वॉशिंगटनः न्यूक्लियर सिक्युरिटी समिति में हिस्सा लेने वॉशिंगटन पहुंचे पीएम मोदी ने दुनिया के सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। मोदी ने कहा कि टेरेरिज्म को रोके बिना न्युक्लियर टेरेरिज्म के खतरे को भी नहीं रोका जा सकता।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने समिति में आए अन्य देशों के चीफ्स को डिनर पर बुलाया था। उसी दौरान स्पीच में मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर निशाना साधा। यहां 53 देश अगले दो दिन तक समिति में न्यूक्लियर वीपन्स की सिक्युरिटी पर चर्चा करेंगे।
मोदी ने बताई टेरेरिज्म की तीन वजहें
-मोदी ने आतंकवाद की तीन वजहों का जिक्र किया।
–आजकल आतंकवादी अपनी हरकतों की पब्लिसिटी करते हैं।
–हम आतंकवादियों को गुफाओं में खोजने की कोशिश करते हैं लेकिन वो स्मार्टफोन और कम्प्यूटर लेकर शहरों में मौजूद हैं।
-कुछ स्टेट एक्टर्स न्यूक्लियर ट्रैफिकर्स के साथ काम कर रहे हैं। ये बहुत बड़ा खतरा है।
आतंकवादी कर रहे टेक्नोलॉजी का प्रयोग
-उन देशों को दरकिनार कर देना चाहिए जो टेरेरिज्म को दूसरे देश की परेशानी बताते हैं और उनका या अपना आतंकवादी कहकर इसे बढ़ावा देते हैं।
-ये ग्लोबल टेरेरिज्म है लेकिन हम अब तक नेशनल डेंजर मानते हुए उसका सामना करते हैं।
-आतंकवादी 21वीं सदी की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इससे निपटने के हमारे तरीके पुराने हैं।
-टेररिस्ट का नेटवर्क ग्लोबल होता जा रहा है लेकिन इसका मुकाबला करने के लिए देशों के बीच कोऑपरेशन नहीं है।
-ब्रसेल्स के आतंकी हमले ने दिखा दिया है कि न्यूक्लियर सिक्युरिटी के लिए भी आतंकवाद कितना बड़ा खतरा है।
-ओबामा की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने ग्लोबल न्यूक्लियर सिक्युरिटी के लिए काफी कोशिश की है।
ओबामा और मोदी के बीच हुई देर तक वार्ता
-डिनर में 20 देशों के नेता शामिल हुए।
-मोदी ओबामा के ठीक बगल में लेफ्ट हैंड साइड पर बैठे।
-चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग राइट हैंड साइड पर बैठे थे।
-मोदी और ओबामा के बीच इस दौरान काफी देर तक बातचीत होती रही।
-मोदी ने हाथ के इशारों से ओबामा को कुछ समझाया भी।
न्यूक्लियर वेपन्स सिक्युरिटी में भारत की भूमिका अहम
-न्यूक्लियर सिक्युरिटी समिति शुरू होने से पहले अमेरिका ने कहा था कि परमाणु हथियारों की सुरक्षा में भारत अहम भूमिका निभा सकता है।
-यूएस फॉरेन मिनिस्टर जॉन केरी ने एनएसए अजीत डोभाल से मीटिंग में कहा, “भारत ने न्यूक्लियर वीपन्स की सिक्युरिटी में अहम जिम्मेदारी निभाई है।
-“वह आगे भी न्यूक्लियर वीपन्स और मैटेरियल्स की सिक्युरिटी में अहम रोल निभा सकता है।”
-इससे पहले मोदी ने बुधवार को ब्रसेल्स एक्सपो में इंडियन कम्युनिटी को एड्रेस किया।
-करीब 5 हजार लोगों के सामने उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ देश तो अच्छे-बुरे आतंकवाद की बहस में ही उलझ गए हैं।
क्यों हो रही है ये समिति
-यूएस प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने मार्च 2010 में न्यूक्लियर वेपन्स की सिक्युरिटी के लिए इस समिति की शुरुआत की थी।
-दुनिया की कई बड़ी ताकतों को डर है कि आतंकवादी भविष्य में न्यूक्लियर वीपन्स चुराकर या खरीदकर इनका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।
-इसके अलावा नॉर्थ कोरिया जैसे तानाशाह देश द्वारा भी इसके गलत इस्तेमाल का खतरा बढ़ रहा है।
न्यूक्लियर समिति के क्या हैं फायदें
-पिछले छह साल में 12 देश न्यूक्लियर मैटेरियल का स्टॉक कम कर चुके हैं।
-इनमें दुनिया की सबसे बड़ी न्यूक्लियर पावर यूएस, रूस और फ्रांस भी शामिल हैं।
-न्यूक्लियर मटेरियल की स्मगलिंग और चोरी रोकने के लिए 300 से ज्यादा बंदरगाहों, एयरपोर्ट्स और बॉर्डर पर न्यूक्लियर डिटेंशन डिवाइस लगाए गए हैं।
-इस समिति का एजेंडा न्यूक्लियर सिक्युरिटी को बेहतर बनाने के तरीके खोजना है।
-न्यूक्लियर सिक्युरिटी के साथ ही न्यूक्लियर टेररिज्म और उससे जुड़े खतरों पर भी बातचीत होगी।
अमेरिका के बाद सऊदी जाएंगे मोदी
-अमेरिका के बाद मोदी सऊदी अरब जाएंगे। मोदी 2 और 3 अप्रैल को यहां रहेंगे।
-सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा ऑयल एक्सपोर्टर देश है। अरब देशों की जीडीपी में 25% कॉन्ट्रिब्यूशन सऊदी अरब का है।
-गल्फ को-ऑपरेशन काउन्सिल के देशों की कुल जीडीपी में 50% कॉन्ट्रिब्यूशन सऊदी अरब का है।
-हर साल दुनिया भर के लोग हज के लिए भी सऊदी अरब जाते हैं। करीब 1 लाख 34 हजार भारतीय हर साल हज के लिए जाते हैं।
-मोदी भारत से हज पर जाने वाले लोगों के लिए ज्यादा सहूलियतों की मांग कर सकते हैं।
-यह भारत का चौथा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।
-सऊदी अरब में भारत का एक्सपोर्ट 11 बिलियन डॉलर से ज्यादा है।
-भारत में सप्लाई होने वाले क्रूड का 20% हिस्सा सऊदी अरब से आता है।
-पिछले साल भारत ने सऊदी अरब से 21 बिलियन डॉलर का क्रूड खरीदा था।