POK: जानें, पीओके को भारत में मिलाने से क्या है फायदा ?
Pakistan Occupied Kashmir: पीओके को भारत में मिलाने की बात काफी समय से होती रही है। दावा किया जा रहा है कि चंद साल में पीओके का खुद ब खुद भारत में विलय हो जाएगा।
Pakistan Occupied Kashmir: कश्मीर का काफी कुछ हिस्सा पाकिस्तान कब्जाए बैठा है। जबरन कब्जा किये इस हिस्से को भारत में मिलाने की बात काफी समय से होती रही है। लेकिन इधर यह काफी तेज हो चली है। दावा किया जा रहा है कि चंद साल में पीओके का खुद ब खुद भारत में विलय हो जाएगा। भारत के विभाजन और जम्मू-कश्मीर के पश्चिमी जिलों में पाकिस्तान के उकसावे के चलते भड़के विद्रोह के बाद पाकिस्तानी कबीलाई लड़ाकों ने कश्मीर पर हमला कर दिया था जिसके कारण जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरी सिंह अक्टूबर 1947 में भारत में शामिल हो गए थे। कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठ के खिलाफ हुई जंग में अंततः संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता हुई। 1972 से सीमा को लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल यानी एलओसी का नाम दिया गया। सच्चाई यही है कि जम्मू और कश्मीर की सभी पूर्व रियासतें भारत का ही वैध क्षेत्र हैं। क्योंकि महाराजा हरि सिंह 26 अक्टूबर 1947 को भारत में शामिल हो गए थे।
क्यों है महत्वपूर्ण
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र तेल और गैस संसाधनों से समृद्ध है। यहां पानी की प्रचुर उपलब्धता और हाइड्रोलिक पावर के अवसर हैं। यह सोना, कोयला, प्लैटिनम, कोबाल्ट, चाक, ग्रेफाइट और बॉक्साइट जैसे खनिजों और पुखराज और एक्वामरीन जैसे रत्नों से भी समृद्ध है। इसके अलावा, पीओके पर नियंत्रण विभिन्न बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को डेवलप में मदद कर सकता है। भारत इस क्षेत्र में तेल और गैस भंडार का पता लगाने का काम कर सकता है।
रणनीतिक महत्त्व
भू-राजनीतिक रूप से यह क्षेत्र कई देशों के साथ सीमा साझा करता है जो भारत के लिए रणनीतिक हित में हैं। इनमें पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान का वाखान गलियारा और उत्तर में चीन का शिनजियांग प्रांत शामिल है। पीओके भारत में वापस आ जाने से भारत की सीधी पहुँच मध्य एशिया में हो जायेगी। इसके अलावा चीन के पाकिस्तान में विस्तार पर भारत लगाम कस देगा।
सुरक्षा और रणनीतिक बढ़त
पाकिस्तान का खैबर पख्तूनवाला और पीओके कई आतंकवादी संगठनों और प्रशिक्षण शिविरों का घर है, जो भारत में घुसपैठ के खिलाफ काम करते हैं। पीओके पर नियंत्रण से भारत तेजी से अपनी सुरक्षा बढ़ा सकता है और पाकिस्तान पर रणनीतिक बढ़त हासिल कर सकता है। जब पूरा क्षेत्र भारत के पास होगा तो आतंकवाद की बहुत बड़ी समस्या से बहुत अच्छी तरह निपटा जा सकेगा, उसे ख़त्म तक किया जा सकेगा।
चीन इस क्षेत्र का उपयोग बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की अपनी महत्वाकांक्षाओं को हासिल करने के लिए कर रहा है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) समझौते के बाद से दोनों देशों के बीच दो मोर्चों पर युद्ध की आशंका के कारण भारत की चिंताएं काफी बढ़ गई हैं। अगर ऐसे में पीओके भारत के अधीन आता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत होगी और चीन के लिए एक राजनयिक संकट होगा। अफगानिस्तान का वाखान गलियारा भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशियाई गणराज्यों तक पहुंच के लिए एक बड़ा प्रवेश द्वार है। यह क्षेत्र संसाधनों में समृद्ध है। भारत को अपने उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार प्रदान कर सकता है और भारत की ऊर्जा जरूरतों का एक स्रोत बन सकता है। इसके अलावा, भारत, भारत विरोधी तालिबान-पाक और चीन-पाक गठजोड़ के बीच की सांठगांठ पर काबू पा सकता है। पाकिस्तान और चीन को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण काराकोरम राजमार्ग पर भारत का नियंत्रण हो जाएगा। साथ ही यह जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान तक बहने वाले जलमार्गों पर भारत के प्रभुत्व को बढ़ाएगा।
पीओके फैक्ट फाइल
- पीओके के लोग मुख्य रूप से खेती करते हैं। उनकी आय का मुख्य स्रोत हैं - मक्का, गेहूँ, जंगलात उत्पाद और पशुधन। ऐतिहासिक रूप से इस कश्मीर की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर रही है। कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अधिक आबादी वाले क्षेत्र गेहूं, जौ, मक्का, आम, बाजरा आदि फसलें उगाते हैं।
- इस क्षेत्र में निम्न श्रेणी के कोयले के भंडार, चाक के भंडार, बॉक्साइट के भंडार पाए जाते हैं।
- लकड़ी की चीजें, कपड़ा और कालीन बनाना इन क्षेत्रों में स्थित उद्योगों के मुख्य उत्पाद हैं।
- इस क्षेत्र के कृषि उत्पादों में मशरूम, शहद, अखरोट, सेब, चेरी, औषधीय जड़ी-बूटियाँ और पौधे, राल, मेपल शामिल हैं।
- 2011 तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की जीडीपी 3.2 बिलियन डॉलर आंकी गई थी।
- दक्षिणी जिलों में कई लोगों को पाकिस्तानी सशस्त्र बलों में भर्ती किया गया है। अन्य स्थानीय लोग यूरोप या मध्य पूर्व के देशों की यात्रा करते हैं, जहां वे मजदूरी जैसे काम करते हैं।
आंकड़ों में पीओके
- पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सीमाएँ क्रमशः दक्षिण और पश्चिम में पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के पाकिस्तानी प्रांतों से भी लगती हैं। इसके पूर्वी हिस्से में जम्मू और कश्मीर है।
- भौगोलिक दृष्टि से पीओके का कुल क्षेत्रफल 13,297 वर्ग किमी है और 2017 की राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार इसकी कुल जनसंख्या 4,045,366 है।
- इस क्षेत्र की राजधानी मुजफ्फराबाद शहर है। क्षेत्र का अपना सर्वोच्च न्यायालय और एक उच्च न्यायालय है, जबकि स्वायत्त क्षेत्र का पाकिस्तान की संसद में प्रतिनिधित्व नहीं है।
- पीओके के 87 फीसदी परिवारों के पास कृषि संपत्ति है और इस क्षेत्र में साक्षरता दर लगभग 74 फीसदी है।
- इसका उत्तरी भाग हिमालय के निचले क्षेत्र को कवर करता है, जिसमें 4734 मीटर ऊंची जामगढ़ चोटी भी शामिल है। हालाँकि, नीलम घाटी में 6326 मीटर ऊंची सरवाली चोटी सबसे ऊँची चोटी है।
- पूरे क्षेत्र में साल में औसत वर्षा 1400 मिमी से अधिक है, सबसे अधिक औसत वर्षा मुजफ्फराबाद (लगभग 1800 मिमी) के पास होती है। गर्मी के मौसम में, अत्यधिक बारिश और बर्फ पिघलने के कारण झेलम और लीपा नदियों में मानसूनी बाढ़ आम है।