Salman Rushdie: कौन हैं लेखक सलमान रूश्दी, क्यों और कैसे हुआ इन पर जानलेवा हमला

Salman Rushdie: भारतीय मूल के लेखक सलमान रूश्दी फिलहाल न्यूयॉक के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। दूसरे दिन भी उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उनका उपचार कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि रूश्दी अपनी एक आंख की रोशनी खो सकते हैं।

Update:2022-08-13 12:34 IST

भारतीय मूल के लेखक सलमान रूश्दी (फोटों न्यूज नेटवर्क)

Salman Rushdie: भारतीय मूल के लेखक सलमान रूश्दी फिलहाल न्यूयॉक के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। दूसरे दिन भी उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उनका उपचार कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि रूश्दी अपनी एक आंख की रोशनी खो सकते हैं। शुक्रवार रात को उनपर तब हमला हुआ था जब वे एक लाइव इंटरव्यू कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। जिस समय उनपर हमला हुआ था, उस वक्त हॉल में करीब चार हजार लोग उपस्थित थे। 

मशहूर राइटर सलमान रूश्दी अपने विवादास्पद उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' को लेकर लंबे समय से मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं। उनके खिलाफ मौत का फतवा तक जारी कर दिया गया था। असुरक्षा के कारण ही उन्होंने भारत छोड़न का फैसला लिया था। लंबे समय से वो देश से बाहर रह रहे हैं। रूश्दी का व्यक्तिगत जीवन भी विवादों से भरा रहा है। उनकी चार शादियां हो चुकी हैं। उनकी चौथी पत्नी ने उनपर गंभीर आरोप लगाए थे। आइए एक नजर उनके जीवन पर डालते हैं । 

कौन सलमान रूश्दी

सलमान रूश्दी का जन्म 19 जून 1947 को मुंबई में एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम अनीस अहमद रूश्दी और मां का नाम नगीन बट था। जन्म के कुछ सालों बाद ही उनका परिवार ब्रिटेन शिफ्ट हो गया। इसलिए उनकी पढ़ाई – लिखाई भी वहीं हुई। रूश्दी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई ब्रिटेन के प्रसिद्ध रग्बी स्कूल से की, इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर्स किया। 1968 में एम.ए करने के बाद 1970 में उन्होंने लंदन में एक एडवरटाइजमेंट राइटर के तौर पर काम करना शुरू किया। 

इसके बाद 1975 में उनकी ग्राइमस नामक पहली किताब पब्लिश हुई। रूश्दी को लोकप्रियता हासिल हुई उनके दूसरे उपन्यास 'मिडनाइट चिल्ड्रेन' से। इस उपन्यास के लिए 1981 में उन्हें बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया। इसके बाद साल 1983 में उन्हें 'बेस्ट ऑफ द बुकर्स' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। सलमान रूश्दी ने करीब 30 किताबें लिखी हैं, इनमें फिक्शन, नॉन – फिक्शन उपन्यास और बच्चों पर लिखी गई किताबें शामिल है। रूश्दी के बारे में कहा जाता है कि वह राइटर के अलावा एक्टर भी बनना चाहते थे। उन्होंने कोशिश भी की मगर सफल नहीं हो पाए। 

एक किताब ने बदल दी जिंदगी 

सलमान रूश्दी ने आज से करीब 34 साल पहले यानी 1988 में 'द सैटेनिक वर्सेज' नामक उपन्यास लिखी थी। इस उपन्यास के बाजार में आने के बाद बवाल मच गया। रूश्दी पर अपनी किताब में पैगंबर की बेअदबी करने का आरोप लगा। सैटेनिक वर्सेज का हिंदी अर्थ होता है शैतानी आयातें, ऐसे में उपन्यास के इस नाम पर भी मुस्लिम धर्मगुरूओं ने आपत्ति जताई थी। 1990 के दशक में उनके इस किताब का दुनियाभर में जबरदस्त विरोध होने लगा। सलमान रूश्दी को पुलिस प्रोटेक्शन में गुप्त जगह पर रहकर अपनी जान बचानी पड़ी। 

ईरान के इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला खुमैनी ने उनके खिलाफ 1989 में मौत का फतवा जारी कर दिया था। उनका सिर कलम करने पर 30 लाख डॉलर इनाम रखा गया था। 3 अगस्त 1989 को सेंट्रल लंदन के एक होटल में एक आत्मघाती हमलावर ने सलमान रूश्दी को मारने की कोशिश की थी, लेकिन वह बाल – बच गए। नब्बे के दशक में एक इंटरव्यू में रूश्दी ने कहा था कि उनकी जिंदगी किसी जेल की तरह बन गई है। 

भारत में भी हुआ था तीखा विरोध 

भारत दुनिया के उन देशों में शुमार है जिसने सबसे पहले सलमान रूश्दी के विवादित उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' को बैन किया था। तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने ये कदम उठाया था। इसी के बाद पाकिस्तान समेत दुनिया के अन्य मुस्लिम देशों ने भी उपन्यास को प्रतिबंधित कर दिया था। मुंबई में भी रूश्दी के खिलाफ उग्र प्रदर्शन शुरू हो गए थे। फरवरी 1989 में मुंबई में एक ऐसा ही बड़ा प्रदर्शन हुआ था। इस प्रदर्शन में पुलिस की गोलाबारी में 12 लोग मारे गए थे और करीब 40 लोग घायल हुए थे। साल 2012 में मुस्लिम कट्टरपंथियों की धमकी के कारण उन्होंने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने का कार्यक्रम रद्द कर दिया था। 

फतवे के 33 बाद हुआ रूश्दी पर हमला 

साल 1998 में ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी ने 1989 में अपने सर्वोच्च नेता द्वारा दिए गए फतवे पर कहा था कि अब हम रूश्दी का कत्ल किए जाने का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन इस फतवे को वापस लेने की कोई घोषणा नहीं की गई । ऐसे में फतवे के 33 साल बाद रूश्दी पर अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हमला हुआ है। पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार सुबह 11 बजे चौटाउक्वा इंस्टीटयूशन में हमलावर तेजी से मंच पर दौड़ा के सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला कर दिया। हमलावर का नाम हादी मातर है और वह न्यूजर्सी का रहने वाला है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमलावर ने 20 सेकेंड में सलमान रूश्दी के गले पर 10-15 बार वार किए। रूश्दी को फौरन एयर एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया, जहां उनकी स्थिति काफी गंभीर बताई जा रही है।

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