 2016 के एक अनुमान के अनुसार सिर्फ दस लोगों की जासूसी करने के लिए एनएसओ ग्रुप 9 करोड़ रुपये चार्ज करता है जबकि 3.75 करोड़ रूपए अलग से इंस्टालेशन फीस के रूप में लिए जाते हैं। यानी जासूसी करने के लिए सरकारें अच्छी खासी रकम खर्च करती हैं।