जल्द खुल सकते हैं स्कूल, ICMR ने दी ये सलाह, कहा- बच्चों को कोरोना का खतरा कम

आईसीएमआर ने स्कूलों को पुरानी पद्धति यानी खुली जगहों या पेड़ के नीचे क्लास लगाने की सलाह दी है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-09-28 12:46 IST

स्कूल में पढ़ते बच्चे (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

ICMR Guidelines For School Reopen: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के चलते देशभर में स्कूल को नियमित रूप से नहीं खोला जा रहा है। कोरोना काल के डेढ़ साल के दौरान स्कूलों को खोलने का कई बार फैसला किया गया, लेकिन बढ़ते मामलों ने सरकार के कदम बार बार पीछे खींच दिए। फिलहाल कई राज्यों में 9वीं क्लास से 12वीं कक्षा तक के स्कूल खोले जा रहे हैं, लेकिन छोटे बच्चों के लिए स्कूल खोलने को लेकर अब भी डर बना हुआ है। इस बीच अब आईसीएमआर ने स्कूलों को खोलने को लेकर गाइडलाइन जारी की है। 

एक रिपोर्ट में सामने आया है कि स्कूल न जाने से बच्चों के सामाजिक, शारीरिक और मानसिक विकास पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ा है। बात करें भारत की तो देश में कोरोना काल में 500 दिन से ज्यादा स्कूल बंद रहने से करीब करीब 32 करोड़ बच्चों पर असर पड़ा है। ऐसे में अब आईसीएमआर ने स्कूलों को पुरानी पद्धति यानी खुली जगहों या पेड़ के नीचे क्लास लगाने की सलाह दी है। इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि प्राथमिक स्कूलों के बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम है, ऐसे में पहले प्राथमिक स्कूलों को खोला जाना चाहिए और फिर माध्यनिक स्कूलों को खोलना चाहिए।  

ऑनलाइन पढ़ाई करता हुआ बच्चा (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बच्चों के विकास पर पड़ रहा बुरा असर

वैज्ञानिकों का कहना है कि बीते अगस्त महीने में सामने आया है कि शहरों में रहने वाले केवल 24 फीसदी बच्चे ही रेगुलर क्लास कर पाए हैं। कोरोना काल में स्कूलों पर ताला लगने की वजह से बच्चों ने ऑनलाइन क्लासेस के जरिए पढ़ाई की। जबकि झुग्गी और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले महज 8 फीसदी बच्चे ही नियमित क्लास लेते रहे। बताया गया है कि भारत के 15 राज्यों में 1362 घरों पर यह सर्वे किया गया था। ये सर्वे कमजोर तबके के बच्चों पर किया गया था। इसमें शामिल 50 फीसदी से भी ज्यादा बच्चे कुछ शब्दों से ज्यादा नहीं पढ़ पा रहे थे। वहीं, बच्चों के पैरेंट्स का भी मानना है कि उनके बच्चों की पढ़ने की क्षमता पर बुरा असर पड़ा है। 

अब आईसीएमआर ने स्कूलों को खोलने पर जोर दिया है। ICMR की रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि पहले प्राइमरी और फिर सेकेंडरी स्कूलों को खोला जाना चाहिए। क्योंकि बच्चों में बड़ों की तुलना में कोरोना संक्रमण का खतरा कम देखा गया है। ऐसे इसलिए क्योंकि बच्चों में बड़ों की तुलना में ACE 2 Receptors कम होते हैं। यह रिसेप्टर्स श्वांस नली में होते हैं और इन्हीं पर चिपककर वायरस बढ़ता है। इसलिए रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूल कॉलेज को पहले जैसे नॉर्मल तरीके से खोल देना चाहिए। साथ ही ये भी सलाह दी गई है कि जिन राज्यों या शहरों में कोरोना के मामले ज्यादा हों, वहां पर अलग तरीके से स्कूलों को खोलने पर फैसला लिया जा सकता है। 

स्कूल जाते बच्चे (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

आईसीएमआर ने सुझाए ये उपाय

ICMR ने सुझाया है कि भारत में पहले की ही तरह खुले में पेड़ों के नीचे क्लासेस लगाई जा सकती हैं। ऐसा ही नीदरलैंड्स, अमेरिका और डेनमार्क में भी किया जा रहा है। पढ़ाई के लिए असेंबली हॉल और स्कूल के बड़े एरिया का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा रिपोर्ट में स्कूल खोलने को लेकर सलाह दी गई है कि क्लासरूम वेंटिलेटेड होने चाहिए, छोटे बच्चों को मास्क लगाने से छूट मिलनी चाहिए। 12 साल ऊपर के स्टूडेंट बड़ों की तरह मास्क का उपयोग कर सकते हैं। जबकि 6 से 11 साल के बच्चे अपनी क्षमता के हिसाब से मास्क लगा सकते हैं।

वहीं, रिपोर्ट में ऐसे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए छूट देने की बात कही गई है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो, लंबी बीमारी से जूझ रहे हों या फिर उनके घर में कोरोना पेशेंट हों।

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