Bihar Politics: बिहार में इस नेटवर्क को धवस्त करेंगे अमित शाह, नीतीश बाबू को दिखाएंगे ताकत

Bihar Politics: अमित शाह के इस दो दिवसीय सीमांचल दौरे के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद बिहार में भाजपा (BJP) की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-09-22 12:38 GMT

बिहार में नीतीश का साथ छूटने के बाद अमित शाह का पहला दौरा: Photo- Social Media

Bihar News Today: बिहार में हुए बड़े सियासी बदलाव के बाद भाजपा (BJP) ने मिशन 2024 (Lok Sabha Elections 2024) की तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  के पाला बदलकर राजद से हाथ मिलाने के बाद गृह मंत्री अमित शाह 23 और 24 सितंबर को पहली बार बिहार के दौरे पर पहुंच रहे हैं। अमित शाह (Amit Shah Bihar Visit) के इस दो दिवसीय सीमांचल दौरे के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद बिहार में भाजपा (BJP) की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। इसी कारण भाजपा की ओर से अब जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत बनाने और मतदाताओं से सीधा संपर्क साधने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं।

दूसरी ओर जदयू और राजद की ओर से भी अमित शाह के दौरे के बाद सीमांचल में सभाएं करने की रूपरेखा तैयार की जा रही है। बिहार में सियासी बदलाव के बाद अब सीमांचल बड़ा राजनीतिक अखाड़ा बनने जा रहा है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने आरोप लगाया है कि सीमांचल दौरे के जरिए अमित शाह बिहार का सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

सीमांचल का दो दिवसीय दौरा

भाजपा की ओर से 2024 की सियासी जंग में बिहार से 35 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए (NDA) से नाता तोड़ने के बाद इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं है। यही कारण है कि भाजपा अभी से ही चुनावी मिशन में जुट गई है। बिहार के सीमांचल के चारों जिलों कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया में भाजपा की पकड़ अभी भी कमजोर मानी जाती है। गृह मंत्री अमित शाह के 23 और 24 सितंबर को प्रस्तावित दौरे के समय भाजपा के पदाधिकारियों की बैठक किशनगंज में रखी गई है। किशनगंज का इलाका पश्चिम बंगाल से सटा हुआ है और सीमांचल के जरिए भाजपा की नजरें पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों पर भी हैं। 

2024 की सियासी जंग के बाद भाजपा को 2025 में विधानसभा चुनाव में भी ताकत दिखानी है। सीमांचल के चार जिलों में विधानसभा की 24 सीटें हैं और इस इलाके में भाजपा अभी तक अपनी पकड़ मजबूत नहीं बना सकी है। इसी कारण अमित शाह ने बिहार जंग की शुरुआत सीमांचल से करने का फैसला किया है।

बांग्लादेशियों की घुसपैठ बड़ा मुद्दा 

सीमांचल के इलाके में बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा रही है। इस इलाके में मुस्लिमों की बड़ी आबादी है और कई इलाकों में 40 से 70 फ़ीसदी तक अल्पसंख्यक मतदाता है। भाजपा शुरुआत से ही इस इलाके में घुसपैठ और जनसंख्या के असंतुलन को मुद्दा बनाती रही है। 

माना जा रहा है कि अपने दौरे के समय अमित शाह इन मुद्दों को लेकर भी हमला बोलेंगे। एनडीए में जदयू के साथ होने के कारण अभी तक भाजपा खुलकर हिंदुत्व का कार्ड नहीं खेल पाती थी मगर माना जा रहा है कि बदले हुए सियासी हालात में भाजपा की ओर से हिंदुत्व का कार्ड भी चला जाएगा।

ओवैसी ने दिखाई थी ताकत

मुस्लिम वोटों के दम पर ही 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी सीमांचल के इलाके में अपनी ताकत दिखाई थी। पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी के पांच विधायक सीमांचल से चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 

हालांकि अब इनमें से चार विधायकों ने राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली है। वैसे किशनगंज से एक बार भाजपा के नेता शाहनवाज हुसैन भी चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में भाजपा इस इलाके में अपनी ताकत दिखाने में जुट गई है। 

पिछले चुनाव में भाजपा को मिली थी एक सीट 

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ अररिया सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भाजपा सीमांचल की चार लोकसभा सीटों में एक भी सीट पर कामयाबी हासिल नहीं कर सकती थी। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान सीमांचल में एनडीए को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी मगर उस समय नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे। 

2020 में महागठबंधन को 7 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें से 4 विधायकों के राजद में शामिल होने के बाद अब महागठबंधन के पास सीमांचल में 17 सीटों की ताकत है जबकि भाजपा के पास सिर्फ 7 सीटें हैं।

भाजपा ने किया बड़ा दावा

भाजपा नेता अश्वनी चौबे का कहना है कि अमित शाह के सीमांचल दौरे का मकसद इलाके में पनप रहे अलगाववाद और पीएफआई के नेटवर्क को ध्वस्त करना है। उन्होंने कहा कि शाह के प्रस्तावित दौरे से अलगाववाद और पीएफआई (PFI) का समर्थन करने वाली ताकतों में बेचैनी दिख रही है। उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद भाजपा सीमांचल में अपनी ताकत दिखाने के प्रयासों में कामयाब होगी।

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