नई दिल्ली: आंखों से सम्बन्धित समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने एवं अंधेपन के रोकथाम के लिये हर साल अक्टूबर महीनें के दूसरे बृहस्पतिवार को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य अंधेपन को रोकने और विजन 2020 कार्यक्रम में सहयोग उत्पन्न करना है। इस बार विश्व दृष्टि दिवस का थीम ‘Eye Care Everywhere’ है।
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विश्व दृष्टि दिवस 2018 के मौके पर विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि पूरी दुनिया में भारत ऐसा देश हैं, जहां सर्वाधिक दृष्टिहीन लोग रहते हैं, उनमें से अधिकांश लोगों को यह बात नहीं पता कि 80% मामलों में इस स्थिति की रोकथाम की जा सकती है।
राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, भारत में 1.20 लाख लोग कार्निया की बीमारी के कारण दृष्टिहीन हो रहे है और हर साल 20-30 हजार लोग इससे ग्रसित होते जा रहे है। आई बैंक एसोशिएशन के 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार 57138 कॉर्नियां डोनेट हुई थी, जिनमें से सिर्फ 26,143 कार्नियां का ही ट्रांसप्लांट किया गया। इन आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 46% कार्नियां का ही हम उपयोग कर सके।
भारत ने पिछले वर्ष दृष्टिहीनता की चार दशक पुरानी परिभाषा बदल दी थी। नई परिभाषा के अनुसार जो व्यक्ति 3 मीटर से उंगली न गिन सके, उस दृष्टिहीन माना जायेगा। वही 1976 की परिभाषा में ये दूरी 6 मीटर थी। इस प्रकार WHO के दृष्टिहीनों की संख्या को कम करने के लक्ष्य को 2020 तक 0.3 % तक कम कर लिया जायेगा।
दृष्टि नुकसान विशेषज्ञ समूह की वर्ष 2017 की रिपोर्ट-
- 253 मिलियन लोग दृष्टिहीनता से पीड़ित (2015) है।
- 36 मिलियन लोग दृष्टिहीन है।
- 217 मिलियन लोग गंभीर या मध्यम दृष्टि नुकसान (दूर की दृष्टि) से पीड़ित है।
- नेत्रहीन लोगों में 55% महिलायें हैं।
विज़न 2020 क्या है?
विश्व दृष्टि विज़न 2020 एक वैश्विक पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य सन् 2020 तक टालने योग्य अंधेपन की स्थिति को समाप्त करना है। इस विजन की शुरूआत 18 फरवरी 1999 में हुई थी।
हमारी आंखें अनमोल हैं और इनसे हम यह खूबसूरत दुनिया देखते हैं, लेकिन आंखों के प्रति हमारी थोड़ी सी भी लापरवाही हमें अंधेपन का शिकार भी बना सकती है। हममें से बहुत से ऐसे लोग हैं, जो आंखों की समस्याओं के शुरूआती लक्षणों को अनदेखा कर देते हैं और धीरे-धीरे उनमें यह समस्याएं गंभीर रूप ले लेती है। जरूरत है कि हम आंखों की देखभाल को भी प्राथमिकता दें।