काबुल में तालिबान, अमेरिका दोहरा रहा वियतनाम की कहानी
Kabul News: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में चारों तरफ से तालिबानी लड़ाके घुस गए हैं लेकिन कहीं भी युद्ध जैसी स्थिति नहीं दिख रही है।
Kabul News: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में चारों तरफ से तालिबानी लड़ाके घुस गए हैं लेकिन कहीं भी युद्ध जैसी स्थिति नहीं दिख रही है। सिर्फ कभी कभी छिटपुट गोलीबारी की आवाजें सुनाई दे रही हैं। अमेरिकी राजनयिकों और नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए अमेरिका के चिनूक और ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर काबुल में उतर चुके हैं।
काबुल हवाई अड्डे पर बख्तरबंद गाड़ियों में राजनयिक पहुंच रहे हैं। अमेरिकी दूतावास में दस्तावेज आदि जलाए जा रहे हैं जिसका धुंआ लगातार निकलता देखा जा रहा है। राष्ट्रपति अशरफ गनी का कोई बयान नहीं आया है कि वो कहां हैं और क्या योजना है। काबुल के पतन से पहले तालिबान ने कहा है कि किसी काबुली को जान का खतरा नहीं है और काबुल पर जबरन नियंत्रण नहीं किया जाएगा।
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि सत्ता हस्तांतरण का प्रोसेस पूरी तरह सुरक्षित और बिना जान माल के नुकसान के सुनिश्चित करने के लिए बातचीत जारी है। प्रवक्ता ने कहा कि - इस्लामी अमीरात ने अपने सभी सुरक्षा बलों को निर्देश दिया है कि वे काबुल के प्रवेश द्वारों पर खड़े रहेंगे और शहर में घुसने की कोशिश नहीं करेंगे। हालांकि लोगों का कहना है कि तालिबान लड़ाके शांतिपूर्वक शहर के कुछ उपनगरों में घुस आए हैं। स्थिति ये है कि सरकारी कर्मचारी दफ्तरों से भाग खड़े हुए हैं। हजारों लोग घरबार छोड़ कर खुले मैदानों में पड़े हुए हैं।
अमेरिकी सैनिक तैयार
अमेरिका ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तैयारी कर ली है और कम से कम आठ हजार सैनिक लगा दिए हैं। काबुल एयरपोर्ट पर 3 हजार सैनिक तैनात किए गए हैं। जिनका काम आपातकालीन पलायन के लिए सुरक्षा प्रदान करना है। पेंटागन ने कहा है कि इन सैनिकों को किसी हमले की स्थिति में आत्मरक्षा के लिए उचित जवाब देने का अधिकार होगा। इसके अलावा एक हजार सैनिक कतर में तैनात हैं जिनका काम स्पेशल वीज़ा देना है। किसी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए 3500 सैनिक कुवैत में तैयार रखे गए हैं।
साइगॉन की याद
1975 में वियतनाम युद्ध के अंत में विएतकांग सैनिक जब राजधानी साइगॉन में प्रवेश कर रहे थे तब अमेरिका अपने नागरिकों को आननफानन हेलीकॉप्टरों से बाहर भेज रहा था। अमेरिकी दूतावास की छत पर जमा भीड़ और ऊपर उड़ते आखिरी हेलीकॉप्टर की याद अब भी ताजा है। इस घटना को अमेरिका द्वारा दुम दबा कर भागने के रूप में जाना जाता है। प्रेसिडेंट जो बिडेन ने हाल में कहा था कि साइगॉन की घटना को दोहराने नहीं दिया जाएगा। लेकिन सच्चाई ये है कि वह इतिहास फिर दोहराया जा रहा है।