UNHRC: मानवाधिकार परिषद् से निष्कासन से रूस पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, पढ़ें पूरी खबर

Human Rights Council: एक्सपर्ट्स के अनुसार इस कदम से रूस पर शायद ही कोई असर पड़े। चूंकि रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक स्थायी सदस्य है और इसे हटाया नहीं जा सकता है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-04-07 23:00 IST

मानवाधिकार परिषद्: Photo - Social Media

UNHRC: यूक्रेन में रूस (ukraine russia war) द्वारा किए गए युद्ध अपराधों के हालिया खुलासे के बाद दुनिया रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करने के तरीकों की तलाश कर रही है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (united nations human rights council) से रूस का निष्कासन निश्चित रूप से उचित है लेकिन यह पूरी तरह से अर्थहीन भी है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार इस कदम से रूस पर शायद ही कोई असर पड़े। चूंकि रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) का एक स्थायी सदस्य है और इसे हटाया नहीं जा सकता है, सो ऐसे में उसे यूएनएचआरसी से निलंबित करना संयुक्त राष्ट्र का एक सांकेतिक कदम मात्र भर समझा जाना चाहिए।

मानवाधिकार परिषद में 47 सदस्य थे

जब तक रूस को निलंबित नहीं किया गया, तब तक जिनेवा में स्थित मानवाधिकार परिषद में 47 सदस्य थे। रूस अपने तीन साल के कार्यकाल के दूसरे वर्ष में था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् को 2006 में स्थापित किया गया था। लेकिन ये परिषद् कानूनी रूप से बाध्यकारी निर्णय नहीं ले सकता है। हालांकि, यह जांच को अधिकृत कर सकता है और शक्तिशाली राजनीतिक संदेश भेज सकता है।

पिछले महीने इसने यूक्रेन में संभावित युद्ध अपराधों सहित अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच मानवाधिकार परिषद् ने शुरू की, जब से रूस ने अपना हमला शुरू किया। रूस का निलंबन एक संकेत है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के दो तिहाई सदस्य मानते हैं कि यह एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार निकाय से संबंधित नहीं है।

पुतिन को कोई वास्तविक नुकसान नहीं

यदि अधिकांश विश्व द्वारा समर्थित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों ने रूस को यूक्रेन से बाहर निकलने या उसके व्यवहार को बदलने के लिए रोकने या मनाने के लिए कुछ नहीं किया है, तो मानवाधिकार परिषद से निकलने वाला यह कदम समान रूप से निरर्थक होगा। यूएनएचआरसी पर उनके पद से वंचित होने से रूस या पुतिन को कोई वास्तविक नुकसान नहीं होगा। न ही यह रूसी सेना को और अधिक अत्याचार करने से रोकेगा और न ही उस पर कब्जा की गई भूमि को वापस करने के लिए मजबूर करेगा। सोमालिया, रूस, एरिट्रिया आदि देशों में जब मानवाधिकार उल्लंघनों के बावजूद ये सब देश यूएन में बने हुए हैं तो फिर रूस को एक परिषद् से निकलने का क्या मतलब है, ये एक बड़ा सवाल है।

जहाँ तक अमेरिका (America) की बात है तो डोनाल्ड ट्रम्प जब प्रेसिडेंट थे तब अमेरिका मानवाधिकार परिषद् (human rights council) से खुद ही हट गया था। अमेरिका ने ऐसा संयुक्त राष्ट्र द्वारा इजरायल द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना के विरोध के रूप में किया।

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