PM Modi Japan Visit: पीएम मोदी जापान में महात्मा गांधी की प्रतिमा का करेंगे अनावरण, 'जहां हिंसा का तांडव हुआ, वहाँ अहिंसा का पाठ'
PM Modi Japan Visit: नरेंद्र मोदी जापान के यात्रा के दौरान महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करते हुए उन्होंने एक प्रतिष्ठानपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। इसके माध्यम से उन्होंने गांधीजी के संदेशों को याद दिलाया और उनकी आदर्शवादी विचारधारा को समर्पित किया। इस उपलब्धि ने भारत और जापान के आपसी सांघगत को मजबूती से प्रदर्शित किया।
PM Modi Japan Visit: जापान की राजधानी टोक्यो से लगभग 500 मील की दूरी पर स्थित लगभग 3,50,000 जनसंख्या वाला शहर हिरोशिमा। यहां ढेरों कल कारखाने थे। हिरोशिमा के बाशिंदों को एहसास तक नहीं था कि प्रशांत महासागर के टिनियन नामक द्वीप पर स्थित अमेरिकी बेस में मौत का सामान तैयार है। उस द्वीप पर 4082 किलोग्राम से अधिक का "यूरेनियम -235 बम" एक बी -29 बमवर्षक विमान "एनोला गे" पर लोड किया गया।
विमान ने द्वीप से उड़ान भरी और सुबह सवा आठ बजे "लिटिल बॉय" बम को पैराशूट से हिरोशिमा के आकाश पर छोड़ दिया। चंद सेकेंडों बाद ये बम हिरोशिमा से 2000 फुट ऊपर फट गया। इसमें 15,000 टन टीएनटी के बराबर का विस्फोट हुआ। शहर पर मशरूम के आकार का धुएं का गुबार उठा और चारों तरफ फैल गया। हिरोशिमा शहर का पांच वर्ग मील क्षेत्र देखते देखते नष्ट हो गया।
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नागासाकी की बर्बादी
हिरोशिमा की तबाही के बावजूद जापान ने तत्काल आत्मसमर्पण नहीं किया। फिर इसके बाद 9 अगस्त को उसी टिनियन द्वीप से एक और बी -29 बमवर्षक विमान "फैट मैन" बम को लेकर उड़ा। प्राथमिक लक्ष्य था कोकुरा शहर लेकिन वहां घने बादल छाए हुए थे सो विमान नागासाकी तक चला गया जहां उस सुबह 11:02 बजे प्लूटोनियम बम "फैट मैन" गिराया गया। ये हिरोशिमा में इस्तेमाल किए गए बम से अधिक शक्तिशाली था। इसे 22 किलोटन विस्फोट करने के लिए बनाया गया था। नागासाकी पहाड़ों के बीच संकरी घाटियों में बसा हुआ था सो बम का प्रभाव कम रहा। और विनाश 2.6 वर्ग मील तक सीमित हो गया।
तबाही और मौतें
दोनों शहरों के अधिकांश बुनियादी ढांचे का सफाया हो गया था सो हिरोशिमा और नागासाकी की बमबारी से मरने वालों की सटीक संख्या अभी तक अज्ञात है। हालांकि, यह अनुमान है कि हिरोशिमा में लगभग 70,000 से 1,35,000 लोग मारे गए और नागासाकी में 60,000 से 80,000 लोग मारे गए।
लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान अब तक जारी है। परमाणु बमबारी के मानवीय परिणाम समाप्त नहीं हुए हैं; बहुत से लोग अभी भी विकिरण-प्रेरित असाध्य रोगों से मर रहे हैं।