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कोरोना संदिग्धों को गजब की टेक्नोलॉजी से पकड़ रहा आंध्र प्रदेश

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई सारे राज्य अपने-अपने तरीकों से काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत और लोगों को जागरूक...

Ashiki
Published on: 31 March 2020 2:58 PM IST
कोरोना संदिग्धों को गजब की टेक्नोलॉजी से पकड़ रहा आंध्र प्रदेश
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई सारे राज्य अपने-अपने तरीकों से काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत और लोगों को जागरूक करने के साथ ही सरकारें तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों को कोरोना वायरस से बचाने की कोशिश कर रही हैं। आंध्र प्रदेश भी राज्य के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए एक तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।

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राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने किया जारी

राज्य सरकार अन्य एजेंसियों की मदद से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बनाई गई। दो अनूठी तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। इस तकनीक की मदद से राज्य सरकार उन लोगों के बारे में जानकारी हासिल कर सकती है, जिन्हें होम क्वारंटाइन किया गया है। साथ ही वह इसके जरिये कोरोना पॉजिटिव मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री भी जान सकती है।

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25 हजार लोगों की हो रही निगरानी

इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले पहले टूल का नाम है- कोविड अलर्टिंग ट्रैकिंग सिस्टम। इसका इस्तेमाल अधिकारी उन 25,000 होम क्वारंटाइन लोगों पर निगरानी रखने के लिए करते हैं। इसके लिए उनके फोन नंबर्स की लोकेशन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर और मोबाइल टॉवर सिग्नल का सहारा लिया जाता है।

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अलर्ट मिलने पर शुरू हो जाती है कार्रवाई

अलर्ट मिलने पर प्रशासन के लोग होम क्वारंटाइन का उल्लंघन करने वाले के पास पहुंचते हैं। उससे वापस जाने के लिए कहते हैं। साथ ही जो भी उसकी जरूरत होती है, उसे पूरा करता है। होम क्वारंटाइन का उल्लंघन करने वाले का मामला राज्य के अधिकारियों तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद वे एक्शन में आते हैं। इस तरीके से प्रशासन यह सुनिश्चित करता है कि होम क्वारंटाइन रह रहे लोग नियमों के मुताबिक ही रहें।

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पॉजिटिव मरीजों की हिस्ट्री चेक हो चुकी है

आंध्र प्रदेश की ओर से इस्तेमाल किये जाने वाले दूसरे टूल के जरिये प्रशासन कोरोना के पॉजिटिव मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। इसके लिये वह कुछ डाटा और टॉवर्स का सिग्नल इस्तेमाल करते हैं। इसके तहत रोगी के फोन नंबर और सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद से 15 दिन पहले यात्रा की जानकारी हासिल की जाती है।

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2 से 3 किलोमीटर तक करेगा सैनेटाइज

इस दौरान वे उन जगहों पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जहां मरीज ने 15 मिनट से ज्यादा का वक्त बिताया हो। इसके बाद प्रशासन उस इलाके में लोकल ट्रांसमिशन को ट्रैक कर पाता है। 2 से 3 किलोमीटर के दायरे में रेड जोन सेटअप कर इलाके को सैनेटाइज करता है।

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20 मामलों की कर चुके हैं चेकिंग

प्रशासन की ओर से राज्य में 20 पॉजिटिव मामलों की ट्रैवेल हिस्ट्री की जांच कर ली गई है। सूत्रों के अनुसार, तेलंगाना, बिहार और ओडिशा भी आंध्र के इस तकनीक को फॉलो कर रहे हैं। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए उन्हीं उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।

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