AAP Assembly elections 2022: राज्यों के विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए निर्णायक क्यों हैं?

AAP Assembly elections 2022: उत्तर प्रदेश वो राज्य हैं जहां आप पार्टी सिर्फ संजय सिंह के भरोसे चुनाव मैदान में दिखाई पड़ रही है।

Written By :  Vikrant Nirmala Singh
Published By :  Monika
Update: 2022-02-14 06:32 GMT

आम आदमी पार्टी (photo : social media ) 

AAP Assembly elections 2022: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव ( Assembly elections) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) चार राज्यों में चुनाव लड़ रही है। इनमें से तीन राज्यों में बकायदा मुख्यमंत्री पद का चेहरा (face of CM) घोषित कर चुकी है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी पार्टी सभी 403 विधनसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पंजाब (Punjab election 2022 ) और गोवा (Goa election 2022) में खुद पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पूरी ताकत झोंक रखी है तो वहीं उत्तराखंड (Uttarakhand election 2022) में भी पार्टी के सभ बड़े नेता लगातार सक्रिय है। उत्तर प्रदेश ही वो राज्य हैं जहां पार्टी सिर्फ संजय सिंह (sanjay singh) के भरोसे चुनाव मैदान में दिखाई पड़ रही है।

पंजाब में भगवंत मान (Bhagwant Mann)को सीएम चेहरा घोषित कर चुकी आम आदमी पार्टी को बहुत उम्मीदें हैं। पिछले चुनाव में वह पंजाब में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी थी। गोवा में अमित पालेकर के चेहरे पर पार्टी एक अच्छा वोट शेयर और सीटें जीतना चाहती है तो उत्तराखंड में कर्नल कोठियाल के नाम पर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीसरा दल बनना चाहती है।

कितनी सफल रही है आम आदमी पार्टी?

आम आदमी पार्टी का उदय आंदोलन से हुआ था। अन्ना आंदोलन से निकली यह पार्टी राजनितिक बदलाव के भरोसे के साथ चुनाव में आयी थी। अपने पहले दिल्ली विधनसभा चुनाव में ही पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा को चौंकाते हुए अल्पमत की सरकार बना ली थी। कांग्रेस से बात नही बनने पर अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव में वाराणसी से तत्कालीन प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को चुनौती दी थी। तब 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी एक पार्टी के रूप में पूरे देश में सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन पंजाब में चार सांसद छोड़कर कहीं भी पार्टी जीत नहीं पाई थी। 2014 में मिली हार के बाद अरविंद केजरीवाल ने ख़ुद को दोबारा दिल्ली में केंद्रित कर लिया जहाँ किसी भी दल को दिल्ली में बहुमत ना होने से विधानसभा के चुनाव होने थे। चुनाव हुए और पार्टी ने एक नया इतिहास रच दिया। दिल्ली की कुल 70 सीटों में से अकेले 67 सीटों पर चुनाव जीत लिया। कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला और नरेंद्र मोदी की लहर और शाह की रणनीती के बाद भी भाजपा महज तीन सीट जीत पाई। तब भाजपा की मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार रही किरण बेदी भी चुनाव हार गईं थीं। फिर पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ी लेकिन सत्ता हासिल करने जैसे कयासों के बिच विपक्ष की भूमिका में ही आ पाई। इसके बाद पार्टी को कहीं भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं।

2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी महज एक सीट जीत पाई। एक बार फिर हार के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को रूख कर लिया। 2020 के विधनसभा चुनाव में अपने काम की बदौलत आप बड़ी बहुमत से दोबारा सरकार बनाने में सफल रही। ये चुनाव इतना कठिन बन चुका था कि अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम को बहुत सब्र दिखाना पड़ा था। भाजपा ने खुलकर हार्ड हिंदुत्व को आगे किया था। भाजपा के बड़े नेता जैसे अनुराग ठाकुर या फ़िर प्रवेश वर्मा जैसे लोगों ने खुलकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बयान दिए। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने अपने स्कूल और अस्पताल के एजेंडे पर चुनाव जीत लिया।

अभी आम आदमी पार्टी की क्या रणनीती दिखाई पड़ती है?

