चिराग की मोदी कैबिनेट में नो एंट्री, जदयू ने भाजपा पर बढ़ाया ये दबाव

भाजपा नेताओं का यह भी कहना है कि जदयू ने भले ही भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है मगर जदयू ने खुद भी राज्य और केंद्र को लेकर अलग-अलग नीति बना रखी है।

Update: 2020-10-19 16:35 GMT
भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है मगर जदयू ने खुद भी राज्य और केंद्र को लेकर अलग-अलग नीति बना रखी है।

नई दिल्ली बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जदयू और लोजपा के बीच शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों सियासी दलों में बढ़ते सियासी घमासान के बीच अब जदयू ने लोजपा को एनडीए से बाहर कराने की कवायद शुरू कर दी है।

जदयू की ओर से भाजपा पर इस बात को लेकर दबाव बढ़ने लगा है कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा की सीट लोजपा को न दी जाए। इसके साथ ही जदयू का यह भी कहना है कि मोदी कैबिनेट में भी चिराग को नहीं शामिल किया जाना चाहिए।

लोजपा और जदयू में घमासान जारी

बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद लोजपा ने एनडीए से बाहर जाकर अकेले चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है।

लोजपा के मुखिया चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव में जदयू कोटे वाली सीटों पर लोजपा उम्मीदवार उतार दिए हैं। इसके साथ ही वे चुनाव घोषित होने से काफी पहले से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर खुलेआम हमला कर रहे हैं। हालांकि समय-समय पर जदयू की ओर से भी चिराग को तीखा जवाब दिया गया है।

 

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भाजपा पर केंद्र में भी रिश्ते तोड़ने का दबाव

अब जदयू ने एनडीए में अपने सहयोगी दल भाजपा पर लोजपा से रिश्तों को लेकर और दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जदयू ने भाजपा पर केंद्र में भी लोजपा से रिश्ते तोड़ने का दबाव बढ़ा दिया है। जदयू का कहना है कि भाजपा को राज्यसभा की वह सीट लोजपा को नहीं देनी चाहिए जो रामविलास पासवान के निधन से रिक्त हुई है।

इसके साथ ही रामविलास पासवान की जगह उनके बेटे चिराग की केंद्रीय मंत्रिमंडल में एंट्री भी नहीं होनी चाहिए। सियासी जानकारों का कहना है कि जदयू ने काफी सोच समझकर भाजपा पर यह दबाव बनाना शुरू किया है। ऐसा होने पर लोजपा का एनडीए से पूरी तरह बाहर होना तय हो जाएगा।

 

 

चिराग के बयानों से जदयू सतर्क

दरअसल जदयू लोजपा मुखिया चिराग पासवान के रोज रंग बदलते बयानों से सतर्क हो गया है। चिराग ने हाल में खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया था और यह भी कहा था कि मैं सीना चीर कर दिखाने को तैयार हूं। मेरे सीने में पीएम मोदी की ही तस्वीर निकलेगी। ‌

उन्होंने यह भी कहा था कि गठबंधन धर्म को निभाने और नीतीश कुमार को खुश करने के लिए पीएम मोदी अपने बिहार दौरे के दौरान मुझे ‌लेकर जो कुछ भी बोलना है, वह निस्संकोच बोलें। मुझे उनके भाषण से किसी भी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं होगी।

 

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भाजपा को देनी पड़ रही है सफाई

लोजपा मुखिया के इन बयानों के बाद भाजपा को बार-बार अपने और जदयू के मजबूत रिश्ते की दुहाई देनी पड़ रही है। भाजपा की ओर से कई बार स्पष्ट किया जा चुका है कि लोजपा बिहार में एनडीए से बाहर है और उसका एनडीए से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा ने लोजपा से पीएम मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल न करने की भी बात कही है।

दो दिन पूर्व भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा है कि यदि भाजपा को चुनाव में जदयू से ज्यादा सीटें मिलती हैं तो भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। माना जा रहा है कि जदयू को संतुष्ट करने के लिए ही शाह की ओर से यह बयान दिया गया है।

भाजपा नेताओं ने साधी चुप्पी

हालांकि जदयू की ओर से लोजपा को लेकर बढ़ाए जा रहे दबाव पर भाजपा नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। अभी तक भाजपा ने लोजपा को लेकर केंद्र में भविष्य में किए जाने वाले किसी भी फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। पार्टी अभी तक इस पूरे मामले को भी बिहार तक ही सीमित रखना चाहती है और नतीजे आने के बाद ही पार्टी की ओर से भावी रणनीति तय करने की बात बताई जा रही है।

जानकारों का यह भी कहना है कि पार्टी लोजपा से बिल्कुल अलग भी नहीं होना चाहती क्योंकि इससे देश के दलितों में गलत संदेश जा सकता है। यही कारण है कि जदयू के दबाव बढ़ाने के बावजूद भाजपा जल्दबाजी में कोई भी फैसला लेने से बच रही है।

 

 

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भाजपा नेताओं ने दी यह दलील

वैसे कुछ भाजपा नेताओं का यह भी कहना है कि जदयू ने भले ही भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है मगर जदयू ने खुद भी राज्य और केंद्र को लेकर अलग-अलग नीति बना रखी है।

राज्य में भाजपा व जदयू की गठबंधन सरकार चल रही है जबकि केंद्र में जदयू ने मोदी सरकार को समर्थन तो दे रखा है मगर जदयू का कोई प्रतिनिधि मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं है। भाजपा की ओर से न्योता दिए जाने के बावजूद जदयू ने मोदी कैबिनेट में शामिल होने से मना कर दिया था।

रिपोर्टर अंशुमान तिवारी

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