मोदी से अदावत, कांग्रेस को 'पुनर्जीवित' करने आ रहे 'PK', क्या 2024 में 2014 वाला कर पाएंगे कमाल?
Prashant Kishor: प्रशांत किशोर, कांग्रेस के जरिए BJP को मात देने का प्लान तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 300 प्लस सीट देने का फार्मूला भी बता दिया है।
Lucknow: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal), बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Bengal CM Mamata Banerjee), आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन जैसे तमाम नेताओं को राजगद्दी तक पहुंचाने में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का बड़ा योगदान माना जाता है।
हालांकि 2014 में नरेंद्र मोदी को ऐतिहासिक विजय मिलने के बाद उनके रिश्ते वैसे नहीं रह गए जैसे 2014 के पहले थे। प्रशांत किशोर बीजेपी (BJP) में एक बड़ा पद चाह रहे थे। लेकिन अमित शाह (Amit Shah) और मोदी को यह मंजूर नहीं था। इसीलिए उनके बीच मनमुटाव हुआ और प्रशांत किशोर ने अलग राह पकड़ ली। वही टीस प्रशांत किशोर के शरीर में ज्वाला की तरह दहक रही है। वह कांग्रेस के जरिए बीजेपी को मात देने का प्लान तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress President Sonia Gandhi) को 300 प्लस सीट देने का फार्मूला भी बता दिया है।
कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाएंगे प्रशांत किशोर
पिछले एक हफ्ते में प्रशांत किशोर कांग्रेस नेताओं और सोनिया गांधी के साथ तीन बड़ी बैठक भी कर चुके हैं। लेकिन प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के सामने यह बहुत बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और बीजेपी, आरएसएस के मजबूत संगठन का कोई तोड़ कांग्रेस पार्टी के पास नहीं है। ऐसे में प्रशांत किशोर कौन सा करिश्मा कर पाएंगे यह बड़ा सवाल है। क्योंकि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर का एक प्रयोग फेल भी हो चुका है। जब उन्होंने अखिलेश-राहुल का बेमेल गठबंधन कराया और नारा दिया यूपी को यह साथ पसंद है। उत्तर प्रदेश की जनता ने इस गठबंधन को नकार दिया। सत्ताधारी अखिलेश सबसे कम 47 सीटों पर आकर सिमट गए जबकि कांग्रेस को महज 7 सीटें मिली। ऐसे में यह बड़ा सवाल कि आखिर कांग्रेस की डूबती नैया को प्रशांत किशोर कैसे पार लगाएंगे।
हार के कारण कांग्रेस नेता हताश और निराश
कांग्रेस पार्टी की लगातार हार से अब ऊपर से लेकर नीचे तक हर नेता हताश और निराश है। सोनिया गांधी को भी लगने लगा है कि पीके ही शायद कोई चमत्कार कर दिखाएं। सोनिया गांधी बखूबी मालूम है कि अब बिना कोई ठोस रणनीतिकार के वह भारतीय जनता पार्टी को मात नहीं दे सकती हैं। उनके सबसे भरोसेमंद और चुनावी रणनीतिकार अहमद पटेल के निधन के बाद कोई नेता उनकी जगह नहीं ले पाया है। 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में उनका हर दांव फेल साबित हुआ है।
अब सोनिया गांधी को एक ही रास्ता प्रशांत किशोर नजर आते हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Election 2022) से पहले भी पीके राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिल चुके थे लेकिन बात नहीं बनी थी। अब पांच राज्यों में बुरी हार के बाद इस साल के अंत में गुजरात, हिमाचल के विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के चुनाव आ जाएंगे। तब तक लोकसभा का भी बिगुल बच चुका होगा। ऐसे में सोनिया गांधी अभी से ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल कर एक ठोस रणनीति के तहत बीजेपी से मुकाबले के लिए उतरना चाहती हैं।
यूपी टू दिल्ली जाने का प्लान
सूत्र बताते हैं कि प्रशांत किशोर को इसलिए भी पार्टी में लाने की कोशिश तेज है कि वह उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ बड़ा करके दिखाएं। क्योंकि देश के सबसे बड़े सूबे में कांग्रेस नाम मात्र की बची हुई है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वह यूपी में संगठन और पार्टी में जान फूंकने के लिए प्रशांत किशोर जैसा कोई रणनीतिकार की जरुरत है। क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद यहां के समीकरण तेजी से बदले हैं। इस चुनाव में जहां बीजेपी और समाजवादी पार्टी का सीधा मुकाबला हुआ। मुस्लिमों ने आंख बंदकर सपा को वोट दिया और उनकी सीटें 47 से बढ़कर 111 तक पहुंच गई। चुनाव के बाद अब मुस्लिमों के एक बड़े तबके में निराशा भी झलकने लगी है।
आजम खान के मुद्दे पर उनके नेता सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को मुस्लिम बिरोखी बता रहे हैं। यूपी में मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी है, यहां विधानसभा में लगभग 100 सीटों पर जीत हार में अहम रोल निभाते हैं। सपा से मुस्लिमों की उभर रही नाराजगी के बाद उनके पास अब कांग्रेस ही एक विकल्प के रूप में बचता है। लोकसभा चुनाव से पहले अगर कांग्रेस पार्टी इन्हें अपने पाले में लाने की कवायद करती है तो इसका फायदा उन्हें जरुर मिल सकता है। क्योंकि मुस्लिम मतदाता बीजेपी को वोट नहीं करेगा। मायावती की छवि भी ऐसी बना दी गई है कि वह बीजेपी से मिली हुई हैं। ऐसे में कांग्रेस इस बात का फायदा उठाना चाहेगी और प्रशांत किशोर ही इसमें अहम रोल निभा सकते हैं। क्योंकि वह बखूबी जानते हैं कि कब, कहां, कौन सा दांव चलना है। जिससे उन्हें लगेगा कि कांग्रेस ही सही मायने में उनकी हमदर्द है।
राहुल गांधी को मजबूत करने की भी रणनीति
एक वजह यह भी बताई जा रही है कि प्रशांत किशोर के आने से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की राजनीति और मजबूत होगी। क्योंकि उनकी पार्टी के ऐसे कई वरिष्ठ नेता हैं जो उनकी सियासी काबिलियत पर अब परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सवाल खड़े करने लगे हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर के आने से जो भी कमियां हैं, वह एक ठोस रणनीति के तहत दूर हो सकेंगी। सरकार को किस मुद्दे पर घेरना है और कहां सॉफ्ट टारगेट अपनाना है, यह प्रशांत किशोर से अच्छा और कोई नहीं जानता है। इसीलिए उनके आने से राहुल गांधी के साथ ही कांग्रेस पार्टी को बढ़त मिलने की उम्मीद है और इस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने सिपहसालारों से मंथन में लगी हुई हैं।
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