Bhrashtachar Mamla: भ्रष्टाचार मामलों में सीबीआई बिना जांच सीधे दर्ज कर सकती है केस

Bhrashtachar Mamla: सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही है उसमें आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दर्ज एफआईआर को तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस आधार पर रद्द कर दिया था कि एफआईआर दर्ज करने से पहले सीबीआई को प्रारंभिक जांच करनी चाहिए थी।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shweta
Update:2021-10-08 16:24 IST

कॉन्सेप्ट फोटो (फोटोः सोशल मीडिया)

Bhrashtachar Mamla:  सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में सीबीआई को केस दर्ज करने से पहले शुरूआती जांच की जरूरत नहीं है बल्कि जांच एजेंसी सीधे केस दर्ज कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, विक्रम नाथ और बी.वी. नागरत्ना की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर सीबीआई को कोई शिकायत मिलती है या किसी सूत्र द्वारा संज्ञेय अपराध की जानकारी मिलती है और अधिकारी उस सूचना से संतुष्ट हैं तो जांच एजेंसी शुरूआती जांच करने की बजाये सीधे केस दर्ज कर सकती है। कोर्ट ने साफ़ साफ़ कहा कि कोई एफआईआर सिर्फ इस आधार पर बेकार नहीं होगी की प्रारंभिक जांच नहीं की गई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर सीबीआई प्रारंभिक जांच नहीं करने का फैसला करती है तो आरोपित व्यक्ति अधिकार स्वरूप इसकी डिमांड नहीं कर सकता है।

क्या है मामला

जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही है उसमें आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दर्ज एफआईआर को तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस आधार पर रद्द कर दिया था कि एफआईआर दर्ज करने से पहले सीबीआई को प्रारंभिक जांच करनी चाहिए थी। शीर्ष अदालत के समक्ष सीबीआई ने कहा कि सीबीआई मैन्युअल में एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की अनिवार्यता की बात नहीं कही गयी है। सीबीआई ने कहा कि मैन्युअल में सिर्फ निर्देश दिए गए हैं। सीबीआई के तर्क के विपक्ष में कहा गया था कि सरकारी कर्मचारियों से सम्बंधित कथित भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच अनिवार्य है क्योंकि जल्दबाजी करने से फालतू की शिकायतों पर भी केस दर्ज हो जायेंगे जिसका असर कर्मचारियों के करियर पर पड़ सकता है।

दोनों पक्षों के तर्क पर कोर्ट के सामने यह सवाल था कि क्या सीबीआई के लिए सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोपों के हर केस में एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जाँच करना जरूरी है? कोर्ट ने ललिता कुमारी बनाम यूपी सरकार समेत कई मामलों के आदेशों के सन्दर्भ देते हुए कहा कि ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच अनिवार्य है। सिर्फ इसीलिए कोई एफआईआर रद्द नहीं की जायेगी कि प्रारंभिक जांच नहीं की गयी है। लेकिन कोर्ट ने यह भी साफ़ कर दिया कि किसी उचित मामले में प्रारंभिक जांच करने के महत्व को खत्म नहीं किया जा रहा है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि सीबीआई अपनी एफआईआर के आधार पर जांच जारी रख सकती है। यह मामला सीबीआई बनाम टीएच विजयलक्ष्मी का था।

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