Srilanka New Marriage Act: श्रीलंका सरकार ने बनाया नया नियम, विदेशी से शादी करना है तो लेनी होगी रक्षा मंत्रालय से मंजूरी

New Delhi: शादी से पहले रक्षा मंत्रालय से मंजूरी। श्रीलंका की सरकार ने अब यही नियम बना दिया है। जिसके अनुसार श्रीलंकाई और विदेशियों के बीच विवाह के लिए पहले श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी और मंत्रालय के अनुमोदन के बाद ही शादी की जा सकेगी।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-01-07 12:00 GMT

श्रीलंका सरकार ने बनाया नया नियम, विदेशी से शादी करना है तो लेनी होगी रक्षा मंत्रालय से मंजूरी। (Social Media) 

Srilanka New Marriage Act: शादी से पहले रक्षा मंत्रालय से मंजूरी। श्रीलंका की सरकार (Sri Lankan government) ने अब यही नियम बना दिया है। जिसके अनुसार श्रीलंकाई और विदेशियों के बीच विवाह के लिए पहले श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय (Sri Lankan Defense Ministry) से मंजूरी लेनी होगी और मंत्रालय के अनुमोदन के बाद ही शादी की जा सकेगी। कुछ लोगों का कहना है कि इस नीति का इस्तेमाल विदेशों में रहने वाले तमिलों और मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करने के लिए किया जा सकता है। इन समुदायों को सरकार के आलोचकों के रूप में देखा जाता है।

इस सम्बन्ध में एक आदेश 18 अक्टूबर को ही जारी किया गया था लेकिन इसकी सार्वजानिक सूचना दिसंबर के अंत में ही की गई। देश के रजिस्ट्रार जनरल डब्लू.एम.एम.बी. वीराशेखर (Sri Lanka Registrar General WMMB veerashekhar) द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार यदि कोई विदेशी नागरिक किसी श्रीलंकाई से शादी करना चाहता है तो उसे अपने जन्म के देश में अधिकारियों से एक प्रमाण पत्र ले कर जमा करना होगा कि उसे पिछले छह महीनों के दौरान किसी अपराध का दोषी नहीं ठहराया गया है। इसके अलावा विदेशी नागरिक को अपने संपूर्ण चिकित्सा इतिहास के साथ एक स्वास्थ्य घोषणा पत्र देकर बताना होगा कि क्या उसे क्रोनिक किडनी रोग, कैंसर, एचआईवी या हेपेटाइटिस बीमारी है। ये प्रमाणपत्र श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय में जमा किये जायेंगे जिसके बाद मंत्रालय शादी को आगे बढ़ाने की अनुमति देते हुए सुरक्षा मंजूरी जारी करेगा।

सुरक्षा का मामला

सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और मादक पदार्थों की तस्करी, धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल विदेशियों द्वारा श्रीलंकाई लोगों से शादी में छल करने की घटनाओं को कम करने के लिए ये सर्कुलर जारी किया गया था। हालांकि सरकार ने अपने इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई आंकड़े जारी नहीं किए हैं। इस नीति की व्यापक निंदा हुई है।

वकील थिश्या वेरागोडा ने श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई

कोलंबो स्थित एक वकील थिश्या वेरागोडा (Lawyer Thisya Veragoda) ने श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। आयोग को लिखे एक पत्र में वेरागोडा (Lawyer Thisya Veragoda) ने कहा है कि रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी किया गया सर्कुलर कोई एक कानून नहीं है और ये जो शर्तें लगाता है वह अवैध, गैरकानूनी, तर्कहीन, बेतुकी और असंवैधानिक हैं।

वेरागोडा (Lawyer Thisya Veragoda) ने कहा कि सरकार के आदेश का मतलब है कि किसी को केवल श्रीलंकाई या उसी विदेशी से शादी करनी चाहिए जिसकी सरकार मंजूरी देती है। निश्चित रूप से ये निर्णय कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू अधिकारों और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा का उल्लंघन है।

विपक्षी सांसद शनकियान राजपुतिरन रसमनिकम (Opposition MP Shankian Rajputiran Rasmanikam) ने इसे दोहरा मापदंड बताया है और कहा है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapakse) की पत्नी इओमा राजपक्षे खुद एक अमेरिकी नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की पत्नी, बेटा, बहू और पोता सहित पूरा परिवार, सभी अमेरिकी नागरिक हैं। यहां तक कि राष्ट्रपति के भाई वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे (Finance Minister Basil Rajapakse) दोहरी नागरिकता रखे हुए हैं। राष्ट्रपति को पहले अपनी पत्नी के लिए सैन्य मंजूरी लेनी चाहिए। राजपक्षे भी एक अमेरिकी नागरिक थे, लेकिन उन्होंने 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिए अपनी नागरिकता छोड़ दी थी।

रासमनिकम ने कहा कि नागरिकों को अधिक से अधिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि कुछ राजनेताओं को खुली छूट मिलती है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति विदेशों में रहने वाले 8,00,000 से अधिक श्रीलंकाई तमिलों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इन तमिलों में से कई लोग लिबरेशन टाइगर्स के खिलाफ युद्ध के दौरान देश छोड़कर चले गए थे।

नए नियमों का एकमात्र कारण श्रीलंकाई लोगों की सुरक्षा

हालांकि, रक्षा मंत्रालय (Defense Ministry) के मीडिया निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल नलिन हेराथ (Director Lt Col Nalin Herath) ने जोर देकर कहा कि नए नियमों का एकमात्र कारण श्रीलंकाई लोगों की सुरक्षा करना है। उन्होंने कहा है कि यह विशुद्ध रूप से हमारे नागरिकों के लाभ और सुरक्षा के लिए है। उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया कि यह नीति देश के बढ़ते सैन्यीकरण का संकेत है। उन्होंने कहा है कि इस नीति का उद्देश्य मुख्य रूप से मादक पदार्थों की तस्करी से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद तक की आपराधिक गतिविधियों को कम करना है।

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