Sri Lanka Crisis: देखें कैसे तबाह हो रहा श्रीलंका, आर्थिक तंगी के कारण अब स्कूल बंद

Sri Lanka Crisis: नकदी की कमी से जूझ रहे श्रीलंका को अब फ्यूल की कमी से तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब फ्यूल की कमी को देखते हुए प्रशासन ने एक हफ्ते के लिए स्कूल बंद करने का फैसला लिया गया है।

Report :  Vidushi Mishra
Update:2022-07-04 19:55 IST

श्रीलंका में आर्थिक संकट (फोटो-सोशल मीडिया)

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में महीनों से जारी आर्थिक तंगी की वजह से लोगों की परेशानियां दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में नकदी की कमी से जूझ रहे श्रीलंका को अब फ्यूल की कमी से तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब फ्यूल की कमी को देखते हुए प्रशासन ने एक हफ्ते के लिए स्कूल बंद करने का फैसला लिया गया है। बीते महीने जून में भी श्रीलंका सरकार ने यही एलान किया था, जिसके चलते फ्यूल की कमी के चलते सरकार ने कार्यालयों और स्कूलों के संचालन को बाधित कर दिया था और एक बार उन्हीं स्थितियां का यहां के लोगों को सामना करना पड़ रहा है।

ऐसे में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका शिक्षा मंत्रालय ने इसका एलान करते हुए कहा कि कोलंबो शहर की सीमा में सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद रहेंगे। इसके साथ ही श्रीलंका के अन्य प्रांतों के मुख्य शहरों में भी स्कूल अगले हफ्ते तक लंबे समय के लिए बिजली कटौती की वजह से बंद रहेंगे।

ऑनलाइन कक्षाएं चलाने के निर्देश

तंगी से जूझ रहे देश के शिक्षा मंत्रालय के सचिव निहाल रणसिंघे ने सभी स्कूलों से ऑनलाइन कक्षाएं चलाने का आग्रह किया है। ऑफलाइन कक्षाओं को खोलने को लेकर उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि संभागीय स्तर पर स्कूलों को कम संख्या में छात्रों के साथ कक्षाएं संचालित करने की अनुमति तभी दी जाएगी, जब ट्रांसपोर्टेशन कठिनाइयों से छात्रों और स्कूल के कर्मचारियों पर असर नहीं पड़ेगा।

सामने आई रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि श्रीलंका के सार्वजनिक उपयोगिता आयोग (Public Utilities Commission of Sri Lanka) ने ऑनलाइन टीचिंग की सुविधा के लिए वीकडेज के दिनों में सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच बिजली कटौती नहीं करने पर सहमति जाहिर की है।

श्रीलंका में आर्थिक संकट की वजह से लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा, कृषि भविष्य और स्वास्थ्य सेवाओं को बुरी तरह से प्रभावित किया है। देश में फसल के बीते मौसम में भोजन का उत्पादन उसके पिछले वर्ष की अपेक्षा में 40 से 50 प्रतिशत कम है। वहीं अब कृषि मौसम बीज, उर्वरक, फ्यूल और ऋण की कमी के कारण खतरे मे है। लगातार बिगड़ते हालात संभलते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं।

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