Bank Holiday: जुलाई में 15 दिन बैंक रहेंगे बंद, जानें- किस दिन निपटा सकेंगे अपना काम

जुलाई में आधे महीने (15 दिन) बैंकों में छुट्टी रहेगी। ये अवकाश 6 दिन शनिवार, रविवार और 9 दिन त्योहार के होंगे।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Newstrack :  Network
Update:2021-07-05 20:54 IST

फाइल फोटो,सोशल मीडिया

लखनऊ: क्या आप जानते हैं कि जुलाई महीने में कितने दिन बैंक बंद रहेंगे, अगर आपको नहीं मालूम तो ये खबर आपके लिए बेहद जरुरी है। क्योंकि जुलाई में बैंक पूरे आधे महीने बंद रहेंगे। ऐसे में आपको बैंक संबंधी कार्यों को जल्द निपटाना होगा। इस महीने में राष्ट्रीय, राज्यीय और क्षेत्रीय अवकाश को मिलाकर करीब 15 दिनों के लिए बैंक सेवा बंद रहेगी। वो 15 दिन कौन-कौन से हैं वह भी आपको बताते हैं। हालांकि बैंक में छुट्टी होने पर आपके ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एटीएम में कैश की कमी से लोगों की परेशानी जरुर बढ़ेगी।

आपको बता दें कि जुलाई में त्योहार के कारण बैंक में 9 दिन का अवकाश रहेगा। इसके अलावा 6 दिन शनिवार और रविवार की छुट्टियां रहेंगी। अब आपको वो तारीख भी बता देंते हैं जिस दिन बैंकों में अवकाश रहेगा।

इस तारीख को बैंक रहेंगे बंद

4 जुलाई- रविवार

10 जुलाई- दूसरा शनिवार

11 जुलाई- रविवार

12 जुलाई- कांग त्योहार

13 जुलाई- भानु जयंती

14 जुलाई- द्रुकपा त्शेची

16 जुलाई - हरेला त्योहार की छुट्टी

17 जुलाई - खारची पूजा की छुट्टी

18 जुलाई- रविवार की छुट्टी

19 जुलाई- गुरु रिम्पोछे के थुंगकर त्शेचु की छुट्टी

20 जुलाई- बकरीद की छुट्टी

21 जुलाई- ईद-उल-जुहा त्योहार की छुट्टी

24 जुलाई – महीने के चौथे शनिवार की छुट्टी

25 जुलाई - रविवार की छुट्टी

31 जुलाई - केर पूजा की छुट्टी

गौरतलब है कि आरबीआई की छुट्टियां हर राज्य पर एक साथ लागू नहीं होती है। राज्यों के हिसाब से बैंकों में छुट्टियां होती हैं। इसलिए आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर बैंक छुट्टियों की पूरी लिस्ट को देखकर यह जान सकते हैं कि कौन से त्योहार पर आपके राज्य में बैंको की छुट्टी रहेगी।

जानिए दहेज पर क्या कहता है विश्व बैंक की रिपोर्ट

वर्ल्ड बैंक ने एक शोध पत्र प्रकाशित किया है जिसमें भारत के विभिन्न प्रदेशों में दहेज को लेकर विभिन्न आयामों को लेकर गांव-गांव से लेकर शहर-शहर जाकर शोध पत्र तैयार किया है। शोधकर्ताओं ने 1960 से लेकर 2008 तक ग्रामीण भारत में हुई 40,000 शादियों का अध्ययन किया है। उन्होंने पाया है कि 95% शादियों में दहेज दिया गया, जबकि 1961 से भारत में इसे ग़ैर-क़ानूनी घोषित किया जा चुका है। दहेज के कारण कई बार महिलओं को हाशिए पर धकेल दिया जाता है, उनके साथ घरेलू हिंसा होती है और कई बार तो मौत भी हो जाती है। दक्षिण एशिया में दहेज लेना और देना शताब्दियों पुरानी प्रथा है, जिसमें दुल्हन के परिजन पैसा, कपड़े, गहने आदि दूल्हे के परिजनों को देते हैं।

यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है, जहाँ पर भारत की 96% आबादी रहती है। इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है, जहाँ भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है।अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन ने पैसे और सामान जैसे तोहफ़ों की क़ीमत की जानकारियाँ जुटाई हैं, जो शादी के दौरान दी या ली गईं।

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