वर्तमान राजनितिक परिस्थितियों में आम आदमी पार्टी उन राज्यों में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रही है जहां सीधा मुकाबला भाजपा बनाम काग्रेस है। उदाहरण के लिए पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश आदि। पार्टी को लगता है कि दोनो दलों से असंतुष्ठ मतदाता उन्हे पसंद करेगें जैसा कि पंजाब में और फिलहाल में सूरत और चंडीगढ़ के म्युनिसिपल चुनावो में देखने को मिला है। इसके पीछे की एक थ्योरी यह भी है कि भाजपा से परेशान मतदाता जो कांग्रेस को विकल्प मानना नहीं चाहता है वह आम आदमी पार्टी को चुन लेगा। अभी पार्टी पंजाब में सरकार बनाना चाहती है तो गोवा में मुख्य विपक्षी दल बनना चाहती है। उत्तराखंड में उसकी तैयारी तीसरे विकल्प के रूप में उभरने की है। उत्तर प्रदेश में पार्टी की रणनीती सभी विधनसभा सीटों पर अपना सिंबल पहुंचाने की दिखाई पड़ती है।

आम आदमी पार्टी की मजबूती क्या है?

आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी मजबूती ख़ुद अरविंद केजरीवाल हैं। जब भी देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प पर कोई सर्वे होता है तो अरविंद केजरीवाल निश्चित रूप से शीर्ष तीन में दिखाई पड़ते हैं। अरविंद केजरीवाल ख़ुद को 'मिडिल और लोअर क्लास' के हीरो के रूप में स्थापित कर रहे हैं । बच्चों के लिए अच्छे स्कूल, अच्छे अस्पताल, मुफ्त बिजली और पानी, महिलाओं को मुफ्त यात्रा, बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन आदि जैसी जनलुभावन योजनाओं ने अरविंद केजरीवाल को बदलाव के नेता के रूप सामने लाया है।

आज आम आदमी पार्टी के पास उसका ख़ुद का एक दिल्ली मॉडल है जो वो अब अन्य राज्यो में पेश कर रही है। दुसरे राज्यो को अच्छे स्कूल के नाम पर सीधी चुनौती पेश कर रही है। मुफ्त बिजली देने के लिए अन्य राज्य सरकारों को बहस पर आमंत्रित कर रही है। राजनीतिक रूप से देखेंगे तो आम आदमी पार्टी के पास एक ऐसा नेता है जो पूरे देश में जाना जाता है, एक विकास का मॉडल है जिसे वह बड़े गर्व के साथ अन्य राज्यों में रखा जा रहा है और इनकी सूचना पहुंचाने की मशीनरी भी भारतीय जनता पार्टी के बाद अन्य पार्टियों से बेहतर दिखाई पड़ती है।

क्या अरविंद केजरीवाल और आप राष्ट्रीय विकल्प हो सकते हैं ?

इसका जवाब एक शब्द भी नहीं दिया जा सकता है लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि आगामी 5 विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी अपने 3 चुनिंदा राज्य पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में बेहतर प्रदर्शन करती है तो वह राष्ट्रीय परिदृश्य में आने का ख्वाब जरूर देखेगी। यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि अरविंद केजरीवाल खुद को दिल्ली के बाहर कितना उपलब्ध रखते हैं। आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय उदय इस घटनाक्रम पर भी निर्भर करेगा कि कॉन्ग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर किस तरीके से अपनी खोई साख हासिल करती है। क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी केंद्र में खुद को मजबूत रूप से स्थापित कर चुकी है और कांग्रेस वह पार्टी है जिसकी जगह अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी हासिल करना चाहेंगे।

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