WBSSC Scam: कौन है पार्थ चटर्जी ? जानियें सब कुछ

WBSSC Scam: पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल की राजनीति का एक बड़ा चेहरा है। तृणमुल कांग्रेस में उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे घनिष्ठ सहयोगियों में गिना जाता था।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-07-28 11:30 GMT

Partha Chatterjee। (Social Media)

WBSSC Scam: पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले (West Bengal Teacher Recruitment Scam) में गिरफ्तार ममता सरकार (Mamata Government) में कद्दावर मंत्री रहे पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) को 3 अगस्त तक के लिए ईडी (ED) के हिरासत में भेज दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) उनके करीबियों के ठिकानों की छानबीन में जुटा हुआ है। जांच एजेंसी ने उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) को भी हिरासत में ले लिया है। इसके अलावा उनके कई और महिला करीबी निशाने पर हैं। इस घोटाले ने पार्थ चटर्जी के बेदाग पांच दशक के सियासी करियर को दांव पर लगा दिया है। तो आइए एक नजर उनके अब तक के सफर पर डालते हैं-

कौन हैं पार्थ चटर्जी (Who is Partha Chatterjee)

पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल की राजनीति का एक बड़ा चेहरा है। तृणमुल कांग्रेस में उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) के सबसे घनिष्ठ सहयोगियों में गिना जाता था। ममता सरकार (Mamata Government) में पार्थ के पास कई मंत्रालय थे। इसके अलावा वह टीएमसी के महासचिव भी हैं। वह 2001 से लगातार पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) उनसे इतनी प्रभावित थीं कि 2006 में ही वामपंथी सरकार के दौरान विधानसभा में विपक्ष का नेता बना दिया था। जबकि पार्थ उस दौरान केवल दूसरी बार विधायक चुन कर आए थे।

पार्थ का शुरूआती सफर

पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) का जन्म 6 अक्टूबर 1952 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने प्रतिष्ठित रामकृष्ण मिशन विद्यालय, नरेंद्रपुर से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। उसके बाद उन्होंने आशुतोष कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की। बाद में उन्होंने ISWBM से एमबीए किया। इसके बाद उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी एंड्रयू यूल ग्रुप में बतौर एचआर मैनेजर काम किया। पार्थ की पत्नी का नाम बबली चटर्जी है। दोनों की एक बेटी है, जिसका नाम सोहिनी चटर्जी है।

कांग्रेस से शुरू की थी राजनीति

69 वर्षीय पार्थ चटर्जी 1960 के दशक में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वह कांग्रेस के तत्कालीन तेजतर्रार युवा नेताओं प्रियरंजन दासमुंशी और सुब्रत मुखर्जी से काफी प्रभावित थे। उन्हीं से प्रेरित होकर पार्थ कांग्रेस की छात्र ईकाई छात्र परिषद से जुड़े। हालांकि, ये सफर अधिक दिनों तक नहीं चला। पार्थ ने सत्तर के दशक में एक अच्छी पगार वाली कॉरपोरेट जॉब के लिए सियासत से ब्रेक ले लिया। साल 1998 में ये ब्रेक तब टूटा जब कांग्रेस से अलग होकर ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी तृणमुल कांग्रेस बनाई।

टीएमसी में शानदार रहा राजनीतिक सफर

पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) कॉरपोरेट की नौकरी छोड़कर सक्रित राजनीति में उतर गए। साल 2001 में हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी भी पहली बार उतरी थी और वह भी दक्षिम कोलकाता के बेहाला सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे। उनकी पार्टी तो विधानसभा चुनाव जीतने में असफल रही लेकिन पार्थ अपनी सीट निकालने में कामयाब रहे। इसके बाद तो ये सीट मानो उनके गढ़ में तब्दिल हो चुकी है। पार्थ इसके बाद लगातार 2006, 2011, 2016 और फिर 2021 में लगातार पांचवी बार जीते। 2006 में उनकी दूसरी जीत से ही प्रभावित होकर ममता बनर्जी ने उन्हें विधानसभा में विपक्ष का नेता बना दिया। ये उनके सियासी जीवन की सबसे बड़ी छलांग थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

साल 2011 में टीएमसी जब पहली बार सत्ता में आई तब सीएम ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने उन्हें उद्योग और संसदीय मंत्री बनाया। वह तब से लेकर अब तक ममता सरकार में जमे हुए हैं। साल 2016 में टीएमसी की दूसरी जीत के बाद ममता सरकार में पार्थ का कद और बढ़ गया। उन्हें शिक्षा, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, सार्वजनिक उद्यम, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे भारी भरकम मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया था। वह 2014 से 2021 तक सूबे के शिक्षा मंत्री रहे और शिक्षक भर्ती घोटाला भी उन्हीं के कार्यकाल के दौरान हुआ, जो अब उनके गले की फांस बनता जा रहा है।

साफ छवि के कारण ममता के करीबी थे पार्थ

शारदा घोटाले (Saradha scam) और नारदा टेप लीक (narda tape leak) ने सीएम ममता बनर्जी को एक समय बेचैन कर दिया था। उनके कई मंत्रियों और करीबियों के नाम इसमें सामने आए थे। तत्कालीन मंत्री मदन मित्रा का तो उन्हें इस्तीफा तक लेना पड़ा था लेकिन इन सबके विपरीत पार्थ चटर्जी की छवि साफ थी। उनपर किसी तरह का गंभीर आरोप नहीं था। इसलिए ममता बनर्जी का उनपर विश्वास बढ़ता गया। वह पार्टी के अंदर भी फैसलों में निर्णायक भूमिका अदा करने लगे थे। साल 2020 में विधानसभा चुनाव से पहले जब टीएमसी में भगदड़ जैसी स्थिति मच गई थी, तब पार्थ को ही पार्टी के नाराज नेताओं से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

टीएमसी के अंदरूनी खींचतान के भी शिकार हुए पार्थ

कांग्रेस की तरह टीएमसी में भी अब दो धड़े हो गए हैं। एक तबका सीएम ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) के करीब है, इसमें अधिकतर बुजुर्ग और सीनियर नेता शामिल हैं। वहीं दूसरा धड़ा ममता के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी (MP Abhishek Banerjee) के करीब बताए जाते हैं। यही वजह है कि ईडी की कार्रवाई के बाद तुरंत पार्थ के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही कार्रवाई करने की मांग के स्वर उठने लगे। कार्रवाई की मांग करने वाले टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष जैसे अन्य नेताओं को अभिषेक बनर्जी कैंप का माना जाता है।

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