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रामलला! वो 5 जज जिन्होंने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, जानें इनके बारे में
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है, जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है। यानी सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है। पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है।
नई दिल्ली: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है, जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है, यानी सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है। मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है।
अयोध्या में विवादित ज़मीन (राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। आप को बता दें कि आपको बता दें कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले में लगातार 40 दिन तक सुनवाई की है। आइये आपको परिचय कराते हैं जिन्होंने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
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इसके साथ ही आपको बता दें कि इस बेंच में CJI रंजन गोगाई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नज़ीर शामिल हैं। यह संविधान पीठ इलाहाबाद हाइकोर्ट के 2010 में दिए गए उस फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।
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प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई पर एक नजर…
रंजन गोगोई (जन्म 18 नवम्बर 1954) एक भारतीय न्यायाधीश तथा वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश है। वे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उसके बाद 2012 से भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके रजंन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लिया।
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उनके पिता केशब चंद्र गोगोई 1982 में असम राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके है।
18 नवंबर 1954 को जन्मे देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 1978 में बार काउंसिल में शामिल हुए थे और गुवाहाटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की, और गुवाहाटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।
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इसके बाद वे 28 फरवरी 2001 को वह गुवाहाटी हाईकोर्ट में जज बने। साल 2010 में उनको पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया। 12 फरवरी 2011 को उनको पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया, साल 2012 में उनको सुप्रीम कोर्ट में जज की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद साल 2018 में वह देश के प्रधान न्यायाधीश बने।
जस्टिस एसए बोबडे…
साल 1956 में जन्मे एसए बोबडे ने बीए एलएबी की डिग्री नागपुर से हासिल की है। इसके साथ ही आपको बता दें कि वे 1978 में बार काउंसिल के सदस्य बने और बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस करने लगे।
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साल 2010 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज बनाया गया, साल 2012 मे वह मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। साल 2013 में उनको सुप्रीम कोर्ट में जज बने. वह 23 अप्रैल 2021 को रिटायर हो जाएंगे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़…
दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने वाले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
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उन्होंने एलएलएम की डिग्री हॉवर्ड लॉ स्कूल से ली है, सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश और उससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के रूप में सेवाएं दे चुके हैं।
आपको बता दें कि वह साल 1999 में भारत के एसएजी भी रहे हैं, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मुंबई विश्वविद्यालय और ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं।
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इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी, हावर्ड लॉ स्कूल में लेक्चर दे चुके हैं, वहीं युनाइेट नेशन्स की मानवाधिकार उच्चायोग सहित कई अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भाषण दे चुके हैं।
जस्टिस अशोक भूषण…
जस्टिस अशोक भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 5 जुलाई 1956 को हुआ था। खास बात यह है कि जस्टिस अशोक भूषण ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की डिग्री ली है।
1979 में वह बार काउंसिल के सदस्य बने और इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू की, साल 2001 में उनको इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया।
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साल 2014 को उनकी नियुक्ति केरल हाईकोर्ट के जज के रूप में हुई, इसके बाद साल 2015 में उनको केरल हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया, साल 13 मई 2016 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
जस्टिस एसए नजीर…
साल 1958 में जन्मे एसए नजीर कर्नाटक हाईकोर्ट में 1983 को वकील के रूप में सेवाएं शुरू कीं, साल 2003 में उनको कर्नाटक हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। साल 2004 में वह परमानेंट जज बनाये गये। साल 2017 को सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति जज के रूप में हुई।