राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बड़ा प्लान: अब आया सबके सामने, चीन में हलचल हुई तेज
राष्ट्रपति पद के साथ ही शी जिनपिंग के पास सेना प्रमुख और पार्टी के महासचिव का भी पद है। चीन में शक्ति के सभी केंद्रों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करके वे कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ त्से तुंग के बाद देश के दूसरे सबसे ताकतवर नेता बन चुके हैं।
नई दिल्ली: चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के चार दिन तक चले सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के समापन भाषण के बाद देश में एक नई चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल अपने समापन भाषण के दौरान चीनी राष्ट्रपति ने 2035 तक के लिए अपना प्लान पेश किया।
उन्होंने देश के आधुनिकीकरण के केंद्र में इनोवेशन को रखने पर जोर दिया ताकि देश के घरेलू खर्चों को पूरा करने के साथ ही पूरी तरह आत्मनिर्भर बना कर दुनिया में शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विकसित किया जा सके। शी जिनपिंग की ओर से 2035 तक का प्लान पेश किए जाने के बाद देश में यह चर्चा शुरू हो गई है कि वह जिंदगी भर चीनी राष्ट्रपति के रूप में बने रहेंगे।
सत्ता से दूर जाने की कोई योजना नहीं
चीन के राष्ट्रपति के रूप में शी जिनपिंग का दूसरा कार्यकाल 2022 में समाप्त होने वाला है। हालांकि राष्ट्रपति ने अपना दूसरा कार्यकाल समाप्त होने के बाद अपने भविष्य की योजना के संबंध में स्पष्ट तौर पर कोई बात नहीं की है, लेकिन वे बीच-बीच में इस बात के पर्याप्त संकेत जरूर देते रहे हैं कि अभी उनकी सत्ता से दूर जाने की कोई योजना नहीं है।
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अधिकतम दो कार्यकाल की सीमा पहले ही समाप्त
शी जिनपिंग संविधान में संशोधन करके अधिकतम दो कार्यकाल की सीमा को पहले ही समाप्त कर चुके हैं। शी ने यह कदम उठाते समय भी इस बात का संकेत दिया था कि दूसरा कार्यकाल खत्म होने के बाद भी वे अपने पद पर बने रह सकते हैं।
चीन में 1982 में देंग शियाओ पिंग की ओर से संविधान में यह प्रावधान किया गया था कि चीनी राष्ट्रपति अधिकतम दो कार्यकाल तक ही अपने पद पर बना रह सकता है।
शी जिनपिंग अब रास्ते की इस अड़चन को भी हटा चुके हैं और जिस समय उन्होंने यह कदम उठाया था उस समय भी इस बात की अटकलें लगाई गई थीं कि वे जिंदगी भर राष्ट्रपति बने रहना चाहते हैं।
माओ त्से तुंग के समान निरंकुश शासन से चीन को बचाने के लिए देंग शियाओ पिंग द्वारा पेश किया गया सामूहिक नेतृत्व का सुरक्षा कवच भी शी जिनपिंग खत्म कर चुके हैं।
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माओ के बाद देश के सबसे ताकतवर नेता
राष्ट्रपति पद के साथ ही शी जिनपिंग के पास सेना प्रमुख और पार्टी के महासचिव का भी पद है। चीन में शक्ति के सभी केंद्रों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करके वे कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ त्से तुंग के बाद देश के दूसरे सबसे ताकतवर नेता बन चुके हैं।
उनके विचारों को 2017 में उनके कार्यकाल के दौरान ही पार्टी के चार्टर में भी शामिल किया गया था। माओ के बाद वे दूसरे अकेले ऐसे नेता हैं जिनके विचारों को पार्टी के चार्टर में जगह मिली है।
नेतृत्व उत्तराधिकार को लेकर कोई संकेत नहीं
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक बंद दरवाजों के पीछे होती है। इस बैठक में पार्टी और सरकार की नीतियों की व्यापक समीक्षा की जाती है। इस बार के सम्मेलन में केंद्रीय समिति के 204 सदस्यों और 172 वैकल्पिक सदस्यों ने हिस्सा लिया।
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पिछले सम्मेलनों में नेतृत्व उत्तराधिकार को लेकर भी कुछ संकेत दिए जाते थे मगर इस बार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।
सारी जिंदगी राष्ट्रपति बने रहने की लालसा
सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग की ओर से 2035 तक की लॉन्ग टर्म विकास योजनाओं पर जोर दिया गया। 2035 में शी जिनपिंग की उम्र 82 साल की होगी और उन्होंने उस समय तक का पार्टी और चीन का खाका सम्मेलन में पेश किया।
इसके बाद ही चीन में ऐसी चर्चाएं शुरू हो चुकी है कि शी जिनपिंग सारी जिंदगी चीन की पूरी कमान अपने हाथों में रखना चाहते हैं।
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चीन को सुपर पावर बनाने की महत्वाकांक्षा
चीन पर नज़र रखने वाले जानकारों का कहना है कि शी चीन को अमेरिका के सामने सुपर पावर बनाने की महत्वाकांक्षा रखते हैं। इसी कारण उनकी ओर से हाल के दिनों में हांगकांग, ताइवान और चाइना सी में ऐसे कदम उठाए गए हैं ताकि चीन को दुनिया में ऐसे देश के रूप में प्रतिस्थापित कर सकें जिसे दूसरे देशों की धमकियों या दबावों की कोई फिक्र नहीं है।
हाल के दिनों में उन्होंने भारतीय सीमा पर भी इसी कारण आक्रामकता दिखाई है। पूर्वी लद्दाख में चीन काफी दिनों से भारत के साथ सैन्य विवाद में उलझा हुआ है। एक ओर चीन भारत के साथ बातचीत का नाटक कर रहा है तो दूसरी ओर शातिर चालें चलने से भी बाज नहीं आ रहा है।
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