South Asia weather: दक्षिण एशिया में मौसम का अजब खेल, गर्मी के महीने में पड़ने लगी ठंड

South Asia weather: दक्षिण-पूर्व एशिया के कई भागों में कम तापमान देखा जा रहा है।

Report :  Neel Mani Lal
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-05-07 14:03 IST

दक्षिण एशिया में मौसम का अजब खेल (Social media)

South Asia weather: पूरे उत्तरी भारत और पाकिस्तान में तीव्र गर्मी के विपरीत, दक्षिण-पूर्व एशिया (Southeast Asia) के कई भागों में इस समय असामान्य रूप से कम तापमान (Temperature) देखा जा रहा है।

  • - 2 मई को हांगकांग (Hong Kong) में 16.4 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकार्ड किया गया। यह मई के महीने में 1917 के बाद से दर्ज किया गया सबसे कम तापमान था, और इसने 2013 के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
  • - दक्षिणी चीनी शहर ग्वांगझू (southern chinese city guangzhou) ने उसी दिन सिर्फ 13.7 डिग्री तापमान देखा, जो मई के दौरान इतिहास में अब तक का सबसे कम तापमान दर्ज किया गया था।
  • - 4 मई को थाईलैंड (Thailand) के उम्फांग जिले में भी न्यूनतम तापमान 13.6C दर्ज किया गया था। थाईलैंड में मई में यह अब तक का सबसे कम तापमान दर्ज किया गया है।
  • असामान्य रूप से ये ठंडा मौसम उत्तर-पूर्वी मानसून और अस्थिर परिस्थितियों का परिणाम था। लेकिन ये कम तापमान भारत और पाकिस्तान के लिए कोई उम्मीद के रूप में नहीं आएंगे और आने वाले दिनों में खतरनाक गर्म तापमान वापस आने की सम्भावना है। उधर ऑस्ट्रेलिया में भी अजीब मौसम है। रिकॉर्ड पर सातवें सबसे गर्म अप्रैल के बाद ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष का पहला ठंड का प्रकोप देखा है।

दक्षिण ऑस्ट्रेलिया, विक्टोरिया, न्यू साउथ वेल्स और तस्मानिया के कुछ हिस्सों के औसत तापमान से 4 से 8 डिग्री कम तापमान दर्ज किया गया। देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में तापमान में उल्लेखनीय गिरावट ला दी है। कम दबाव के गहरे क्षेत्र के कारण गुरुवार और शुक्रवार को भारी बारिश और तेज हवाओं ने तस्मानिया को प्रभावित किया।

वैज्ञानिकों की चेतावनी

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल की रिपोर्ट में पहले ही चेतावनी दी जा चुकी है कि यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में देशों की तुलना में तेजी से गिरावट नहीं आती है तो पृथ्वी पर तापमान एक प्रमुख खतरे के बिंदु से आगे निकल जाएगा।संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सरकारों पर हानिकारक जीवाश्म ईंधन से चिपके रहने और नतीजतन ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

पश्चिमी कनाडा के लिटन में, तापमान 49.6 डिग्री पर पहुंचा

सरकारों ने 2015 के पेरिस समझौते में इस सदी में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 फ़ारेनहाइट) से नीचे रखने पर सहमति व्यक्त की थी। आदर्श रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक ग्लोबल वार्मिंग नहीं करने का इरादा जाहिर किया गया था। फिर भी पूर्व-औद्योगिक समय से तापमान पहले ही 1.1 डिग्री से अधिक बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप आपदाओं में औसत दर्जे की वृद्धि हुई है जैसे कि अचानक बाढ़, लंबे समय तक सूखा, अधिक तीव्र तूफान और लंबे समय तक जलने वाली जंगल की आग।

असामान्य तापमान भी उसी का नतीजा हैं। पिछले साल, उत्तरी अमेरिका लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव की चपेट में था। पश्चिमी कनाडा के लिटन में, तापमान 49.6 डिग्री पर पहुंच गया था। वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन नेटवर्क के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के बिना इतनी तीव्र हीटवेव लगभग असंभव है।

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