26 AUG. Women Equality Day: म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के

Update: 2019-08-26 11:37 GMT

दिल्ली. 'ये छोरियां, छोरों से कम हैं के' , 'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के', लड़कियां और लड़कों में कोई अंतर नहीं, लड़कियां कुछ भी कर सकती है, लड़कियां भी पहाड़ फतह कर सकती है! ठीक इसी तरह के तमाम डॉयलाग आप सुने तो होंगे, लेकिन अगर आपको पता चले कि भारत में आज भी महिलाओं को कई मामलों में पुरुषों जैसे अधिकार नहीं मिलते है तो आपको कैसा लगेगा.....

वूमेन इक्विलिटी डे...

26 अगस्त को हर साल 'वूमेन इक्विलिटी डे' मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य सर्वप्रथम महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण और उन्हें समाज में समान दर्जा दिलाना है। बता दें कि 1973 से प्रतिवर्ष इस दिवस को 26 अगस्त के दिन मनाया जाता है, हांलाकी इसके बावूजद भारत में आज भी महिलाओं को कई मामलों में पुरुषों जैसे अधिकार नहीं मिलते है।

यह भी पढ़े.यहां बिकता है दूल्हा, खरीदते हैं मां-बाप, तब मिलता है बेटी को उसका ससुराल….

लड़कियों को नहीं मिलती लड़कों जैसी स्वतंत्रता...

पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने का अधिकार होना चाहिए। इसके बावजूद रूढ़ीवादी परिवारों में महिलाओं को इसकी स्वतंत्रता नहीं है। आज भी कई परिवार है जहां लड़के बेझिझक अपनी पसंद बता देते हैं, लेकिन लड़कियों से इस बारे में खुलकर बात तक नहीं की जाती है।

 

ड्रेसिंग सेंस पर उठते सवाल...

समाज के कुछ ठेकेदार फैसला लेने लगे है कि लड़कियों को क्या पहनना चाहिए और क्या नहीं, कई इलाके तो ऐसे भी हैं जहां जींस, टॉप, टी-शर्ट पहनने की पाबंदी है।

प्रॉपर्टी पर अधिकार लड़कों का...

एक पिता के लिए लड़का और लड़की दोनों बराबर होते हैं, पिता के देहांत के बाद प्रॉपर्टी पर पूरा अधिकार सिर्फ लड़कों का होता है य़ह एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है। कानून बनाया गया है कि पिता की प्रॉपर्टी में लड़कियों की हिस्सेदारी बराबर की होगी। बावजूद इसके कई परिवार इस पर अमल नहीं करते हैं।

यह भी पढ़े. अनन्या पांडे को हो रहा है ऐसा नुकसान, बयां किया अपना दर्द……

लड़कियों का घर से बाहर निकलना नापसंद...

लड़के अक्सर अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए कहीं भी चले जाते है। लेकिन कभी कभी लड़कियों का घर से बाहर घूमना उनपर ही नागवार गुजरता है, आज भी कई परिवारों को पसंद नहीं कि लड़कियां घर से बाहर निकलें। अक्सर होता आया है कि लड़कियां अपने अरमान दबाकर घर की चारदीवारी में ही कैद रह जाती है।

रीति-रिवाज ने बांधे है हाथ...

भारतीय समाज में अभी भी ऐसे कई रीति-रिवाज है, । जिसको करने के लिए सिर्फ पुरुषों को आज्ञा होती है, वरन् महिलाओं को कई रीति-रिवाजों से वंचित रखा जाता है।

Tags:    

Similar News